Saturday, March 5, 2016

गिरगिट हिन्दू और मकड़ी मुसलमान

गिरगिट हिन्दू और मकड़ी मुसलमान
----------------------------------------
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी को "तोजो का कुत्ता" कहने वाले, 1962 में भारत-चीन युद्ध में चीन का साथ देने वाले, बंगाल जैसे संपन्न राज्य को अपने दशकों के शासन में गरीबी-भुखमरी-बेरोजगारी के नरक में झोंकने वाले नीच बामपंथीयों को "जिहादी नक्सल यूनिवर्सिटी" में विकास -आजादी और देशभक्ति का प्रोपगेंडा करते देख यह मशहूर किस्सा याद आया।
इन्ही लाल चड्डी गैंग की तरह मदरसों में भी मासूम बच्चों का "माईंडवाश" किया जाता है, यह बचपन का किस्सा भी उसी की एक बानगी है। दरअसल मदरसे में मौलाना साहेब हमें "कर्बला जंग" के बारे में बता रहे थे। कर्बला के जंग में इमाम हुसैन साहब "हिन्दुओं की फ़ौज" से अपने परिवार और बच्चों के साथ जान बचाने के लिए एक सूखे कुँवें में छिप जाते हैं।
तभी अल्लाह अपने बन्दों की रक्षा के लिए एक फरिश्ता भेजता है, जो मकड़ी के रूप में आकर उसे कुँवे को जाले से कुछ इस तरह ढँक देता है, जिससे से की कुँवे के अंदर झाँकने से बाहर वालों को कुछ दिखाई न दे।
लेकिन तभी हिन्दुओं के देवता ने गिरगिट के वेश में आकर कुँवे के मुंडेर पर बैठ "हिन्दुओं के फ़ौज" को बार-बार सर हिलाकर हुसैन साहब के अंदर छिपे होने का इशारा कर देता है। हिन्दुओं की फ़ौज जाले को हटाती है और हुसैन साहब को कुनबे समेत क़त्ल कर देती है। किस्सा सुनकर बच्चे "हाय हुसैन" करने लगे और हिन्दुओं के लिए लानत बरसाने लगे।
-----------------------------------------------------------------------
जब की हकीकत यह है की --- इमाम अली साहेब और उनके बेटे हसन और हुसैन के साथ अन्याय शुरुआत से ही इन्ही सुन्नियों ने किया। मुआविया और उसके बेटे यजीद सुन्नी खलीफा अबु-बकर, उमर और उस्मान की मदद से ही इस कुकृत्य को अन्जाम देने में सफल हुए थे। और फाइनली निहत्थे इमाम हुसैन साहब की कुनबे सहित "कर्बला" में जघन्य हत्या कर दी गयी। शिम्र नामके व्यक्ति ने इमाम हुसैन का सर काट कर उनको शहीद कर दिया , शिम्र बनू उमैय्या का कमांडर था। उसका पूरा नाम "Shimr Ibn Thil-Jawshan Ibn Rabiah Al Kalbi (also called Al Kilabi (Arabic: شمر بن ذي الجوشن بن ربيعة الكلبي) था।
दूसरी बात भारतीय हिंदुओं में एक परिवार या समुदाय "हुसैनी ब्राह्मण" कहलाता है, हुसैनी ब्राह्मण दरदना भट्टाचार्य के वंशज थे. उनमें आत्माभिमान, बहादुरी, और रहमत कूट-कूट कर भरी थी, वे इमाम अली साहब और उनके परिवार के प्रति सम्मान और आस्था रखते थे। कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत की खबर सुनी तो हुसैनी ब्राह्मण रिखब दत्त इराक पहुंचे।
यजीद के सैनिक इमाम हुसैन के शरीर को मैदान में छोड़कर चले गए थे। तब रिखब दत्त ने इमाम के सर को अपने पास छुपा लिया था। यूरोपी इतिहासकार रिखब दत्त के पुत्रों के नाम इसप्रकार बताते हैं ,1 सहस राय ,2हर जस राय 3,शेर राय ,4राम सिंह ,5राय पुन ,6गभरा और7 पुन्ना। बाद में जब यजीद को पता चला तो उसके लोग इमाम हुसैन का सर खोजने लगे कि यजीद को दिखा कर इनाम हासिल कर सकें। जब रिखब दत्त ने सर का पता नहीं दिया तो यजीद के सैनिक एक एक करके रिखब दत्त के पुत्रों से सर काटने लगे ,फिर भी रिखब दत्त ने पता नहीं दिया। सिर्फ एक लड़का बच पाया था। जब बाद में मुख़्तार ने इमाम के क़त्ल का बदला ले लिया था तब विधि पूर्वक इमाम हुसैन के सर को दफनाया गया।
रिखब दत्त के इस बलिदान के कारण उसे सुल्तान की उपाधि दी गयी थी और उसके बारे में "जंग नामा इमाम हुसैन " के पेज 122 में यह लिखा हुआ है ,"वाह दत्त सुल्तान ,हिन्दू का धर्म मुसलमान का इमान,आज भी रिखब दत्त के वंशज भारत के अलावा इराक और कुवैत में भी रहते हैं ,और इराक में जिस जगह यह लोग रहते है उस जगह को आज भी हिंदिया कहते हैं।
-------------------------------------------------------------
जिस रसूल के नाम का कलमा पढ़ा, उसी के नवासे को परिवार सहित निर्दयता से क़त्ल कर उसका दोष निर्दोष हिन्दुओं पर मढ़ने वाले सुन्नियों और नीच बामपंथियों का प्रोपगेंडा फ़ैलाने में महारथ हासिल है

2 comments:

  1. एक और सत्य कहानी बहराइच में महाराजा सुहेलदेव भर ने गाजी को मारने लगे तो भागते भागते येक कूवा/गुफा में छिप गया पीछा करते महाराजा सुहेलदेव भर ने उसी गुफा के तरफ नजर पड़ी और ऐसा कही जगह नहीं मिली जहां वह छिप सकता है आगे बढ़ते हुई गुफा पर नजर पड़ी तो एक मकड़ी अपनी जाल से गुफा को ढक दी थी साफ नजर नहीं आ रहा था मगर गुफा के को ईसरा कराता गिरगिट अपना सर हिलाया तो राजा को समझते देर नहीं हुआ महाराजा सुहेलदेव भर गुफा में हमला कर दिए और गाजी मारा गया
    इसी कारण मुस्लिम गिरगिट को मारते है

    ReplyDelete