दिल्‍ली के बाद बिहार में हाथ जला चुकी भाजपा के लिए असम की जीत ने संजीवनी का काम किया है। बिहार में पूरा दमखम लगाने के बाद भी जीत से दूर रहने वाली भाजपा ने पूर्वोत्तर के इस सबसे महत्वपूर्ण राज्य में जीत हासिल करने के लिए अलग रणनीति पर काम किया। न यहां प्रधानमंत्री मोदी उसके स्टार प्रचारक थे न उनका चेहरा।
न इस चुनाव को भाजपा ने नाक का प्रश्न बनाकर वोटरों पर किसी तरह का दबाव बनाया न बिहार चुनाव की तरह बड़े बड़े वादे किए। भाजपा यहां पूरी तरह बदली रणनीति के साथ उतरी और खामोशी से जीत का सफर तय किया। आइए निगाह डालते हैं उन पांच बड़े कारणों पर जिनसे असम में भाजपा की राह आसान हुई।