Saturday, April 30, 2016

महाराष्ट्र की कन्हैया कुमार हैं तृप्ति देसाई : मुंबई पुलिस

महाराष्ट्र की कन्हैया कुमार हैं तृप्ति देसाई: मुंबई पुलिस


तृप्ति देसाई को हैंडल करना मुंबई पुलिस के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। जॉइंट पुलिस कमिश्नर देवेन भारती (लॉ ऐंड ऑर्डर) ने कहा,’हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि तृप्ति देसाई वापस मुंबई शहर के दायरे में न आएं। इसलिए हमने उनके साथ दो महिला पुलिस कॉन्स्टेबलों को उनसे साथ पुणे तक भेजा।’
गुरुवार को 12 घंटों तक तृ्प्ति ने पुलिस की नाम में दम करके रखा था। जबसे उन्होंने हाजी अली दरगाह में जाकर प्रार्थना करने का ऐलान किया था, तब से हालात को संभालने के लिए दरगाह को बैरिकेड्स से घेर दिया गया था, इसके साथ ही बड़ी संख्या में सुरक्षा बल भी तैनात किए गए थे। हालांकि तृप्ति के समर्थकों को शाम चार बजे से पांच बजे तक दरगाह के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति मिल गई थी। लेकिन तृप्ति शाम छह बजे के करीब वहां पहुंची। वह अपनी कार से भी नहीं उतर पाईं थीं कि उन्हें वहां से हटा दिया गया क्योंकि भीड़ ने हिंसक होने की धमकी दे दी थी। लोग उनकी कार पर मुक्के मार रहे थे और उनके खिलाफ नारे लगा रहे थे।
वहां से हटाए जाने के कुछ घंटों बाद तृ्प्ति फिर वापस आकर दरगाह के सामने समुद्र के पास बैठ गईं थी। पहले वह मजार में घुसने की जिद कर रही थीं लेकिन जब वह वापस आईं तो उन्होंने कहा कि वह दरगाह के अंदर प्रोटेस्ट करना चाहती हैं। आखिरकार उन्होंने कहा कि वह सिर्फ प्रार्थना करना चाहती हैं और आगे आने वाले दिनों में अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगी। देवेन भारती के मुताबिक,’वह सिर्फ तमाशा खड़ा कर रही थीं। हमने उनसे कहा था कि अगर वह शांतिपूर्वक अंदर जाना चाहती हैं तो हम उन्हें सुरक्षा देने के लिए तै
यार हैं। लेकिन जैसे ही रात के 10 बजे उन्होंने कहना शुरु कर दिया कि पुलिस ने उन्हें दरगाह में जाने से रोका है और वह मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन करेंगी।’
इसके बाद रात साढ़े दस बजे प्रदर्शन करने की उनकी योजना रद्द कर दी गई। पुलिस ने उनके समर्थकों को हिरासत में ले लिया। डेप्युटी कमिश्नर मनोज कुमार शर्मा ने बताया,’हमने उन्हें समझाया कि उन्हें प्रोटेस्ट करने या सीएम से मिलने की इजाजत नहीं है। हमने उनसे घर जाने के लिए कहा लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। आखिरकार हमें उन्हें रोकना पड़ा और आजाद मैदान ले जाना पड़ा।’ मनोज शर्मा ने तृप्ति देसाई की तुलना जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार से की। उन्होंने कहा कि तृप्ति देसाई महाराष्ट्र की कन्हैया कुमार बन गई हैं।
आजाद मैदान में तृप्ति को तकरीबन दो घंटे तक रखा गया जहां उनके साथ भारी सुरक्षाबल भी मौजूद था। शुक्रवार सुबह तकरीबन पौने एक बजे देसाई को घर जाने के लिए मना लिया गया। पुलिस ने पहले उन्हें नवी मुंबई तक ड्रॉप करने की सोचा था लेकिन बाद में डीसीपी शर्मा ने उन्हें यह कहकर पुणे भेज दिया कि मुंबई में उनकी जान को खतरा हो सकता है।

Friday, April 29, 2016

जानें, कौन होगा यूपी में भाजपा का सीएम उम्मीदवार ?

जानें, कौन होगा यूपी में भाजपा का सीएम उम्मीदवार ?


यूपी चुनाव भाजपा के लिए काफी अहम होने वाला है। दिल्ली और बिहार में करारी शिकस्त होने के बाद, भाजपा के लिए यूपी का चुनाव नाक की लड़ाई बनने वाला है। दिल्ली और बिहार में भाजपा के पास वहां के स्थानीय नेताओं के कद का कोई भी नेता नहीं ता जो उन्हें चुनौती दे सके। ये बात भाजपा बखूबी समझती है। उसे पता है कि अगर उसने यूपी में पार्टी के लिए चेहरा घोषित नहीं किया तो दिल्ली और बिहार की तरह उसे यहां भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही वजह है कि पार्टी अपना हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। 

 

पार्टी ने इसी कड़ी में एक अपनी ही तरह की सोसल इंजीनियरिंग आजमाते हुए केशव प्रसाद मौर्य को यूपी में भाजपा का अध्यक्ष बनाया है। हालांकि उनकी छवि उतनी अच्छी नहीं है कि पार्टी उन्हें सीएम पद के लिए प्रोजेक्ट किया जाए। अब सवाल उठता है कि पार्टी फिर किसे सीएम पद के लिए प्रोजेक्ट कर सकती है। आईए, कुछ नामों पर नजर डालते हैं।

1.योगी आदित्यनाथ: भाजपा के फायरब्रांड सांसद माने जाने वाले योगी कट्टर हिंदुत्व नेता हैं। योगी मजह 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे और तब से लगातार पांचवी बार सांसद हैं। अगर पार्टी योगी को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करती है तो वोटों का ध्रुवीकरण होना तय है। राजपुत होने की वजह से उन्हें उच्च वर्ग का समर्थन मिलेगा। अपनी हिंदुवादी छवि की बदौलत वो ओबीसी वोटरों को भी अपने पाले में कर सकते हैं।

2.स्मृति इरानी: हाल के दिनों में स्मृति भाजपा के लिए एक मजबूत नेता बन कर उभरी हैं। जिस तरह से उन्होंने राहुल गांधी का सामना किया है, ये पार्टी में उनकी छवि को और ज्यादा धार देता है। वो एक कुशल वक्ता हैं और लोगों को अपने पाले में कर सकती हैं। इरानी के अमित शाह से रिश्ते बहुत मधुर नहीं माने जाते हैं लेकिन वो पीएम मोदी की करीबी हैं और इस वक्त भाजपा में पीएम मोदी के करीबी होने का मतलब है कि सभी दरवाजे खुले होते हैं। 

3.वरुण गांधी: युवा होने की वजह से पार्टी के लिए काफी मददगार हो सकते हैं। वरुण गांधी को पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाल दिया था लेकिन इसके पीछे की वजह पार्टी की वन फैमिली, वन पोस्ट की नीति बताई गई। वरुण कई बार पार्टी लाईन से हटकर भी बयान दे चुके हैं जिस वजह से पार्टी को फजीहत झेलनी पड़ी है।


4.कल्याण सिंह: 84 साल के हो चुके कल्याण सिंह को भले हीं उम्र साथ नहीं दे रही हो, लेकिन यूपी का वोटर कंबिनेशन उनको अब भी इस रेस में शामिल करता है। लोधों के नेता माने जाने वाले कल्याण सिंह एक वक्त यूपी में भाजपा के सबसे कट्टर हिंदुवादी नेता माने जाते थे। कल्याण सिंह अपने सीएम पद की उम्मीदवारी से जुड़े सवालों पर टाल-मटोल करते रहे हैं। ये इस बात की ओर इशारा करता है कि वो भी इसके लिए इच्छुक हैं।    

सोनिया गांधी हिन्दुओ के साथ वो करना चाहती थी जो बर्बर औरंगजेब ने भी नहीं किया था

सोनिया गांधी हिन्दुओ के साथ वो करना चाहती थी जो बर्बर औरंगजेब ने भी नहीं किया था |

औरंगजेब और अन्य मुगलो, तथा मुस्लिम हमलावरों ने भारत में हिन्दुओ का कत्लेआम किया
हिन्दू महिलाओं का बलात्कार किया, मंदिर तोड़े, धर्म का नाश किया ये सब हम इतिहास पढ़कर जानते है
परन्तु जो काम औरंगजेब ने भी हिन्दुओ के साथ नहीं किया वो काम सोनिया गांधी की कांग्रेस हिन्दुओ के साथ करना चाहती थी, यानि हिन्दुओ का पूरा सफाया 

इसके लिए सोनिया गांधी और कांग्रेस ने ये 2 मुख्य षड्यंत्र रचे थे 
1 - पहला षड्यंत्र था हिन्दुओ को आतंकवादी घोषित करनाइसके तहत सरकार ने जिसके गृहमंत्री सुशिल कुमार शिंदे थे उन्होंने"हिन्दू आतंकवाद"शब्द का प्रयोग किया याद रखें आजतक भारत में सरकार ने कभी "मुस्लिम आतंकवाद" शब्द का प्रयोग नहीं किया षड्यंत्र 2004 में इनकी सरकार के बाद ही शुरू हो गया था जिसके तहत 2006 मालेगाव ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, हैदराबाद की मस्जिद में ब्लास्ट
इन सबको करवाकर हिन्दू नेताओं को पकड़ना,देश तथा दुनिया में हिन्दू आतंकवादी है ऐसा दिखाना
इस षड्यंत्र में सुशिल कुमार शिंदे से पहले चिदंबरम मुख्य रूप से शामिल थे

