2019 के लोकसभा चुनाव तक Congress का सफाया हो जाएगा. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि कांग्रेस के हालात इस तरफ इशारा कर रहे हैं।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में Congress ने अपने इतिहास का सबसे बुरा प्रदर्शन किया था। देश की सबसे पुरानी पार्टी महज 44 सीटों पर सिमट के रह गई थी। हार के सदमें से Congress अभी तक उबर नहीं पाई है। 2014 के बाद से जिस तरह कांग्रेस खुद को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही उस से भविष्य के अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं। कहा जा रहा है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस का शायद सफाया हो जाए। हलांकि ये कहना अतिश्योक्ति होगा लेकिन हालात कुछ ऐसे ही दिख रहे हैं। इसके पीछे के कुछ कारण हैं जो हम आपको बता रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं पर चलते कानूनी मामले
फंड की कमी से जूझती कांग्रेस
लोकसभा चुनाव हारने के बाद से Congress के फंड में लगातार गिरावट देखी जा रही है। कांग्रेस के पास पैसों की सख्त कमी है। अफवाहें तो यहां तक हैं कि Congress ने पार्टी नेताओं से पैसे देने की अपील की है। ये पहली बार है जब विपक्ष में होने के बाद कांग्रेस पैसों की कमी से जूझ रही है। यही हाल रहा तो 2019 तक पार्टी कैसे सर्वाइव कर पाएगी।हाथ से निकलती राज्य सरकारें
राज्यसभा में भी कांग्रेस की हालत खराब होगी
हाल के दिनों में देखा गया है कि केंद्र सरकार लोकसभा में विपक्ष के हंगामे पर खामोश रह जाती है। लेकिन 2016 तक ये खत्म हो जाएगा। 2016 तक बीजेपी राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी। 2018 तक Congress और बीजेपी के बीच का अंतर और बढ़ जाएगा। ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि जब बीजेपी दोनो सदनों में बहुमत में होगी तो क्या होगा। कांग्रेस के भविष्य के लिए ये खतरे की घंटी से कम नहीं है।बीजेपी की पसंद के होंगे राष्ट्रपति
2012 तक राष्ट्रपति चुनाव में Congress की मर्जी चलती थी। यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेई को एपीजे अब्दुल कलाम का नाम आगे करना पड़ा ताकि सबकी सहमति बन सके। लेकिन 2017 तक बीजेपी लोकसभा राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों के आधार पर राष्ट्रपति चुनाव में अपने मर्जी चलाएगी। बीजेपी की पसंद का राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति होने से कांग्रेस के पास विकल्प और कम हो जाएंगे। यानि कांग्रेस एक कोने में दिखाई देगी।बिजली-सड़क-रेल बीजेपी का नया मंत्र
मोदी सरकार के तीन मंत्रालय और उनकी मंत्री लगातार काम कर रहे हैं। रेल मंत्री सुरेश प्रभु, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और ऊर्जा मंत्री पीयूश गोयल सरकारी नीतियों को हकीकत का जामा पहनाने में लगे हैं। 2018 तक इनका काम और नतीजा जनता को दिखाई देने लगेगा। बिजली-पानी-सड़क के बदले बीजेपी बिजली-सड़क-रेल के मुद्दे पर जनता का दिल जीतेगी। Congress के लिए इसका मुकाबला करना बहुत कठिन होगा, क्योंकि कांग्रेस शासित राज्यों में गवर्नेंस बिखरा हुआ दिखाई दे रहा है।कौन होगा कांग्रेस का पीएम कैंडिडेट?
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेसCongress की तरफ से पीएम कैंडिडेट कौन होगा इस पर भी कांग्रेस का भविष्य निर्भर करता है। पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए राहुल गांधी नाकाफी हैं। कांग्रेस किसी और नेता को आगे नहीं बढ़ा रही है। क्या कांग्रेस गठबंधन के सहारे चुनाव में उतरेगी, तो फिर पीएम कैंडिडेट के लिए मारामारी होगी। यानि यहां भी कांग्रेस के लिए हालात अच्छे नहीं दिख रहे हैं। पीएम मोदी के काम से जनता खुश लग रही है और कांग्रेस के पास इसकी कोई काट नहीं है।पीएम मोदी की रहस्यमयी रणनीति
पीएम मोदी को आज की तारीख में देश का सबसे चलाक नेता माना जाता है। इसके पीछे कारण भी है। नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन की सभी महत्वपूर्ण चुनावी लड़ाईयां जीती हैं। उनके दिमाग में मिशन 2019 को लेकर खास रणनीति जरूर होगी। जिस तरह से 2014 में नरेंद्र मोदी की रणनीति ने Congress को 44 सीटों पर ला दिया उसी तरह 2019 के लिए भी पीएम मोदी के पास जरूर कोई खास रणनीति होगी। जिसका काट खोजना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।
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