एक न्यूज चैनल पर बैठकर अरूण शौरी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मनमानी करने वाला तानाशाह घोषित कर के उनकी नीतियों को देश के लिए खतरनाक घातक और देश को तबाह कर देने वाली घोषित कर रहे थे.
अतः अरूण शौरी को इन सवालों का जवाब देना चाहिए.
देश का जो कोयला सत्ता के दलालों द्वारा मुफ्त में लूट लिया जाता था उस कोयले से अब देश के खजाने को लगभग 30-35 लाख करोड़ रू मिलेंगे.
अरुण शौरी, क्या यह देश के लिए खतरनाक और घातक नीति का प्रतिफल है?
देश में लगभग 4.5 करोड़ फ़र्ज़ी रसोई गैस कनेक्शन पकड़ कर उन्हें खत्म कर रसोई गैस सिलिंडर सब्सिडी के नाम पर सत्ता के दलालों द्वारा प्रतिवर्ष होनेवाली लगभग 19 हज़ार करोड़ की लूट नरेंद्र मोदी की केवल एक रणनीति के कारण खत्म हो गयी.
अरुण शौरी, क्या यह नरेंद्र मोदी की देश के लिए खतरनाक और घातक नीति का प्रतिफल है?
जो बीएसएनएल 2 साल पहले तक 10 हज़ार करोड़ के घाटे में था आज वो उस घाटे की पूर्ति करके लगभग 1 हज़ार करोड़ के लाभ में है.
अरुण शौरी, क्या यह नरेंद्र मोदी की देश के लिए खतरनाक और घातक नीति का प्रतिफल है?
जो रॉफेल युद्धक विमान का सौदा भ्रष्ट यूपीए सरकार ने 6 साल पहले 80 हज़ार करोड़ रू में तय कर डाला था, मोदी सरकार उसे घटाकर 59 हज़ार करोड़ पर ले आई है और अभी इसको 55 हज़ार करोड़ तक लाने में जुटी हुई है.
अरुण शौरी, क्या यह नरेंद्र मोदी की देश के लिए खतरनाक और घातक नीति का प्रतिफल है?
जो एयरइंडिया पिछले 3 दशकों से लगातार प्रतिवर्ष हज़ारों करोड़ के घाटे में रहती थी वो आज दशकों बाद ऑपरेशनल प्रॉफिट के सुखद दौर में लौटी है.
अरुण शौरी, क्या यह नरेंद्र मोदी की देश के लिए खतरनाक और घातक नीति का प्रतिफल है?
पिछले 2 वर्षों में औसतन प्रतिवर्ष जितनी लम्बी नयी रेलवे लाइन बिछीं और नए राजमार्ग बने और जितनी बिजली का उत्पादन हुआ उतना अधिक आज़ादी के बाद से अबतक कभी नहीं हुआ था?
अरुण शौरी, क्या यह नरेंद्र मोदी की देश के लिए खतरनाक और घातक नीति का प्रतिफल है?
यह तो कुछ उदाहरण मात्र हैं अरुण शौरी, ऐसे उदाहरणों की सूची बहुत लम्बी है.
यह अरुण शौरी पहली बार ऐसा नहीं कर रहे है.
पिछले वर्ष मई में भी इन्होने यही सब कहा था. तब आज से साल भर पहले ही मैंने लिखा था कि अरुण शौरी क्यों नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगल अरे हैं.
मोदी सरकार के खिलाफ शौरी साहब का तिलमिलाना. आग बबूला होना स्वाभाविक ही है.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की अबतक की नीति-रीति से महान पत्रकार अरुण शौरी आगबबूला हो गए हैं. उनका मानना है कि मोदी सरकार ने अबतक कोई काम नहीं किया है और केवल सुर्खियां बटोरने में जुटी है. उनका दुःख यह भी है कि भाजपा पर मोदी, अमित शाह और जेटली की तिकड़ी ने कब्ज़ा कर लिया है.