ब्लास्टों के बाद हिन्दू नेताओं की धरपकड़ हुई जिनपर आजतक एक भी सबूत नहीं मिले
इसके बाद कांग्रेस ने "हिन्दू आतंकवाद" शब्द का प्रयोग किया जिस से हिन्दुओ के प्रति दुनिया में एक सन्देश जाये आपको ध्यान रखना चाहिए की कांग्रेस के राहुल गांधी ने भी, हिन्दू आतंकवाद से देश को खतरा है ऐसा बयान दिया था
2 -दूसरा षड्यंत्र था हिन्दुओ के खिलाफ ऐसा कानूनकी वो अपने ही देश में गुलाम होकर रह जाये
वो कानून था "साम्प्रदायिकता विरोधी कानून"
इस कानून के तहत किसी भी इलाके में कोई भी दंगा हो, वो किसी ने भी शुरू किया हो पर उसके लिए हिन्दू को जिम्मेदार माना जायेगा
चुकी हिन्दू देश में बहुसंख्यक है, अगर कश्मीर में भी कोई दंगा हो जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक हैं फिर भी दोषी हिन्दू को ही माना जायेगा तथा जिस इलाके में दंगा हुआ उस इलाके के हिन्दुओ पर केस चलाया जायेगा
इस कानून में ये भी नियम था की अगर दंगा हुआ और हिन्दू महिला का बलात्कार हुआ तो उस बलात्कार को नहीं माना जायेगा
उदाहरण के तौर पर बंगाल के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में भी दंगा हुआ और वहां हिन्दू महिलाओं का बलात्कार हुआ तो बलात्कार का केस ही नहीं चलेगा
इस कानून के हिसाब से , दंगो के समय हिन्दू महिला का बलात्कार, कोई जुर्म ही नहीं होगा
मसलन दंगे में खूब करो हिन्दू महिला का बलात्कार

सोनिया गांधी और कांग्रेस ने षड्यंत्र रचा था की दुनिया में हिन्दुओ को आतंकवादी की तरह दिखा दो, दुनिया को लगे की भारत को तो हिन्दू आतंकवाद से ही खतरा है ताकि दुनिंया हिन्दू समाज के प्रति नफरत का भाव रख ले
वहीँ भारत में ऐसा कानून बनाओ की हिन्दुओ का जीना नर्क सामान हो जाये और
हिन्दू महिलाओं को बलात्कार की भेंट चढ़ाओ
और जब ऐसी ख़बरें आएं की हिन्दू महिलाओं का बलात्कार हो रहा है, या हिन्दुओ पर भारत में जुल्म हो रहा है
तो दुनिया उसे सच ही ना माने और हिन्दुओ को आतंकवादी समझ नफरत करती रहे और यहाँ भारत में कांग्रेस हिन्दुओ को साफ़ कर दे
इस तरह सोनिया गांधी और कांग्रेस ने भारत में पहले हिन्दुओ को गुलाम बनाने फिर समाप्त कर देना का षड्यंत्र रचा था

जानिए क्यों कायदे का एक नट बोल्ट तक बनाने की औकात नहीं भारत के पास!!

जानिए क्यों कायदे का एक नट बोल्ट तक बनाने की औकात नहीं भारत के पास
!!
ऑगस्टा वेस्टलैंड मुद्दे को लेकर जो बवाल चल रहा है इस पर अभी नहीं लिखूंगा. समय के गर्भ में काफी बातें छुपी होतीं हैं जिनके रह रहकर सामने आने पर तस्वीर बदलती रहती है.
फिलहाल अभी तो मुझे इस पर अपनी राय बनाने का सही समय नही लगता. लेकिन इस घटना ने मेरा अटेंशन उस टॉपिक पर मोड़ दिया जिस पर मैं हमेशा से लिखना चाहता था.
एविएशन फील्ड, इस फील्ड से मैं काफी समय जुड़ा रहा जिस दरम्यान मुझें अंदरखाने की काफी कुछ बातें देखने समझने को मिली. ये तो सिर्फ एक दलाली की घटना सामने आई है. सच्चाई तो ये है कि भारत में एविएशन फील्ड खड़ी ही दल्लों के कन्धों पर है. ऊपर से लेकर नीचे तक दलाल ही दलाल भरे पड़े हैं. और इसका पूरा का पूरा श्रेय जाता है कोंग्रेस सरकार को. जिसने ऐसा सिस्टम क्रिएट कर दिया की दलाली के बगैर एक कदम भी आगे बढ़ा सकना इम्पॉसिबल है.
सिविल एयरक्राफ्ट्स और एयरलाइंस के लिए रूल्स एंड रेगुलेशन की एक बुक आती है. दो पार्ट्स में, Civil Aviation Riquirements. शार्ट में CAR. इसमें वो सारे रूल्स एन्ड रेगुलेशंस लिखे होते हैं जिन्हें किसी भी एयरलाइंस के लिये फॉलो करना कम्पलसरी होता है.
कम से कम दस हजार के आस पास रूल्स एन्ड रेगुलेशंस जो कि हर हफ्ते बदलते रहते हैं. एक या दो दिन के अंतराल में भी बदल सकते हैं. अब यहीं से पैदा होती है जरूरत या मजबूरी सिस्टम में छेद कर उसे पार करने के लिये. पायलट या टेक्नीशियन का लाइसेंस लेने में, मैन्टीनेन्स करने की अथॉरिटी लेने में, यहाँ तक कि एयरक्राफ्ट्स और उसके पार्ट्स परचेज करने तक में दलाली.
आपको पता है एयरक्राफ्ट्स की मैन्युफेक्चरिंग के नाम पर अभी तक हम सिर्फ कुछ गिने चुने एयरफ्रेम ही बनाने तक सीमित हैं? इंजन, इंजन के छोटे मोटे पार्ट्स से लेकर एक छोटी सी बॉल बियरिंग तक हमे इम्पोर्ट करनी पड़ती है और DGCA के बनाये नियम इतने सख्त हैं कि हम किसी भी एयरक्राफ्ट में खुद का बनाया एक नट बोल्ट तक नही इस्तेमाल कर सकते. चाहे वो कितना भी बढ़िया क्वालिटी का क्यों ना हों.
लेकिन करते तो फिर भी हैं अगर कायदे क़ानून से चले फिर तो तोले भर के एक वॉशर के लिए भी किसी विदेशी कम्पनी को हजार से दस हजार तक चुकाने पड़ते हैं. रोज रोज बदलते नियम कानून से परेशान छोटी मोटी एयरलाइंस की मजबूरी हो जाती है मिलीभगत करने की. आपको क्या लगता है माल्या को शौक चढ़ा था बिजनेस में घाटा कराकर भागने का?
देश पर 60 सालो तक कोंग्रेस का शासन रहा. प्राकृतिक संसाधनों की ऐसी कौन सी कमी है भारत में जो आजादी के इतने सालों बाद भी हमे सिविल से लेकर अधिकतर लड़ाकू विमान तक बाहर से मंगाने पड़ते हैं? मने एक कायदे का नट बोल्ट तक मैन्यूफैक्चर करने की औकात नहीं?
सीधे कहें तो एक रूपये के हजार चुकाने पड़ते हैं...
गुलाब वाले चचा फूलचन्द से लेकर महारानी इटलीबाई तक की कॉंग्रेस पीढी ने सत्ता में बने रहने के लिये भारत को जानबूझकर जिस तरह गरीब बनाये रखा. ऐसी नीतियां लागू की जिससे हम एक दिन विकसित देशों की कतार में खड़े होने का सपना ही देखते रह

कांग्रेस - NCP ने खेल मराठा कार्ड, 20% आरक्षण, सावधान महाराष्ट्र

नीलेश राणे महाराष्ट्र को आरक्षण की आग में जलाने को तैयार कर रहा है....

कांग्रेस-NCP ने खेल मराठा कार्ड, 20% आरक्षण

मुंबई-महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र कांग्रेस एनसीपी सरकार ने मराठा कार्ड खेला है। विधानसभा चुनाव के पहले मराठा वोटरों को रिझाने के लिए सरकार ने मराठा समाज को 20 फीसदी आरक्षण देने का फैसला कर लिया है और जल्द इसका ऐलान करने वाली है। 

महाराष्ट्र की कांग्रेस एनसीपी सरकर ने मराठा समाज आरक्षण देने की दिशा में एक और क़दम बढ़ाया। शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री उद्योग मंत्री नारायण राणे ने विधानसभा में कहा की सरकार मराठा समाज को आरक्षण देगी। साथ ही में ये भी ऐलान किया कि 21 जून के बाद वो मराठा समाज को आरक्षण देने का ऐलान करेंगे।


सरकार के इस पहल को मराठा वोटबैंक को फिर अपने पाले में लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। मराठा समाज को आरक्षण देने के लिये नारायण राणे की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया गया था। राणे कमिटी ने पूरे राज्य में आर्थिक, सामाजिक रुप से पिछड़े मराठा समाज के लोगों से मुलाक़ात कर एक रिपोर्ट बनाई। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ महाराष्ट्र की कुल आबादी में 32 फीसदी मराठा समाज के लोग हैं। जिनमें से क़रीब 20 फीसदी मराठा समाज के लोग शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से दुर्बल हैं।

मराठा वोट बैंक हमेशा से कांग्रेस एनसीपी का परंपरागत वोट बैंक रहा है। कई सालों से मराठा समाज को आरक्षण देने की मांग लगातार की जा रही थी। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर कई बड़े आंदोलन भी हुए लेकिन सरकार ने गम्भीरता से नहीं लिया। नतीजा ये हुआ की नाराज़ मराठा समाज ने इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एनसीपी से मुंह मोड़ लिया। अब चूंकि विधानसभा चुनाव क़रीब हैं तो सरकार नहीं चाहती कि विधानसभा चुनाव में भी मराठा वोटबैंक से उन्हें हाथ न धोना पड़े।


वहीं, बीजेपी नेता विनोद तावड़े ने कहा कि लोकसभा चुनाव की तरह विधान सभा चुनाव में भी मुंह की ख़ानी न पड़े इसलिए ये आरक्षण देने का फ़ैसला लिया गया है। मराठा समाज आरक्षण की मांग कब से कर रहा था। इन्हें लॉलीपॉप दिया गया है। 

Thursday, April 28, 2016

क्या बुर्का न पहनकर महिलाएँ पुरुषों को बलात्कार करने का आमंत्रण देती हैं..?

बुर्का पर्दा नुमा आकृतिहीन परिधान सुरक्षा की गारंटी की तरह पेश किया जाता है..!

