60 सालों मे हमने काम नही किया, तो बीजेपी को कैसे करने देंगे...?
आश्चर्य नहीं कि नरेंद्र मोदी सरकार अपने पांच साल पूरे करते करते घोर विरोध में घिरकर देश की जनता के सामने ऐसी प्रतीत हों, जैसे उसने देश की उम्मीदों को ठगा हो। क्योंकि जिस गति से देश के विकास विरोधीजन मोदी सरकार पर निशाना साधे जा रहे हैं, यहां तक कि संसद को चलने नहीं दिया, प्रेस कांफ्रेंस के जरिये नित नये फिजूल के मुद्दे उठा रहे हैं, और सरकार को कटघरे में खड़ा कर देश के हितों के साथ गंदा खेल खेला जा रहा है, इन सब को देखते हुए यही लगता है कि बड़े ही शातिराना ढंग से सरकार को असफल दिखाने की कोशिशें की जा रही हैं और इससे जनता की उम्मीदों पर पानी फिरता जा रहा है।
संसद से बाहर अरविन्द केजरीवाल जैसे नेता हैं, जो हंगामा खड़ा कर सरकार के खिलाफ वातावरण बना रहे हैं। दरअसल इस देश की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि यहां की जनता का बहुत बड़ा हिस्सा सच नहीं देख पाता। वो वही देखता है जो मीडिया उसे दिखाती है। मीडिया वही दिखाती है, जिसमे उसका टीआरपी वाला कॉलम भरा हुआ रहे।
जनता को लगता है मानो कोई भूचाल आ गया हो और उस भूचाल को सरकार दबाने में नाकामयाब हो रही है। दरअसल भूचाल पैदा किया जा रहा है। कृत्रिम तरीके से पैदा किया जा रहा है ताकि मोदी सरकार नेस्तनाबूद हो सके , वह जनता की आंखों से उतर सके और फिर वे ही लोग काबिज हों जिन्होंने घोटालों और भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर ली थी।
सच तो यह है कि भारत में पहली बार एक ऐसी सरकार अपने पूरे बहुमत के साथ विराजी है, जिसमें देशभक्ति और देश हितार्थ कार्य करने का पूरा पूरा सामर्थ्य दीखता है। सच यह भी है कि अपनी सरकार के पहले दिन, पहले मिनिट से ही उसने अपने लोक हितार्थ कार्य करने की शुरुआत कर दी थी। सच यह भी है कि जनता से चुनावों में किये गए वादे एकाध दिनों में पूरे नहीं होते हैं।
सच यह भी है कि देश की जो हालत मोदी सरकार को मिली वह दयनीय और बद से बदतर थी जिसे सामान्य बनाने की प्रक्रिया में ही वक्त लगेगा। सच यह भी है कि इस सरकार ने अपने सारे कदम बेमिसाल ढंग से उठाते हुए विश्व में एक पहचान बनाई है। सच यह भी है कि इसी कामयाबी के डर से विपक्ष हड़बड़ा गया है और सरकार के खिलाफ रणनीतियां बनाने में जुट चुका है।
डेढ़ वर्ष से अधिक हो चुका है , अब तक के कार्यों का आकलन करेंगे तो पाएंगे इस सरकार का कोई भी मंत्री किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार या घोटालों में लिप्त नहीं पाया गया। अरविन्द केजरीवाल जैसे नेता जिन अरुण जेटली पर आरोप लगाते नजर आते हैं, वो सिवाय सरकार की विकास गति को रोकने तथा बदनाम करने का षड़यंत्र है।
दरअसल अपनी ईमानदारी के जिस ढकोसले में वे जनता को मूर्ख बनाते आ रहे हैं, अपनी तथाकथित ईमानदारी का जो चोला उन्होंने पहन रखा है, वो उनके ही ख़ास और करीबी व्यक्ति के भ्रष्टाचार में फंसने से उतरता दिखने लगा है, जिसे छिपाने और मुद्दे को भटकाने के लिए ही उनका यह सारा व्यूह चक्र रचा गया है। वरना क्या कारण था कि सीबीआई की एक रेड से उनकी तिलमिलाहट सातवें आसमान पर पहुंच गई और तुरत फुरत बदले की भावना को आकार देते हुए उन्होंने डीडीसीए के मुद्दे को उछाल कर जेटली विवाद का रूप दे दिया? जबकि उन्हें तो अपने उस अधिकारी की बेईमानी पर खड़े होकर अपनी ईमानदारी प्रकट करनी चाहिए थी , जिसका डंका वे और उनके समर्थक पीटते रहे हैं।
बहरहाल , क्या आप जानते हैं सरकार कौन-कौन से बिल लेकर संसद में है ? क्या आपको पता है कि सरकार ने लोक हितार्थ कार्यों को अंजाम देने के लिए संसद में विपक्ष से सहयोग की मांग की है? क्या आप जानते हैं कि देश का प्रधानमंत्री 18-18 घंटे सतत कार्य कर रहा है? क्या आपको पता है कि ‘सबका साथ , सबका विकास’ मंत्र को लेकर चल रहे प्रधानमंत्री और उनकी सरकार पर कैसे-कैसे कीचड़ उछाला जा रहा है?
कभी धार्मिक विवाद को लेकर तो कभी जातिगत मसलों को लेकर , कभी ऐसे मुद्दो को लेकर जिसका वर्तमान समय में कोई अर्थ ही नहीं है तो कभी किसी मंत्री या किसी नेता की टिप्पणियों को प्रचारित कर उसे कुप्रचार में तब्दील कर। माना कि विपक्ष कभी नहीं चाहेगा कोई सरकार अपने किये गए वादों में सफल हो जाए। किन्तु वो देश हित भी न चाहता हो , इससे बड़ी देश के लिए खराब बात क्या हो सकती है। शीतकालीन सत्र भी ऐसे ही ख़त्म हो गया। कई महत्वपूर्ण बिल बिना पास हुए ही रह गए।
इसलिए #नमो के साथ रहे क्योकि जब गर्मी लू के साथ पड़ रही है तो बरसात भी अच्छी ही होगी ।
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