शौरी साहब ने यह सब बातें एक इंटरव्यू में कही हैं जिसका ढिंढोरा कुछ न्यूजचैनली कोठों पर धूमधाम से पीटा जा रहा है.लेकिन वो न्यूजचैनली कोठे यह बताने से परहेज कर रहे हैं कि शौरी साहब के आगबबूला होने का वास्तविक कारण क्या है.
तो मित्रों अब जरा यह भी समझ लीजिये कि मोदी सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर शौरी साहब आगबबूला क्यों हो रहे हैं.
अटल जी की एनडीए सरकार में अडवाणी का प्रियपात्र होने के कारण शौरी साहब को एक नया मंत्रालय (विनिवेश मंत्रालय) गठित कर उसका मंत्री बनाया गया था. इस मंत्रालय को काम सौंपा गया था घाटे वाले सरकारी उपक्रमों को बेंचने का. मंत्रालय संभालते ही शौरी साहब ने कमाल दिखाना शुरू किया था. उदयपुर स्थित उस भव्य सरकारी होटल लक्ष्मी विलास पैलेस को केवल 7.52 करोड़ में "दिल्ली" के एक घराने को बेच डाला था जिस लक्ष्मी विलास पैलेस होटल की केवल जमीन मात्र की कीमत उस समय की सरकारी दरों के अनुसार 151 करोड़ रू थी. इसी तरह मुंबई के जिस सेंटूर एयरपोर्ट होटल को शौरी साहब के विभाग ने केवल 83 करोड़ रू में फिर से "दिल्ली" के ही एक मशहूर घराने को बेच दिया था उसे केवल 5 महीने बाद ही उस घराने ने 115 करोड़ में "सहारा" परिवार को बेच कर 32 करोड़ मुनाफा कमा डाला था. तब यह चर्चा खूब गर्म रही थी कि 115 करोड़ की रकम तो कागज़ी सौदे की है. इस रकम के अलावा नंबर दो में 150 करोड़ और वसूले गए हैं. ध्यान रखिये कि शौरी अडवाणी और होटल खरीदने वाले घराने दिल्ली के ही हैं. यह तो केवल दो उदाहरण मात्र हैं. उस दौरान ऐसे उदाहरणों की लम्बी कतार लगा दी थी शौरी जी ने.
2004 में अटल सरकार की सत्ता से विदाई में इस लम्बी कतार ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी.
अब आइये आज के मुद्दे पर. मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सत्ता संभालने के बाद खुली सरकारी सम्पत्तियों की ऐसी खुली लूट की CBI की फाइलों की चपेट में उदयपुर का लक्ष्मी विलास पैलेस होटल भी आ गया. शौरी साहब के उस समय के सिपहसालार रहे प्रदीप बैजल के खिलाफ 29 अगस्त 2014 को CBI ने केस भी दर्ज़ कर लिया था. उसकी आंच कहां तक पहुंचेगी यह अनुमान आसानी से लगा सकते हैं आप. 2004 से 2014 तक अडवाणी जी सोनिया गांधी के खिलाफ क्यों नहीं आक्रामक हुए.? कालेधन पर सोनिया का नाम लिए जाने पर सोनिया से चिट्ठी लिखकर अडवाणी ने माफ़ी क्यों मांगी थी.? इन सवालों के जवाबों के तार भी उपरोक्त घटनाक्रमों से जुड़े हुए हैं. अब मोदी सरकार आने के बाद मामला "सलट" नहीं पा रहा है अतः मोदी सरकार के खिलाफ शौरी साहब का तिलमिलाना. आग बबूला होना स्वाभाविक ही है.
क्योंकि न्यूजचैनली कोठे पूरा सच नहीं बता रहे हैं इसलिए संक्षेप में यह सच लिखना पढ़ा.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की अबतक की नीति-रीति से महान पत्रकार अरुण शौरी आगबबूला हो गए हैं. उनका मानना है कि मोदी सरकार ने अबतक कोई काम नहीं किया है और केवल सुर्खियां बटोरने में जुटी है. उनका दुःख यह भी है कि भाजपा पर मोदी, अमित शाह और जेटली की तिकड़ी ने कब्ज़ा कर लिया है.