 कुछ लोगों का कहना है कि बुर्का न पहनकर महिलाएँ पुरुषों को बलात्कार करने का आमंत्रण देती हैं..! जबकि मुझे लगता है कि वस्त्र कभी भी बलात्कार का कारण नहीं रहे हैं, इस बारे में मैं पहले से कहता आ रहा हूँ और लिख चुका हूँ फिर भी आश्चर्य होता है कि बहुत से लोग अब भी लिख रहे हैं कि महिलाओं के अंगप्रदर्शक पहनावे के कारण पुरुषों के लिए अपने आपको काबू में रखना मुश्किल हो जाता है। इसी तर्क को आधार बनाकर मैं आपके सामने आज एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जिससे पता चलता है कि प्रचलित धारणा के विपरीत बुर्के में पूरी तरह ढँकी-छिपी महिलाएँ भी बलात्कार से बच नहीं पातीं..!
जी हाँ, यह एक तथ्य है। इस्लाम ने इस मूर्खतापूर्ण विचार का अनुगमन किया कि बलात्कार होने पर वह पीड़िता का दोष माना जाएगा और उन्होंने औरतों के लिए बुर्का पहनने का यह भयंकर नियम लागू कर दिया। मुस्लिम महिलाओं को, उनके परिवार की धार्मिक कट्टरता के अनुपात में, अपने शरीर के अधिकांश या किसी भी अंग को खुला रखने की इजाज़त नहीं है। उनके विचार में महिलाओं के बाल, उनके सामान्य कपड़े, उनके हाथ, यहाँ तक कि उनका चेहरा और आँखें भी किसी पुरुष को इतना उत्तेजित करने के लिए काफी हैं कि वह उन पर बलात्कार करने के लिए उद्यत हो जाए। यह पर्दा-नुमा, आकृतिहीन परिधान उनकी सुरक्षा की गारंटी की तरह पेश किया जाता है..!
करीब दो साल पहले मैं लखनऊ, गया था जहां मुसलमानों की तादाद तुलनात्मक रूप से कुछ ज़्यादा है, तब वहाँ मैंने लगभग दस साल की एक लड़की को बुर्का पहने देखा। मुझे वह बड़ा अमानवीय लगा, जैसे उस मासूम बच्ची को जेल में डाल दिया गया हो। मेरी नज़र में यह एक बीमार समाज द्वारा की जाने वाली कार्यवाही है। बुर्के के पीछे का मूल विचार यह है कि पुरुष किसी महिला को देखकर अपनी यौनेच्छाओं पर काबू नहीं रख सकते, भले ही वह महिला एक दस साल की अबोध बच्ची ही क्यों न हो। क्या पुरुष वास्तव में अपने आपको काबू में रखने में इतने असमर्थ होते हैं..?
मुझे यह सोचकर बड़ा दुख होता है हालांकि वह बच्ची ऐसा महसूस नहीं करती होगी और न ही उसकी माँ या बहन। मैं जानता हूँ कि उसका समाज अपने दैनिक जीवन में इतनी गहराई से नहीं सोचेगा लेकिन मेरे लिए यह बहुत कठोर बात है और यह मुझे आम तौर पर सभी धर्मों पर और विशेषकर इस मज़हब पर सवाल उठाने के लिए मजबूर करता है..!
मेरी नज़र में यह पूरी तरह तर्क-हीन बात है कि पहले तो महिला से बुर्का पहनने के लिए कहा जाए कि यह उन्हें पुरुषों से सुरक्षित रखेगा और अगर बलात्कार हो ही जाए तो दोष भी उन्हीं पर मढ़ा जाएगा। कुछ लोग तर्क करेंगे कि मुस्लिम समाज में और मुस्लिम देशों में बलात्कार की घटनाएं बहुत कम देखने में आती हैं। ऐसे देशों में, जहां इस्लाम के शरिया कानून लागू हैं, बलात्कार से पीड़ित महिला को आज भी चार पुरुषों कि गवाही का इंतज़ाम करना पड़ता है, जो पुष्टि करते हैं कि उसके साथ बलात्कार होता हुआ उन्होंने अपनी आँखों से देखा है, जैसे कि खुद पर हुए बलात्कार की दोषी वही हो..! इसलिए आखिर अपने ऊपर हुए बलात्कार की रिपोर्ट वह करे ही क्यों...?
परिवार के पुरुष और महिलाएं सभी बलात्कार को छिपाना चाहते हैं-शर्म, कलंक और यहाँ तक कि बलात्कार के परिणामस्वरूप दी जाने वाली संभावित सज़ा का डर उन्हें सताता है। जी हाँ, इतनी बुरी तरह प्रताड़ित महिला अगर चार पुरुष गवाहों को हाजिर करने में असमर्थ रहती है तो प्रकरण खारिज हो जाता है और फिर दोष उसी पर मढ़ दिया जाता है..!
जी नहीं, आपके कपड़े आप पर होने वाले बलात्कार का कारण नहीं हो सकते और किसी महिला को सर से पाँव तक एक काले लबादे में ढँक देना भी उसे बलात्कार से सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता, बल्कि उसकी संभावना बढ़ जाती है..!
जी हाँ, मैं जानता हूँ कि बहुत सी मुस्लिम महिलाएं कहती हैं कि बुर्के में वे अपने आपको सुरक्षित महसूस करती हैं। प्रश्न यह है कि बुर्के के बगैर वे असुरक्षित क्यों महसूस करती हैं। कारण स्पष्ट है: क्योंकि यह आपका दोष है, उन बीमार-दिमाग धार्मिक लोगों का दोष जो खुले आम कहते हैं कि एक नाबालिग, छह साल की बच्ची को देखकर भी वे अपनी यौनेच्छा पर काबू नहीं रख पाते..!
अगर आप चाहें तो मुझे धार्मिक रूढ़ियों के प्रति असहिष्णु कह लें लेकिन जब तक ऐसी स्थिति है मैं अपनी इस बात पर अडिग रहूँगा: अगर कोई धर्म औरतों से कहता है कि यौन दुराचार और बलात्कार से बचने के लिए वह अपने आपको ढँककर रखे तो यह गलत बात है और हमेशा गलत ही रहेगी और ऐसा धर्म भी मेरी नज़र में हमेशा गलत ही रहेगा..!!

Tuesday, April 26, 2016

क्या धर्म को बदनाम करने के लिए मनुस्मृति के साथ छेड़छाड़ हुई थी...?

असली मनुस्मृति में सिर्फ 630 श्लोक ही थे ,,तो 2400 श्लोक कैसे हो गए किसने मिलावट की....??

चीन की महान दीवार से प्राप्त हुयी पांडुलिपि में ‘पवित्र मनुस्मृति’ का जिक्र, सही मनुस्मृति में 630 श्लोक ही थे,,मिलावटी मनुस्मृति में अब श्लोकों की संख्या 2400 हो गयी

सवाल यह उठता है कि, जब चीन की इस प्राचीन पांडुलिपी में मनुस्मृति में 630 श्लोक बताया है तो आज 2400 श्लोक कैसे हो गयें ? इससे यह स्पष्ट होता है कि, बाद में मनुस्मृति में जानबूझकर षड्यंत्र के तहत अनर्गल तथ्य जोड़े गये जिसका मकसद महान सनातन धर्म को बदनाम करना तथा भारतीय समाज में फूट डालना था।


मनु कहते हैं- जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते। अर्थात जन्म से सभी शूद्र होते हैं और कर्म से ही वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बनते हैं। वर्तमान दौर में ‘मनुवाद’ शब्द को नकारात्मक अर्थों में लिया जा रहा है। ब्राह्मणवाद को भी मनुवाद के ही पर्यायवाची के रूप में उपयोग किया जाता है। वास्तविकता में तो मनुवाद की रट लगाने वाले लोग मनु अथवा मनुस्मृति के बारे में जानते ही नहीं है या फिर अपने निहित स्वार्थों के लिए मनुवाद का राग अलापते रहते हैं। दरअसल, जिस जाति व्यवस्था के लिए मनुस्मृति को दोषी ठहराया जाता है, उसमें जातिवाद का उल्लेख तक नहीं है। 

शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम।
क्षत्रियाज्जातमेवं तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च। (10/65)
महर्षि मनु कहते हैं कि कर्म के अनुसार ब्राह्मण शूद्रता को प्राप्त हो जाता है और शूद्र ब्राह्मणत्व को। इसी प्रकार क्षत्रिय और वैश्य से उत्पन्न संतान भी अन्य वर्णों को प्राप्त हो जाया करती हैं। विद्या और योग्यता के अनुसार सभी वर्णों की संतानें अन्य वर्ण में जा सकती हैं।


आखिर जिस मनुस्मृति में कहा गया की जन्म से सब सूद्र ही होते है कर्मो से वो ब्राम्हण,क्षत्रिय,वै­श्य बनते है,जातिवाद नही वर्णवाद नियम था की शूद्र के घर पैदा होने वाला ब्राम्हण बन सकता था,,, सब कर्म आधारित था,,, आज उसको जातिवाद की राजनीती का केंद्र बना दिया गया,,,.

मनुस्मृति और सनातन ग्रंथों में मिलावट उसी समय शुरू हो गयी थी जब भारत में बौद्धों का राज बढ़ा, अगर समयकाल के दृष्टि से देखें तो यह मिलावट का खेल 9 वीं शताब्दी के बाद शुरू हुआ था।

मनुस्मृति पर बौद्धों द्वारा अनेक टीकाएँ भी लिखी गयी थीं। लेकिन जो सबसे ज्यादा मिलावट हुयी वह अंग्रेजों के शासनकाल में ब्रिटिश थिंक टैंक द्वारा करवाई गयीं जिसका लक्ष्य भारतीय समाज को बांटना था। यह ठीक वैसे ही किया ब्रिटिशों ने जैसे उन्होंने भारत में मिकाले ब्रांड शिक्षा प्रणाली लागू की थी। ब्रिटिशों द्वारा करवाई गयी मिलावट काफी विकृत फैलाई।

इसी तरह 9 वीं शताब्दी में मनुस्मृति पर लिखी गयी ‘भास्कर मेघतिथि टीका’ की तुलना में 12 वीं शताब्दी में लिखी गई ‘टीका कुल्लुक भट्ट’ के संस्करण में 170 श्लोक ज्यादा था।

इस चीनी दीवार के बनने का समय लगभग 220 से 206 ईसा पूर्व का है अर्थात लिखने वाले ने कम से कम 220 ईसा पूर्व ही मनु के बारे में अपने हस्तलेख में लिखा।

जानकारी का स्त्रोत :

Manu Dharma shastra : a sociological and historical study, Page No-232 (Motwani K.)

Education in the Emerging India, Page No- 148 (R.P. Pathak)

ममता ने की चिट्ठी लीक, ABP न्यूज़ के मालिक चाह रहे थे 500 करोड़ की जमीन

ममता ने की चिट्ठी लीक, ABP न्यूज़ के मालिक चाह रहे थे 500 करोड़ की जमीन 

अरबों रूपए के ज़मीन सौदों को लेकर अब बंगाल में एक मीडिया ग्रुप को ममता बनर्जी टारगेट कर रही हैं. कोलकाता के पॉश इलाके में 500 करोड़ रूपए के कथित जमीन सौदे पर मीडिया मुग़ल अवीक सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में युद्ध चरम पर है.

