सोनिया गांधी अथवा एनटोनिया मैनो का सच, भारत की धरोहर इटली भेजती थी यह महिला
सोनिया गांधी जिनका वास्तविक नाम एनटोनिया मैनो है, अपने जन्म प्रमाणपत्र के अधार पर ल्यूसिआना में दिसंबर 1944 में पैदा हुई थीं। लेकिन उनके पिता स्टीफानो मैनो सन् 1942 से 1945 तक रूस के जेल में बंद थे इसलिए उनका जन्मदिन और जन्मस्थान बदलकर 9 दिसंबर 1946 और ओरबासानो कर दिया गया। यह खुलासा 27 अप्रैल 1983 को इटली के राजदूत द्वारा दिल्ली में गृह मंत्रालय को दिए एक पत्र में किया गया था। सोनिया गांधी ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामेे में यह दिखाया है कि उन्होंने अमरीका की कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अंगे्रजी में डिप्लोमा किया है लेकिन वास्तव में इंदिरा दसवीं के आगे पढ़ी ही नहीं हैं। सोनिया गांधी के माता पिता बहुत गरीब थे और उनके पिता एक मजदूर का काम करते थे। उस जमाने में इटली की औरतें अक्सर अमरीका के बड़े संस्थानों में झाडू पोछे का काम करती थीं। सोनिया भी कैंब्रिज विश्वविद्यालय में कुछ ऐसे ही कामों के लिए गई थी ना कि अंग्रेजी में डिप्लोमा करने गई थीं।
सेनिया राजीव की मुलाकात कैंब्रिज में ही हुई थी जब राजीव वहां पढ़ने गए थे। लकिन राजीव गांधी अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके और कुछ समय बाद लंदन चले गए। सोनिया गांधी को भी लंदन में एक नौकरी मिल गई और वो भी लंदन पहुंच गईं। वहां इन दोनों की प्रेम कहानी की शुरूआत हुई। उस समय स्वर्गीय माधव राव सिंधिया भी लंदन में थे और इन दोनों के दोस्त बन गए थे। लंदन के ही एक चर्च में सोनिया और राजीव को शादी करनी पड़ी थी क्योंकि इंदिरा और संजय इस शादी के खिलाफ थे। इनकी शादी के बाद सोनिया और उनका इटालियन परिवार गरीब से कुछ वर्षो में करोड़पति बन गया तथा इसके कारणों की चर्चा हम लेख में आगे करेंगे।
भारत में आने के बाद सोनिया गांधी ने सरकारी बीमा कंपनी ओरिएंटल फायर एंड इंश्योरेंस में नौकरी करनी शुरू कर दी। इसके लिए उन्होंने अपना व्यवसायिक पता प्रधानमंत्री अवास दिया था जिससे लोगों पर दबाव डाला जा सके। नवंबर 1974 में जब सुब्रम्यणम स्वामी ने लोकसभा में प्रतिरोध जताया तो मजबूरी में इंदिरा गांधी को सोनिया की नौकरी छुड़वानी पड़ी क्योंकि यह फेरा के नियमों का उल्लंघन था। सोनिया ने भारत में आते ही अपने आप को वोटर रजिस्टर्ड किया था। यह भारत के नियमों का साफ उल्लंघन था क्योंकि सोनिया गांधी ने अपनी इटली की नागरिकता नहीं छोड़ी थी। मीडिया के प्रश्न उठाने पर दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त ने उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया लेकिन फिर भी सोनिया ने सन् 1983 में वोटर आईडी कार्ड बनवा लिया जबकि उनके पास इटली की नागरिकता भी थी।
इंदिरा और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान ऐसा कोई भी दिन नहीं रहा जब प्रधानमंत्री सुऱक्षाकर्मियों ने भारतीय शिल्प कला की वस्तुएं, देवी देवताओं की मूर्तियां, मशहूर पेंटिग्स और कई सारी बहुमूल्य वस्तुएं रोम ना भेजी हों। ऐसा सोनिया गांधी के कहने पर होता था तथा इन वस्तुओं को सोनिया गांधी की बहन एलीसांडरा मैनो वींची की रिवोल्टा और ओरबसानो स्थित दुकानों एथनिका और गणपती पर बेचने के लिए भेजा जाता था।
सेनिया राजीव की मुलाकात कैंब्रिज में ही हुई थी जब राजीव वहां पढ़ने गए थे। लकिन राजीव गांधी अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके और कुछ समय बाद लंदन चले गए। सोनिया गांधी को भी लंदन में एक नौकरी मिल गई और वो भी लंदन पहुंच गईं। वहां इन दोनों की प्रेम कहानी की शुरूआत हुई। उस समय स्वर्गीय माधव राव सिंधिया भी लंदन में थे और इन दोनों के दोस्त बन गए थे। लंदन के ही एक चर्च में सोनिया और राजीव को शादी करनी पड़ी थी क्योंकि इंदिरा और संजय इस शादी के खिलाफ थे। इनकी शादी के बाद सोनिया और उनका इटालियन परिवार गरीब से कुछ वर्षो में करोड़पति बन गया तथा इसके कारणों की चर्चा हम लेख में आगे करेंगे।
भारत में आने के बाद सोनिया गांधी ने सरकारी बीमा कंपनी ओरिएंटल फायर एंड इंश्योरेंस में नौकरी करनी शुरू कर दी। इसके लिए उन्होंने अपना व्यवसायिक पता प्रधानमंत्री अवास दिया था जिससे लोगों पर दबाव डाला जा सके। नवंबर 1974 में जब सुब्रम्यणम स्वामी ने लोकसभा में प्रतिरोध जताया तो मजबूरी में इंदिरा गांधी को सोनिया की नौकरी छुड़वानी पड़ी क्योंकि यह फेरा के नियमों का उल्लंघन था। सोनिया ने भारत में आते ही अपने आप को वोटर रजिस्टर्ड किया था। यह भारत के नियमों का साफ उल्लंघन था क्योंकि सोनिया गांधी ने अपनी इटली की नागरिकता नहीं छोड़ी थी। मीडिया के प्रश्न उठाने पर दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त ने उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया लेकिन फिर भी सोनिया ने सन् 1983 में वोटर आईडी कार्ड बनवा लिया जबकि उनके पास इटली की नागरिकता भी थी।
इंदिरा और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान ऐसा कोई भी दिन नहीं रहा जब प्रधानमंत्री सुऱक्षाकर्मियों ने भारतीय शिल्प कला की वस्तुएं, देवी देवताओं की मूर्तियां, मशहूर पेंटिग्स और कई सारी बहुमूल्य वस्तुएं रोम ना भेजी हों। ऐसा सोनिया गांधी के कहने पर होता था तथा इन वस्तुओं को सोनिया गांधी की बहन एलीसांडरा मैनो वींची की रिवोल्टा और ओरबसानो स्थित दुकानों एथनिका और गणपती पर बेचने के लिए भेजा जाता था।
देशवासियों को इस तरह कांग्रेस की असलियत से अवगत कराना जरुरी है ।
ReplyDeleteक्योकिं मोदी जी द्वारा देश को परम वैभव पर ले जाने के लिए किये जा रहे महत्त्व पूर्ण कार्यो का महत्त्व जनता को तभी पता चलेंगे ।