Thursday, May 19, 2016

बड़ा खुलासा !! ये RTI गाँधी भक्तों के मुह पर जोरदार तमाचा है,जो गाँधी को “राष्ट्रपिता” बताते है.


 बड़ा खुलासा !! ये RTI गाँधी भक्तों के मुह पर जोरदार तमाचा है,जो गाँधी को “राष्ट्रपिता” बताते है.




महात्मा गांधी को सरकार द्वारा ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि नहीं दी जा सकती क्योंकि संविधान में शैक्षणिक अथवा सैन्य उपाधियों के अलावा अन्य कोई उपाधि देने की इजाजत नहीं है। गृहमंत्रालय ने यह जानकारी दी।
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इतिहास के अनुसार, महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि सर्वप्रथम नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने छह जुलाई, 1944 को सिंगापुर रेडियो पर अपने सम्बोधन में दी थी। इसके बाद 28 अप्रैल, 1947 को सरोजिनी नायडू ने एक सम्मेलन में उन्हें यही उपाधि दी।गांधी की मृत्यु के बाद जवाहर लाल नेहरू ने देश कोसंबोधित करते हुए  कहा था की राष्ट्रपिता अब नहीं रहे !”।
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लखनऊ की छठी कक्षा की छात्रा ऐश्वर्या पराशर ने अपने सवाल से प्रधानमंत्री कार्यालय को निरुत्तर कर दिया। सूचना के अधिकार (आरटीआई) का इस्तेमाल करते हुए उसने पूछा था कि महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि कब और किस आदेश के तहत दी गई थी?ऐश्वर्या ने 13 फरवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे आवेदन में उस आदेश की प्रति भी मांगी थी, जिसके तहत मोहन दास करमचंद गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि दी गई। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने जवाब में कहा कि इस सम्बंध में उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि उसे गांधी पर आरटीआई दाखिल करने और इसे प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजे जाने की प्रेरणा कहां से मिली, ऐश्वर्या ने कहा कि इस बारे में उसने स्कूल की सामाजिक अध्ययन की पुस्तक में पढ़ा था। तभी से यह प्रश्न उसके दिमाग में घूम रहा था कि महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ क्यों कहा जाता है?

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