दरअसल ABP न्यूज़ के मालिक अवीक सरकार ने इस युद्ध के चलते जब TMC के खिलाफ मोर्चा खोला तो ममता ने भी उनकी पोल खोलने में देर नहीं की. दोनों के बीच झगड़ा अब बंगाल की सड़कों पर खुलकर हो रहा है.

ममता के दफ्तर से लीक की गई ABP की चिट्ठी से खुलासा हुआ है की 2014 में अवीक सरकार ने कोलकाता के EM बाईपास इलाके में 3 एकड़  की जमीन में कुछ बदलाव करने की मांग की थी. ये ज़मीन कोलकाता म्युनिसिपल कारपोरेशन ने ABP  को महज तीन करोड़ रूपए में लीज़ की थी जिसको कमर्शियल प्लाट में बदलकर 500  करोड़ रूपए कमाए जा सकते थे. TMC का आरोप है कि  तीन करोड़ रूपए की ज़मीन पर अवीक सरकार 500  करोड़ के वारे न्यारे करना चाहते थे. 


ममता को पत्र अवीक सरकार की तरफ से उनकी कम्पनी के CEO  डीडी पुरकायस्थ ने लिखा था. पत्र में ममता से आग्रह किया गया था कि वो ज़मीन की लीज़ में कुछ बदलाव कर दें. इस बदलाव से 3  एकड़ की जमीन पर कमर्शियल यानि रियल एस्टेट डेवेलप किया जा सकता था.  अब ममता का कहना है की जब उन्होंने  अवीक सरकार का  काम नहीं किया तो उन्होंने TMC के खिलाफ जंग छेड़ दी है.


उधर अवीक सरकार के करीबी एक पत्रकार ने बताया की ममता राजनितिक ताकत लगाकर ABP  और टेलीग्राफ जैसे साख वाले मीडिया ब्रांड को खत्म करना चाहती हैं. इस पत्र के बारे में उनका कहना था कि CEO इस तरह के पत्र लिखते रहते हैं . उस पत्र मे जो  बदलाव की बात की गई थी वो  कुछ नया नहीं था. फिलहाल बंगाल में हो रहे विधान सभा चुनाव में ममता बनाम अवीक सरकार के बीच खुला युद्ध अब वामपंथ मोर्चे को पूरा पूरा लाभ पहुंचा रहा है.   

पीएम ने कहा, 'रेलवे लातूर पानी भेजने में तत्पर रहा। यह बहुत प्रशंसनीय है,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में देश के सूखाग्रस्त हिस्सों को फौरी राहत पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे व आमजन की ओर से किए गए प्रयासों को सराहा। मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 19वें संस्करण में महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त लातूर प्रांत को पिछले दिनों ट्रेन से पानी की सौगात भेजने पर रेलवे को बधाई दी।
लातूर में पानी भेजने की प्रशंसा
पीएम ने कहा, 'रेलवे लातूर पानी भेजने में तत्पर रहा। यह बहुत प्रशंसनीय है, लेकिन देशभर में आमजन ने भी जलसंरक्षण की कई पहल कीं, जिन्हें कभी पहचान नहीं मिल पाई।' मोदी ने इस क्रम में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का उदाहरण दिया, जहां किसानों ने उन फसलों की खेती बंद कर दी है जिनमें ज्यादा पानी की जरूरत होती है। मोदी ने कहा, 'किसानों ने ईंख न उगाने का फैसला किया है। उन्होंने फलों व सब्जियों का रुख कर लिया है, जिनके लिए अपेक्षाकृत कम पानी की जरूरत पड़ती है।'
शिक्षा की गुणवक्ता में सुधार जरूरी



- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में शिक्षा के विकास के लिए जन भागीदारी को बढ़ाने तथा उसमें आमूलचूल सुधार लाने की वकालत की।
- मुंबई की शर्मीला धारपुरे द्वारा फोन पर देश में शिक्षा की हालत पर व्यक्त की गई चिंता को स्वाभाविक बताते हुए कहा कि आज हर परिवार में मां-बाप का अगर पहला कोई सपना होता है तो वह बच्चों को अच्छी शिक्षा देना का होता है।
- शिक्षा के विकास के लिए अधिक जागरूकता आनी चाहिए। जिन परिवारों में ये जागरूकता होती है, उसका असर स्कूलों पर भी आता है, शिक्षकों पर भी आता है और बच्चा भी जागरूक होता जाता है।
- मैं, सभी अभिभावकों से, यह आग्रह करूंगा कि बच्चे के साथ, स्कूल की हो रही गतिविधियों से विस्तार से समय देकर इनसे बातें करें और खुद स्कूल में जाकर शिक्षकों से भी बात करें।
- हमारे देश में सभी सरकारों ने शिक्षा पर बल दिया है और हर सरकार ने अपने-अपने तरीके से प्रयास भी किया है।
कुंभ मेले की तस्वीरों की प्रतिस्पर्धा कराए सरकार
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश की पौराणिक नगरी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ मेले में तस्वारों की प्रतिस्पर्धा कराने पर जोर दिया है।
- मोदी ने कहा कि कुंभ मेला भारत की विशेषता है और यह पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। इसके बारे में दुनिया में बताने का यह अच्छा मौका है।
- पिछले दो दिन से मैं देख रहा हूँ कि कई लोग 'सिंहस्थ कुंभ' की तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं। मैं चाहूंगा कि भारत सरकार और राज्य सरकार का पर्यटन विभाग इसकी फोटो प्रतिस्पर्धा का आयोजन करें और लोगों को बढिय़ा फोटो निकाल करके अपलोड करने को कहे।

Monday, April 25, 2016

30 वर्षों में लोग शाकाहारी नहीं हुये तो धरती पर जल की समस्या बढेगी - रिपोर्ट

दिल्ली : दुनिया की सबसे बड़ी फ़ूड कपंनी नेस्ले ने एक गोपनीय रिपोर्ट में अमरीकी सरकार को सावधान किया है कि अगर आने वाले 30 वर्षों में जनसंख्या का बहुमत शाकाहारी नहीं हुआ तो धरती पर जल की समस्या विकट रूप धारण कर लेगी.


विदेशी खोजी पत्रकार नाथन हालवर्सन ने लीक हुए अमेरिकी केबल का हवाला देते हुए कहा है कि नेस्ले की रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली है. नेस्ले के मुताबिक 2050 में विश्व की जनसँख्या 9.60 खरब तक पहुँच जाएगी. यदि ये बढ़ती हुई जनसँख्या अपनी डाइट में शाकाहारी भोजन शामिल नहीं करती तो दुनिया में तब पेयजल समाप्त होने की आशंका है.

नेस्ले ने रिपोर्ट में तर्क देते हुए कहा की एक कैलोरी अन्न की तुलना में एक कैलोरी मीट के उत्पादन में दस गुना ज्यादा जल का प्रयोग होता है. यानि मीट उत्पादन में पानी का इस्तेमाल दस गुना ज्यादा हो रहा है. रिपोर्ट में ये बताया गया है कि एक पाउंड मीट के उत्पादन में 1800 गैलन पानी चाहिए. अगर मीट की तुलना में अन्न उत्पादन को विष में 70 प्रतिशत नहीं बढ़ाया गया तो पेयजल की गम्भीर समस्या 2025 से ही शुरू हो जायेगी. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि पश्चिम अमेरिका और उत्तर भारत, दुनिया के नक़्शे में दो ऐसे इलाके हैं जहाँ पानी का इस्तेमाल लोगों ने ज़रुरत से ज्यादा किया है. 



नेस्ले के मुताबिक औसत अमरीकी नागरिक की रोजाना डाइट 3600 कैलोरी है जिसमे मांस युक्त भोजन अधिक होता है. इस डाइट में शाकाहारी भोजन का अनुपात बढ़ाने की सलाह दी गई है. अगर डाइट में बदलाव नहीं किया गया तो सन 2050 में विश्व में मीट का उत्पादन 4650 लाख टन करना होगा.

Sunday, April 24, 2016

भारत से ख़त्म होने के कगार पर कांग्रेस

देश के जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, उनमें मिज़ोरम, मणिपुर और मेघालय जैसे उत्तरपूर्व के छोटे राज्य और दक्षिण के दो बड़े राज्य केरल और कर्नाटक शामिल हैं। इसके अलावा उत्तर में हिमाचल प्रदेश की सरकार है और हाल-फ़िलहाल तक उत्तराखंड में भी कांग्रेस की सरकार थी।
हालांकि उत्तराखंड में अनिश्चितता की स्थिति है, राष्ट्रपति शासन दोबारा लग चुका है। लिहाजा आकलन के हिसाब से इस राज्य को छोड़ देते हैं।

अगर पहले नहीं हुए तो इन राज्यों में अगले साल चुनाव होने हैं। इस बात की संभावना भी नहीं है कि कांग्रेस इन राज्यों में फिर से चुनाव जीतेगी।
हिमाचल प्रदेश में भी अगले साल चुनाव होने वाले हैं। यहां एक बार जो पार्टी सत्ता में रहती है, वो अमूमन अगली बार बाहर हो जाती है। ऐसे में कांग्रेस के लिए इस राज्य में अपनी सरकार को बचा पाना मुश्किल दिख रहा है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ख़िलाफ़ आय से अधिक संपत्ति जमा करने के मामले में सीबीआई की जांच चल रही है और उनके लिए बने रहना आसान नहीं होगा। इसके अलावा यहां एक और बात अहम है। बीजेपी के उभरते सितारों में शुमार अनुराग ठाकुर विपक्ष में हैं। वे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के ताक़तवर सचिव हैं।इस राज्य में कांग्रेस के पास उनके जैसे करिश्मा वाला कोई नेता नहीं है।
केरल के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण ये बता रहे हैं कि कांग्रेस वाम मोर्चा से पीछे है। राज्य के चुनाव परिणाम 19 मई को आएंगे।
अगर कांग्रेस हारती है तो राज्य की राजनीति पर नज़र रखने वालों के लिए ये अचरज की बात नहीं होगी। इस राज्य से दो ही बातें महत्व की रहेंगी कि क्या कांग्रेस उस वाम मोर्चे से भी हार जाएगी जिसका देश भर से लगभग सफाया हो गया है?
दूसरी बात यह कि क्या बीजेपी का मत प्रतिशत बढ़ेगा, क्योंकि उसे मलयाली हिंदुओं का समर्थन मिल रहा है।