शौरी साहब ने यह सब बातें एक इंटरव्यू में कही हैं जिसका ढिंढोरा कुछ न्यूजचैनली कोठों पर धूमधाम से पीटा जा रहा है.लेकिन वो न्यूजचैनली कोठे यह बताने से परहेज कर रहे हैं कि शौरी साहब के आगबबूला होने का वास्तविक कारण क्या है.
तो मित्रों अब जरा यह भी समझ लीजिये कि मोदी सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर शौरी साहब आगबबूला क्यों हो रहे हैं.
अटल जी की एनडीए सरकार में अडवाणी का प्रियपात्र होने के कारण शौरी साहब को एक नया मंत्रालय (विनिवेश मंत्रालय) गठित कर उसका मंत्री बनाया गया था. इस मंत्रालय को काम सौंपा गया था घाटे वाले सरकारी उपक्रमों को बेंचने का. मंत्रालय संभालते ही शौरी साहब ने कमाल दिखाना शुरू किया था. उदयपुर स्थित उस भव्य सरकारी होटल लक्ष्मी विलास पैलेस को केवल 7.52 करोड़ में "दिल्ली" के एक घराने को बेच डाला था जिस लक्ष्मी विलास पैलेस होटल की केवल जमीन मात्र की कीमत उस समय की सरकारी दरों के अनुसार 151 करोड़ रू थी. इसी तरह मुंबई के जिस सेंटूर एयरपोर्ट होटल को शौरी साहब के विभाग ने केवल 83 करोड़ रू में फिर से "दिल्ली" के ही एक मशहूर घराने को बेच दिया था उसे केवल 5 महीने बाद ही उस घराने ने 115 करोड़ में "सहारा" परिवार को बेच कर 32 करोड़ मुनाफा कमा डाला था. तब यह चर्चा खूब गर्म रही थी कि 115 करोड़ की रकम तो कागज़ी सौदे की है. इस रकम के अलावा नंबर दो में 150 करोड़ और वसूले गए हैं. ध्यान रखिये कि शौरी अडवाणी और होटल खरीदने वाले घराने दिल्ली के ही हैं. यह तो केवल दो उदाहरण मात्र हैं. उस दौरान ऐसे उदाहरणों की लम्बी कतार लगा दी थी शौरी जी ने.
2004 में अटल सरकार की सत्ता से विदाई में इस लम्बी कतार ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी.
अब आइये आज के मुद्दे पर. मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सत्ता संभालने के बाद खुली सरकारी सम्पत्तियों की ऐसी खुली लूट की CBI की फाइलों की चपेट में उदयपुर का लक्ष्मी विलास पैलेस होटल भी आ गया. शौरी साहब के उस समय के सिपहसालार रहे प्रदीप बैजल के खिलाफ 29 अगस्त 2014 को CBI ने केस भी दर्ज़ कर लिया था. उसकी आंच कहां तक पहुंचेगी यह अनुमान आसानी से लगा सकते हैं आप. 2004 से 2014 तक अडवाणी जी सोनिया गांधी के खिलाफ क्यों नहीं आक्रामक हुए.? कालेधन पर सोनिया का नाम लिए जाने पर सोनिया से चिट्ठी लिखकर अडवाणी ने माफ़ी क्यों मांगी थी.? इन सवालों के जवाबों के तार भी उपरोक्त घटनाक्रमों से जुड़े हुए हैं. अब मोदी सरकार आने के बाद मामला "सलट" नहीं पा रहा है अतः मोदी सरकार के खिलाफ शौरी साहब का तिलमिलाना. आग बबूला होना स्वाभाविक ही है.
क्योंकि न्यूजचैनली कोठे पूरा सच नहीं बता रहे हैं इसलिए संक्षेप में यह सच लिखना पढ़ा.
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