कर्नाटक में कांग्रेस के मुख्यमंत्री का नाम कई घोटालों में उछल रहा है। इसमें लग्ज़री घड़ियों के इस्तेमाल का मामला भी है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वे इसे अफोर्ड नहीं कर सकते। हालांकि वो उसे तोहफ़ा बता रहे हैं। दूसरी ओर उनका बेटा एक ऐसी कंपनी में हिस्सेदार है जिसे सरकारी ठेके मिले हैं।
इसके अलावा कर्नाटक में अहम बात ये हुई है कि बीजेपी में पार्टी नेता के तौर पर पूर्व प्रमुख रहे येदियुरप्पा की वापसी हो गई है। येदियुरप्पा पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और उन्हें पिछली विधानसभा में इस्तीफ़ा देना पड़ा था। लेकिन वे अभी भी लिंगायत समुदाय में काफ़ी लोकप्रिय हैं। उनकी वापसी से अगले चुनाव में बीजेपी के जीतने की उम्मीद बढ़ गई है। राज्य में दो साल बाद चुनाव होने हैं।
जिन दो अन्य राज्यों में अभी चुनाव हो रहे हैं, उनमें असम में कांग्रेस की सरकार है जबकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की।
असम के चुनावी सर्वेक्षण बता रहे हैं कि बीजेपी आसानी से और प्रभावी ढंग से चुनाव जीत सकती है। यह 2014 के लोकसभा चुनाव के मुताबिक ही दिख रहा है। बांग्लादेशी मुसलमानों के राज्य में आकर रहने के मुद्दे पर काफी चर्चा हुई है और बीजेपी को इसका निश्चित तौर पर फ़ायदा मिलेगा।
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने ममता बनर्जी को टक्कर देने के लिए वाम मोर्चे से हाथ मिलाया है। जनमत सर्वेक्षणों के मुताबिक दोनों में कड़ा मुक़ाबला दिख रहा है लेकिन ममता बनर्जी की पार्टी जीतेगी। यह तब है जब ममता की पार्टी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर फंसी हुई है। इसके अलावा उन पर अक्षम होने और काम नहीं करने के तमाम आरोप हैं। इससे ये भी जाहिर होता है कि जहां कांग्रेस की ज़मीनी उपस्थिति है और राज्य में एंटी इनकम्बैंसी भी है, वहां भी चुनावी जीत दर्ज करने के लिए पार्टी में ना तो उर्जा है और ना ही उत्साह।
यह ओडिशा, आंध्र प्रदेश और बीजेपी शासित गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों का भी सच है।
उत्तर-पूर्व में राजनीति विचारधारा पर आधारित नहीं होती। स्थानीय नेता उस दल से तालमेल कर लेते हैं, जिसकी केंद्र में सरकार होती है। ऐसे में उत्तरपूर्व में कांग्रेस के तीन राज्यों की मौजूदा सरकार के भी नहीं रहने की संभावना नज़र आ रही है।

कोई भी ऐसा राज्य नहीं है, जहां कांग्रेस की स्थिति बेहतर दिख रही है। राजनीति से इतर राष्ट्रीय मीडिया में भी, 2011 और अन्ना हज़ारे आंदोलन के बाद से ही पार्टी की छवि लगातार दरक रही है। राष्ट्रीयता, चरमपंथ और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी पार्टी का रवैया रक्षात्मक रहा है। राहुल गांधी और उनके जीजा रॉबर्ट वाड्रा को लेकर ज़्यादातर निगेटिव रिपोर्ट ही दिखती हैं।
दिल्ली में बीजेपी कुछ ज़्यादा नहीं कर सकती, इसके बावजूद कांग्रेस इस मुद्दे को राष्ट्रीय मीडिया में भुना नहीं पा रही है।
राष्ट्रीय मीडिया का एजेंडा क्या हो, अब ये गांधी परिवार तय नहीं कर रहा है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जैसी क्षेत्रीय पार्टी और बिहार के नीतीश कुमार जैसे नेता अब कांग्रेस की जगह विपक्ष के रूप में विश्वसनीयता हासिल कर रहे हैं।

चुनाव का ताजा दौर गांधी परिवार के लिए सदमे जैसी ख़बर लेकर आ सकता है। एक बार फिर कांग्रेस मुक्त भारत का मुद्दा उछलेगा। लेकिन इस बार ये सवाल नहीं उठेगा कि ऐसा कब होने वाला है।

Saturday, April 23, 2016

कांग्रेस का मकसद 'सिमी' सहित पाक के आतंकियों को बचाना भी था...?

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट और मालेगांव ब्लास्ट में आरोपित कर्नल पुरोहित की, आरोप लगने से पहले की जो कहानी है, वह यह विश्वास दिला रही है की कर्नल पुरोहित को इन काण्डों में जांनबुझ कर आरोपित किया गया है। उनको कुछ छुपाने के लिए, भारतीय राजिनैतिक के साथ सुरक्षा तन्त्र ने फंसाया है।


2009 में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने बांग्लादेश के 'जमात उल मुजाहिदीन' द्वारा भारत में 'बर्दवान मोड्यूल' स्थापित करके उसके प्रसार होने के सम्बन्ध में कई अलर्टस, चेतवनियां जारी किये थे। लेकिन यहां यह आश्चर्य की बात यह है की इस 'बर्दवान मोड्यूल' की सबसे पहले जानकारी कर्नल पुरोहित, जो मिलेट्री इंटेलिजेंस में थे, ने ही 2007 में दी थी। उन्होंने 'बर्दवान मोड्यूल' पर काम किया था और उससे भारत की सुरक्षा को होने वाले खतरे से चेताया भी था। हालाँकि बांग्लादेश, जिसने 'जमात उल मुजाहिदीन' को बांग्लादेश में प्रतिबंधित किया हुआ था, उसका मानना था की जमात, भारत में बेस बनाकर उनके प्रधानमन्त्री हसीना शेख के खिलाफ षडयंत्र कर रहा है।


कर्नल पुरोहित ने जनवरी 2007 को पत्र संख्या 106/LU/G लिखा था जिसमें उन्होंने 'जमात उल मुजाहिदीन' बांग्लादेश का 'जमात ए इस्लामी' की सहायता से पश्चिम बंगाल में योजनाबद्ध तरीके से बसने की बात कही थी। अपने पत्र में उन्होंने इनके और भारत के 'सिमी' के बीच हुए गठजोड़ की बात भी सामने रखी थी। इसके साथ यह अगाह भी किया था की यह लोग जहाँ भारत के अंदर हथियार और विस्फोटक सामग्री ले आने और जाने के काम में लिप्त है वहीं यह कट्टरपंथी भारत के भिन्न भिन्न शहरो में 'सिमी' के लिए मोड्यूल की स्थापना में भी सहायता कर रहे है।


कर्नल पुरोहित ने अपनी रिपोर्ट यह भी बताया था की बांग्लादेश के मुल्ला मौलवी भारतीय मुस्लिम युवको को धार्मिक रूप से जिहाद के लिए भड़क रहे है और प्रलोभन दे कर विभिन्न शहरो से, विशेष रूप से पूना और बंगलोर से मुस्लिम युवको कोअपने उद्देश्य के लिए भर्ती कर रहे है।

ऊपर का पत्र, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट को लेकर महत्वपूर्ण है। जो अब बात सामने आरही है की पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसी को इस विस्फोट के पीछे एक पाकिस्तानी नागरिक और 'सिमी' के सदस्यों के विरुद्ध स्पष्ट सबूत मिल गए थे और उन्हें हिरासत में भी ले लिया गया था लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था। यह बात साफ इशारा कर रही है की जहाँ, पिछली सरकार की मंशा 'हिन्दू आतंकवाद' को प्रचारित करना था वहीं यूपीए सरकार का मकसद 'सिमी' सहित पाकिस्तान के आतंकवादी को बचाना भी था। कर्नल पुरोहित 'सिमी' की गतिविधियों पर नज़र रक्खे हुए थे इसलिए पूरा सन्देह है की 'सिमी' से सहानभूति रखने वालों के इशारे पर कर्नल पुरोहित को इस विस्फोट में फंसाया गया था।


मेरा पूर्ण विश्वास होता जा रहा है की पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI और 'सिमी' के कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में कही सीधे तार जुड़े हुए है और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों में उनके लिए काम करने वाले लोग भी है जो पाकिस्तानी हितो की रक्षा के लिए पाकिस्तान और वहां से आये आतंकवादियों को बचाते है। यहां यह याद रखने वाली बात है की 'सिमी' के पक्ष में विभिन्न सेकुलर राजिनैतिक दल के नेता परोक्ष रूप से मुस्लिम वोट के लिए बोलते रहे है।

इस सबको देख कर यही लग रहा है की भारत के कई राजिनैतिक दलो के नेता निश्चित रूप से आतंकवादियों और पाकिस्तान की ISI के हितो लिए काम कर रहे है।

JNU पर प्रोफेसर का सनसनीखेज खुलासा, हाफिज सईद से मिले हुए हैं जेएनयू के कई टीचर्स।


जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी के बाद देश दो हिस्सों में बंटता नजर आ रहा है। एक पक्ष जहां देशविरोधी नारे लगाने वालों को कड़ी सजा देने की मांग कर रहा है, तो दूसरा पक्ष इसे सरकार की साजिश कह रहा है। जेएनयू की हकीकत जानने के लिए पत्रिका ने जेएनयू की ही एक प्रोफेसर से बात की। उन्होंने जेएनयू को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए। ये प्रोफेसर हैं जेएनयू के लॉ डिपार्टमेंट की अमिता सिंह।
प्रो. अमिता सिंह ने साफ शब्दों में कहा –


– हाफिज सईद से मिले हुए हैं जेएनयू के कई टीचर्स।

– जब भी देश में गैर-कांग्रेसी सरकार होती है। उसे बदनाम करने के लिए रची जाती है साजिश।

– हर देशविरोधी गतिविधि के बाद जिस तरह शराब पार्टी होती है, उससे साबित होता है कि इनको बड़े स्तर पर फंडिंग होती है।

– जेएनयू ही नहीं, जामिया मिलिया से भी छात्रों को बुलाया जाता है देशविरोधी गतिविधियों के लिए।

– सीपीआई कांग्रेस का विंग है और कांग्रेस उसे ऐसे ही यूज करती है।

– उमर खालिद बिजनौर से है। बिजनौर आतंक का अड्डा है, वहां आईएस का भी अड्डा।

सुनिए सनसनीखेज खुलासे


बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाशिम अंसारी ने PM मोदी को सबसे अच्छा नेता बताया

फैजाबाद: अक्सर पीएम मोदी पर हमलावर रहने वाले बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाशिम अंसारी के मुंह से इस बार पीएम के लिए फूल बरसे हैं। हाशिम अंसारी ने पीएम मोदी को देश का सबसे अच्छा नेता बताया है। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कहा है कि मेरी तो ख्वाहिश है कि पीएम अयोध्या आएं तो मैं उनका स्वागत फूलों से स्वागत करूं।



हाशिम अंसारी का कहना है की मोदी के बेहतरीन कामों से विपक्ष के नेता परेशान हैं, लेकिन पीएम मोदी एक बहुत अच्छे नेता हैं। आपको बता दें कि हाशिम अंसारी इन दिनों बीमार चल रहे हैं और वो चाहते हैं कि उनके जिंदा रहते हुए अयोध्या मामले का हल निकाल लिया जाए।



कौन है हाशिम अंसारी

हाशिम अंसारी बाबरी विध्वंस के बाद से ही बाबरी मस्जिद के पैरोकार रहे हैं। हाशिम ने महज दूसरी कक्षा तक पढ़ाई की और फिर सिलाई यानी दर्जी का कम करने लगे। बाद में उनकी शादी पास ही के जिले फैजाबाद में हुई। अंसारी के दो बच्चे हुए एक बेटा और एक बेटी। हामिद अंसारी के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं रही।



6 दिसंबर, 1992 के बलवे में बाहर से आए दंगाइयों ने उनका घर जला दिया लेकिन अयोध्या के हिंदुओं ने उन्हें और उनके परिवार को दंगाईयों की भीड़ से बचाया। इस घटना के बाद हामिद अंसारी को सरकार की तरफ से जो कुछ मुआवज़ा मिला उससे उन्होंने अपने छोटे से घर को दोबारा बनवाया और एक पुरानी अम्बेसडर कार खरीदी।



हाशिम कहना है कि वो फ़ैसले का भी इंतज़ार कर रहे हैं और मौत का भी, लेकिन वो चाहते हैं कि मौत से पहले बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का फैसला देख लें।

Friday, April 22, 2016

उत्तराखंड हाईकोर्ट का जज निकला कांग्रेस और इंदिरा गाँधी का बडा चमचा

उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार बनाने के लिए न्याय का गला घोटने वाले नैनीताल हाईकोर्ट जे जज के.एम. जोसेफ का काला इतिहास ....
 के. एम. जोसेफ के पिता के के मैथ्यू थे .. के के मैथ्यू को इंदिरा गाँधी ने इमरजेंसी के दौरान बिना किसी प्रक्रिया के बैक डोर से सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया था ..

जबकि के के मैथ्यू केरल में कांग्रेस के बड़े नेता थे .. वो कांग्रेस और इंदिरा गाँधी के कितने बड़े चमचे थे उसका जीता जागता उदाहरण है की जब वो रिटायर हुए तब इंदिरा गाँधी ने उन्हें प्रेस कमिशन ऑफ़ इण्डिया का चेयरमैन बनाकर उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया था ..
 बाद में उन्हें ला कमिशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया ... ला कमिशन का भारत के न्यायपालिका का सबसे बड़ा ताकत का केंद्र है ..

 के एम जोसेफ को कांग्रेस ने केरल में मात्र इसलिए जज बनाया था ताकि वो केरल की महाभ्रष्ट कांग्रेस सरकार को भ्रष्टाचार के तमाम मामलो से बचा सके.और उन्होंने ये किया भी ...
जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है की पामोलीन आयत घोटाले में तमाम सुबूतो के बावजूद भी उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री ओमान चंडी को क्लीनचिट दी थी ..जबकि तमाम सुबूत थे जो साबित करते थे की ओमान चंडी ने उस फर्म से 15% घूस ली थी ... हलांकि उनके इस निर्णय को बाद में बड़ी बेंच ने बदल दिया था ..
इतना ही नही इन्होने केरल के सोलर घोटाले में जांच की मांग करती एक याचिका को ये कहकर ठुकरा दिया था की सोलर केस में कोई घोटाला हुआ ही नही है इसलिए जाँच की जरूरत नही है .. जबकि बाद में सुप्रीमकोर्ट ने जब जांच के आदेश दिए तो साबित हुआ की ओमान चंडी ने सोलर कम्पनी से न सिर्फ करोड़ो रूपये घूस ली थी बल्कि उस कम्पनी की एक एम्लाई सरिता के साथ वो कई बार हमबिस्तर भी हुए थे ..इस केस में भी पुलिस ने कई लोगो को गिरफ्तार किया ...
 बाद में जब केरल में जोसेफ का पाप इतना बढ़ गया और ये साबित हो गया की इनके अंदर का कांग्रेसीपन अब जगजाहिर हो गया है तो कांग्रेस ने इनको इनकी "सेवाओ" का ईनाम देते हुए इन्हें नैनीताल हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बना दिया .. जबकि ये सीधे सीधे नियमो के खिलाफ था ...
इन्हें मात्र १० सालो के अनुभव पर ही सीधे किसी हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस कैसे बनाया जा सकता है ?
 इतना ही नही एक वकील से उपहार के तौर पर फ्रिज लेने के आरोप इनके उपर साबित होने पर इनके उपर जुरमाना भी लगा था ..
खैर ...
कांग्रेस ने न्यायपालिका में चुन चुनकर कांग्रेसियो को भर दिया है ..
जिसकी सफाई करने में अभी भी १० साल लग जायेंगे डिस्क्लेमर :-

मुझे पता है की भारत में सम्विधान में जजो को भगवान से भी बड़ा दर्जा मिला है ... आप भगवान पर सवाल उठा सकते है लेकिन जजों पर सवाल उठा नही सकते ... ये जज खुद को इन्सान नही मानते .. ये सभी मानवीय कमजोरी जैसे "काम यानी, क्रोध, मद, लोभ" आदि से परे होते है .. ये हम इंसानों की तरह खाना नही खाते .. काम नही करते .. बल्कि इनके अंदर दैवीय शक्तियाँ होती है ... ये जैसे ही अपनी पत्नी को टच करते है इनकी पत्नियाँ गर्भवती हो जाती है .. जजों के अंदर लालच भी नही होता .. मै ये जानते हुए की भारत में आप न्यायपालिका के फैसले पर सवाल उठा नही सकते मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर ये लिखा है क्योकि सच को कहना या लिखना मेरे आत्मा के अनुसार कोई अपराध नही है ...

RSS के बारे में झूठा प्रचार किया जा रहा है - ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड

RSS के विरोध में पूरा विपक्ष अपनी ताकत लगा रहा है, इन के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की चेयरमैन का एक बयान संघ के विरोधियों से सवाल पूछ रहा है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा और उसके काम करने के तरीके को लेकर इन दिनों एक बहस चल रही है, कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष संघ पर हमला कर रहा है। केंद्र सरकार पर भी आरोप लगाए गए कि वो संघ के एजेंडे को देश में लागू करने का काम कर रही है।

RSS का समर्थन करने वाले भी इन आरोपों के जवाब में सवाल पूछते हैं कि आखिर संघ का एजेंडा क्या है, किस एजेंडे के तहत संघ काम कर रहा है, क्या संघ देश के खिलाफ कोई काम कर रहा है. आखिर संघ के खिलाफ हमला क्यों किया जाता है।
हाल ही में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने लखनऊ का दौरा किया था। लखनऊ दौरे के दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की चेयरमैन शाइस्ता अंबर ने मोहन भागवत से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान शाइस्ता ने मोहन भागवत से अपने क्षेत्र में बनी मस्जिद और धर्मशाला देखने की अपील की, जिस पर भागवत ने हामी भर दी।

मोहन भागवत से मुलाकात के बाद शाइस्ता अंबर ने कहा कि RSS को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है, जब मैं भागवत जी से मिली तो लगा कि इनमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है। शाइस्ता अंबर ने कहा कि उन्होने मोहन भागवत का पूरा भाषण सुना।
मोहन भागवत का भाषण सुनने के बाद लगा कि वो किसी समुदाय के खिलाफ नहीं बोलते हैं, वो समाज को जोड़ने की बात करते हैं, मानवता की और सेवा की बात करते हैं। अपने भाषण में उन्होने हिंदुत्व की चर्चा की किसी समुदाय के खिलाफ नहीं बोला। 

Wednesday, April 20, 2016

कांग्रेस की हिंदु-विरोधी मानसिकता का एक और सुबूत

कांग्रेस की हिंदु-विरोधी मानसिकता का एक और सुबूत


सोशल मीडिया पर आज सुबह से Congress Vs Hinduism आज सुबह से ही ट्रेंड कर रहा था। इस ट्रेंड के साथ लोगों ने कहा कि कांग्रेस हिंदु विरोधी है और वो भारत को एक मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहती है। आपको बताते हैं कुछ ऐसी वजहें जिससे लोगों के मन में यह संदेश गया कि कांग्रेस प्रो-मुस्लिम है और एंटी हिंदु है।
ट्वीटर पर लोगों ने कांग्रेस को समझौता ब्लास्ट केस में आरोपी कर्नल पुरोहित को फंसाने का आरोप लगाया। आपको बता दें कि कल ही एक अदालत ने समझौता ब्लास्ट मामले में कर्नल पुरोहित को सबुतों के अभाव में बरी कर दिया था। 


 #कांग्रेस पर हमेशा से ही तुष्टिकरण की राजनीति करने के आरोप लगते रहे। जब भी कभी देश में सांप्रदायिक दंगे हुए तो कांग्रेस ने ऐसी बाते कहीं जिससे लोगों को लगा कि उसका झुकाव मुसलमानों की तरफ है। 

#कुछ लोगों ने इस दौरान कांग्रेसी नेताओं द्वारा दिए गए बयानों को भी ट्वीटर पर साझा किया जिनमें प्रमुख रूप से पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम के बयान का वो वीडियों साझा किया जिसमें वो इशरत जहां को भोली-भोली लड़की बताते हुए नजर आ रहे हैं। 


इसके अलावा लोगों ने सुशील कुमार शिंदे और राहुल गांधी की बातं भी ट्वीटर पर शेयर की। आपको बता दें कि वीकीलीक्स के खुलासे में ये बात सामने आई थी राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था कि देश को आतंकियों से ज्यादा खतरा हिंदु कट्टरपंथियों से है। वहीं सुशील कुमार शिंदे ने भाजपा और आरएसएस पर देश में भगवा आतंकवाद पैलाने का आरोप लगाया था। 

Tuesday, April 19, 2016

राष्ट्र विरोधी हिंदू विरोधी कांग्रेस‬

राष्ट्र विरोधी हिंदू विरोधी कांग्रेस

कर्नल पुरोहित को समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में आरोपी बनाना , फँसाना कोई साधारण बात नही थी.. ये बहुत ही गंभीर मामला था. मालेगाँव और समझौता ब्लॉस्ट में कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा का नाम डालकर कांग्रेस ने दूनिया के सामने भगवा आतंकवाद, हिंदू आतंकवाद‬ की थ्यौरी रखी. इशरत के बहाने से तो कांग्रेस 'मोदीजी' को मारना और फिर फँसाना चाहती थी लेकिन भगवा आतंकवाद से वो क्या साबित करना चाहती थी ? मोदीजी को भी किसलिये फँसाना चाहती थी ? क्योंकि वो हिंदूत्व का चेहरा बनकर उभरे थे.

यहाँ कांग्रेस को छोड़कर पहले पाकिस्तान की बात करें. इशरत को 'लश्कर ए तैय्यबा' ने भेजा था और समझौता एक्सप्रेस में भी एलईटी ने ही ब्लॉस्ट करवाये .. क्यूं ? क्यूंकि निशाने पर हिंदूओं के नेता मोदीजी और हिंदूत्व था. इशरत गैंग अपना काम कर नही पायी लेकिन समझौता एक्सप्रेस का काम पुरी तरह हो गया.
यहाँ ये मत सोचों कि पाकिस्तान अपने नागरिकों को क्यूं मारेगा ? जब बांग्लादेश में लाखों पाकिस्तानी, बलूच में हजारों बलूची, कब्जे वाले कश्मीर में हजारों कश्मीरीयों को जो सारे पाकिस्तानी नागरिक ही थे.. पाकिस्तान मार सकता है, तो अंतराष्ट्रिय स्तर पर भारत को बदनाम करने और अपने आतंकवाद को जस्टिफाई करने के लिये भारत के 'हिंदू आतंकवाद' का हौव्वा खड़ा करने के लिये क्या अपने ५०-१०० नागरिकों नही मार सकता. उसने मारा और कांग्रेस ने एनआईए पर दबाव डालकर पाकिस्तान का पुरा साथ दिया. कर्नल पुरोहित को फँसा दिया गया. हिंदू आतंकवाद की थ्यौरी इंन्ट्रोड्यूस कर दी गयी.
फिर उसके बाद पाकिस्तान ने क्या किया.. पता ही होगा. २६/११ मुंबई हमलें से लेकर हर आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान ने हमेशा समझौता एक्सप्रेस और कर्नल पुरोहित का नाम लिया है. भारत ने आतंकवादीयों की लिस्ट पाकिस्तान को दी तो उसने बदलें में कर्नल पुरोहित को माँगा. पुरी दूनिया में प्रचारित कर दिया गया कि हिंदू आतंकवाद भी है.जबकि एैसा कुछ था ही नही और ये किया किसने ? पाकिस्तान को मदद किसने की ? कांग्रेस ने. दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने सोनिया गाँधी के ईशारे पर..जिनके मुंबई एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे से संबंध जगजाहिर है. उन्ही करकरे ने साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को यातनायें दी, उन्हें सबकुछ कबुलने पर मजबूर करने की कोशिश की. कांग्रेस ने इन्हें जमानत तक नही लेने दी.
आज जब एनआईए ने कर्नल पुरोहित को क्लिनचिट दी है तो कांग्रेस बेनकाब हो गई है.
इशरत मामले की परतें खुलना, समझौता एक्सप्रेस और मालेगाँव ब्लॉस्ट की सुनवाई में तेजी आना, कर्नल पुरोहित की पुरी जाँचकर क्लिन चिट मिलना, स्वामीजी का नेशनल हैराल्ड केस में राजमाता और यूवराज को अदालत तक जाने पर मजबूर करना, राबर्ट वाड्रा का बौखलाकर इंटरव्यू देना, हरियाणा सरकार का वाड्रा मामलें में जाँच में तेजी लाना.. आप क्या सोच रहे हो, ये सब अपनेआप हो रहा है. सरकार ठोक-बजाकर कदम दर कदम आगे बढ़ रही है ताकि किसी दोषी के बचने का रास्ता ना रहें. अभी तो तीन साल बाकि है. गुजरात में जहाँ ४५ साल तक कांग्रेस का एकछत्र राज्य था..वहाँ के ४.५ कांग्रेसी नेताओं के नाम याद है आपको ? नही.. बस वही केन्द्र में भी होना है. जड़ से सफाई में वक्त तो लगता ही है...
आपको अच्छे दिन चाहिये थे ना तो देख लो.. हिंदू धर्म को बदनाम कर, देश को बदनाम कर जो बुरे दिन कांग्रेस लायी थी..वो बुरे दिन अब वापस जा रहे है. बुराई खत्म होगी तो बचेगा क्या.. अच्छाई !! यही तो है अच्छे दिन. अभी बहुत कुछ बाकि है सब्र रखों...

नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए चिदंबरम ने तथ्यों से की छेड़छाड़ : Ishrat Jahan केस

Ishrat Jahan केस में नए खुलासे के बाद देश की राजनीति में एक बार फिर से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है।

New Delhi, Apr 18: गुजरात के इशरत जडहां एनकाउंटर केस में हाल के दिनों में लगातार कई खुलासे हुए हैं।इन खुलासों की कड़ी में एक और खुलासा हुआ है। समाचार चैनल टाइम्स नाउ ने Ishrat Jahan केस में पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम की भूमिका को लेकर बड़ा खुलासा किया है। टाइम्स नाउ के मुताबिक इशरत जहां केस में केंद्र सरकार की दाखिल किए गए पहले हलफनामे पर पी चिदंबरम ने साइन किए थे।
 टाइम्स नाउ का कहना है कि Ishrat Jahan केस से संबंधित फाइलें उसके पास हैं जो RTI के जरिए हासिल की गई हैं। चैनल का कहना है कि इशरत केस की फाइलें इशारा कर रही हैं कि पी चिदंबरम ने एस केस  में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की थी। लगभग 70 पन्नों वाली Ishrat Jahan केस की फाइल में सरकारी नोटिंग्स, साइन, कानूनी दस्तावेज, और कई अटैचमेंट्स हैं जिन्हें पहले कभी सार्वजनिक नहीं किया गया था। इस खुलसे के बाद एक बार फिर से पी चिदंबरम इस केस के केंद्र में आ गए हैं।
इस खुलासे के मुताबिक Ishrat Jahan से जुड़े पहले हलफनामे में पी चिदंबरम ने बदलाव किए थे। हालांकि चिदंबरम इस से इंकार करते रहे हैं। आपको बता जदें कि पहले हलफनामे में इशरत जहां को आतंकवादी बताया गया था जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के मिशन पर थी।  नए खुलासे के मुताबिक उस हलफनामे को खुद पी चिदंबरम ने मंजूरी दी थी। अब सवाल खड़ा हो रहा है कि जब पहले हलफनामे को चिदंबरम ने मंजूरी दी थी तो दूसरे हलफनामे की जरूरत क्यों पड़ गई।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा पहला हलफनामा दाखिल करने के कुछ दिनों बाद ही केंद्र सरकार ने गुजरात हाईकोर्ट में दूसरा हलफनामा दाखिल किया था। इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने अपना स्टैंड बदलते हुए कहा था कि इशरत आतंकी नहीं थी। दूसरे हलफनामे में कहा गया कि इशरत के खिलाफ कोई निर्णायक सबूत नहीं है। इस खुलासे के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। वहीं कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर अभी तक प्रतिक्रिया नहीं आई है। साफ है कि ये खुलासा एक बार फिर से सिय़ासत को गरमाने के लिए काफी है। 

Monday, April 18, 2016

और कैसे आते हैं अच्छे दिन?...ऐसे लोगों के अच्छे दिन आने से रहे।


एकाउंट में 15 लाख चाहिए या सरकार की ये कार्यशैली?
फ्रांस के साथ भारत की रफाल डील लगभग पूरी हो चुकी है।
7.8 बिलियन यूरो यानि करीब 59 हजार करोड़ में होगा 36 रफाल लड़ाकू विमानों का सौदा हुआ है। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भारतीय वायुसेना को फ्रांस के आधुनिक लड़ाकू विमान, रफाल (या ‘राफेल’) मिलना अब लगभग तय हो गया है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी कहा है कि रफाल डील अब ‘निर्णायक अवस्था’ में है।
वर्ष 2007 से भारत-फ्रांस के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी कर रहा है लेकिन सौदा किसी ना किसी कारण से अटका हुआ था। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस की यात्रा के दौरान ऐलान किया कि भारत फ्रांस की सरकार से सीधे 36 फाइटर जेट्स खरीदेगा।
यूपीए सरकार के दौरान भारत फ्रांस से 126 विमानों का सौदा करना चाहता था जिसमें से 36 सीधे रफाल विमान बनाने वाली कंपनी दसाल्ट-एवियशन से खरीदने थे और बाकी 90 भारत में तैयार होने थे लेकिन, पीएम मोदी ने पुराने सौदे को रद्द कर सीधे फ्रांस सरकार से नई डील कर डाली।
पुरानी डील की कीमत करीब 1.20 लाख हजार करोड़ (एक लाख बीस हजार करोड़ रूपये) थी।
प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस में घोषणा के बावजूद नई डील में कई रूकावटें थीं। पहली थी कीमत और दूसरा था ऑफसेट क्लॉज। फ्रांस नई सौदे की कीमत करीब 65 हजार करोड़ चाहता था। फ्रांस 30% प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज चाहता था लेकिन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर सौदे की कीमत कम कराना चाहते थे (और उन्होनें कम भी करा ली)।
अब ये सौदा 59 हजार करोड़ में तय हुआ है। फ्रांस 50 % ऑफसेट क्लॉज़ के लिए भी तैयार हो गया है। इस क्लॉज़ के तहत फ्रांस सौदे का 50 प्रतिशत भारत में निवेश करेगा (मिलेट्री-टेक्नालॉजी में)।
5 हजार करोड़ की बचत और 59 हजार करोड़ का आधा, मतलब 29.5 हजार करोड़ का भारत में निवेश।
5 हजार करोड़ मनोहर पार्रिकर के द्वारा एक सौदे में बचाया गया, 4 हजार करोड़ पियूष गोयल बचाएंगें कोयले के उत्पादन को बढ़ा के और खबर के अनुसार 36 हजार करोड़ काला धन वापस आ चूका है। सुरेश प्रभू अलग से हैं।
नवरत्न पाल रखे हैं मोदी जी अपने कैबिनेट में।
इतने पैसों के काम में तो कांग्रेस अभी तक इतना घोटाला कर चुकी होती कि आकंड़ों में कितने 0 (zero) हैं ये गिनती करना मुस्किल हो जाता।

और कैसे आते हैं अच्छे दिन?
कुछ लोग इसको नहीं समझ सकते, वो तो जब तक अपने एकाउंट में 15 लाख नहीं देख लेंगें तब तक नहीं मानेंगें, उसी में से एक प्रियंका वाड्रा भी हैं, उनके भी एकाउंट में 15 लाख नहीं आ रहे हैं जिसके कारण वो अपने मकान का किराया नहीं दे पा रही हैं।
ऐसे लोगों के अच्छे दिन आने से रहे।

Sunday, April 17, 2016

जुलाई में होगी राहुल गांधी की शादी ! ब्राह्मण लड़की के साथ होगी शादी...!

देश के सबसे चर्चित कुंवारों में शामिल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की शादी तय हो गई है। हालांकि गांधी परिवार ने इस खबर की पुष्टि नहीं की है, लेकिन इस परिवार के बेहद नजदीकी सूत्रों ने बताया कि राहुल की शादी तय हो गई है और जल्द ही इसकी घोषणा भी कर दी जाएगी। सूत्रों पर यकीन करें तो राहुल गांधी की शादी में ढाई महीने का समय ही बचा है। शादी इलाहाबाद के आनंद भवन में होगी।

गांधी परिवार के करीबी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राहुल गांधी ( 46 वर्ष ) का विवाह एक ब्राह्मण परिवार की लड़की के साथ होना निश्चित हुआ है। यह परिवार उत्तर प्रदेश से संबंध रखता है और राजीव गांधी के करीबी रहे एक अधिकारी के सीधे संबंध में आता है। इस पूर्व अधिकारी से आज भी गांधी परिवार के करीबी संबंध हैं। जानकारी के अनुसार इस अधिकारी की पहल पर ही यह रिश्ता तय हुआ है।




आनंद भवन में ही होगी शादी


राजनीतिक हलकों के लिए इस हाई प्रोफाइल शादी को सोनिया और राहुल की इच्छा के कारण इलाहबाद के आनंद भवन में रखा गया है। सूत्रों ने बताया कि कुछ दिन पूर्व सोनिया गांधी ने आनंद भवन का दौरा किया था। तब हालांकि इस दौरे को राजनीतिक बताया गया था, लेकिन अब बताया जा रहा है कि वे वास्तव में शादी के लिए आनंद भवन की उपयुक्तता परखने के लिए ही गई थीं। 

जुलाई के दूसरे सप्ताह में शादी?


सूत्रों पर यकीन करें तो शादी में अधिक दिन शेष नहीं हैं। जुलाई के दूसरे सप्ताह में शादी कराने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इसकी तैयारियां अत्यंत गोपनीय तरीके से चल रही हैं और सारी तैयारियां होने के बाद ही इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी।

उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पड़ेगा बड़ा फर्क


गांधी परिवार इस जगह से शादी करके पूरे उत्तर प्रदेश में एक सकारात्मक संदेश देना चाहता है। वह उत्तर प्रदेश को संदेश देना चाहते हैं कि उनकी जड़ें उत्तर प्रदेश और इलाहाबाद में ही हैं और इसलिए वह उनके करीबी हैं।

एक वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ता के अनुसार अगर यह खबर सच है तो यह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी होगी। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि राहुल गांधी की शादी आनंद भवन में होने से पूरे प्रदेश से इस परिवार का सीधा जमीनी सम्पर्क हो जाएगा, जिसका आने वाले चुनावी समय में बहुत ही सकारात्मक असर पड़ेगा।

इसके आलावा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अगर ब्राह्मण परिवार की लड़की से राहुल शादी करते हैं तो इससे ब्राह्मण एक बार फिर कांग्रेस से जुड़ेंगे। ध्यान रहे कि मंडल राजनीति के पहले ब्राह्मण कांग्रेस का ख़ास वोटबैंक हुआ करते थे, लेकिन वीपी सिंह के मंडल आयोग लागू करने पर ब्राह्मण कांग्रेस से दूर हो गए।

Saturday, April 16, 2016

आखिरकार मोदी का विरोध क्यों ???


आखिरकार मोदी का विरोध क्यों ???
● क्या मोदी कोई विदेशी है?
● क्या मोदी का चरित्र दागदार है।?
● क्या मोदी ने कोई भ्रष्टाचार किया है?
● क्या मोदी अपनी तिजोरी भर रहे है ?
°क्या मोदी का कोई बेटा-भतीजा-भाई-भौजाई को वे लाभ देने में लगे हैं?
● क्या मोदी की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है?
● क्या मोदी राष्ट्रविरोधी कार्य कर रहे हैं?
● क्या मोदी कामचोर है?
● क्या मोदी एक तानाशाह है ?
स्वयं से ये सवाल करिए,हर बार आपका अंतर्मन जवाब देगा-"नहीं-नहीं".
● तब,आखिरकर मोदी से एलर्जी क्यों:- कॉंग्रेस
पोषित अल्पज्ञानी मूर्ख हिंदु,मोदी पर यह आरोप लगाते हैं कि,
(1) राम मंदिर नहीं बनवाया
(2) धारा 370 नहीं हटाया
(3) PDP से गठबंधन किया,जबकि आज कशमीर में तिरंगा लहराने की हिम्मत हुई है तो बस इसके कारण,आज दिल्ली से श्रीनगर तक तिरंगा मार्च है,देख लो आंख फाड़ के.
(4) 15 लाख नहीं दिये
(5) अच्छे दिन नहीं आए आदि आदि .
तो कॉंग्रेस पोसित अल्पज्ञानी मूर्ख ये बताओ की
1. क्या तुम्हें सभी विषय में 100 % नंबर मिले थे ?
2. क्या पहली नौकरी मिलते ही
तुमने करोड़ों का घर खरीद लिया ?
3. क्या घर बनाया तो पंचवा तल्ला पहले बनाया या मजबूत नींव बनाई ?
4. गाड़ी चलाते हो तो क्या पांचवा गेयर पहले लगाते हो या पहला गेयर ?
5.बिना स्कूल पास किए ही कॉलेज में एड्मिशन लिया था क्या खुद जोड़ लो और उदाहरण................... .
कोई नहीं बता रहा की अगर मोदी नहीं तो कौन ??
कोई नहीं बता रहा की कौन बना सकता है स्थायी सरकार ?
कोई नहीं बता रहा की कौनं बना सकता है राम मंदिर ?
कोई नहीं बता रहा की कौन हटा सकता है धारा 370 ?
कोई नहीं बता रहा की कौन कर सकता है किसानो की सुरक्षा ?
कोई नहीं बता रहा की कौन कर सकता है भारत की रक्षा ?
ये एक साजिश है लुटेरों की,ताकि आप फंस जाएं,और इनको लूटने को मिले....2014 से आज तक सारे चोर चुहार,देशद्रोही,आतंकी टाईप के लोग क्यू पगलाए हैं? जरा सोचिए!
अगर आपने आज मोदी का साथ नहीं दिया तो जैसे अटल सरकार के जाने के बाद सोनिया की ग़ुलामी 10 साल करनी पड़ी थी अबकी बार शायद 100 साल से भी ज्यादाकरनी पड़ेगी। खून के आँसू रोना पड़ेगा सोच लो,
अब मोदी जी ने क्या -क्या किया वो पता
करो । मुझे मेरे भविष्य के बारे में सोचने कि जरुरत नहीं है।
क्योकि हमने अपने देश कि बागडोर ऐसे मजबूत और ताकतवर व्यक्ति के हाथ में दी हैं जो मेरे ही हीं हमारे देश के 125 करोड हिन्दूस्तानियों के भविष्य के बारे में 24 घंटे सोचते हैं।
और उनके भविष्य को संवारने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।
मिडिया और कुछ लोगों कि गालिया खाते हुए भी वो हमारे देश के भविष्य के लिए कार्य कर रहै हैं। वो अपने लिए नहीं जी रहे वो हमारे भारत के स्वर्णिम भविष्य के लिए जी रहे हैं।
इसलिए आप उन पर शक करना बंद करे।।
गर्व करें कि आप मोदी समर्थक हैं,कोई इटली की नचनिया टीम के गुलाम नहीं,या चीन का साथ देने वाले देशद्रोही वामपंथी नहीं,ना ही अन्ना हजारे के साथ भारत माता की जय बोलकर सीएम बने,और आज भारत माता की जय नहीं बोलने को जायज ठहराने वाले अमरीकी एजेंट के चेले नहीं.


Friday, April 15, 2016

लातूर में 200 परिवारों को रोजाना पानी पहुंचाते है अब्दुल मतीन

इऩ दिनों देश के दस राज्य पानी की भयंकर कमी से जूझ रहे हैं। किसानों के खेत-खलिहान तो दूर यहाँ इंसानों औऱ जानवरों तक के लिए पीने का पानी नहीं है। इसी भयावह सूखे की चपेट में महाराष्ट्र का लातूर जिला भी पूरी तरह पानी-पानी को तरस रहा है। यहाँ लोग कुओँ में चम्मच डालकर पानी निकालने पर विवश है। इस भयावह मंजर में 200 परिवारों की उम्मीद बने अब्दुल मतीन जो रोजाना लोगों के घरों में पानी पहुंचाने का काम कर रहें है।
कहा जाता है कि ऐसे लोगों की वजह से इंसानियत जगह-जगह जिंदा है। अब्दुल मतीन का नाम भी उऩ्हीं लोगों में शुमार किया जाएगा। क्योंकि प्यासे और भूखे का कोई मजहब और घर्म-जाति नहीं होती। उसी तरह अब्दुल मतीन ने भी किसी तरह का भेदभाव नहीं अपनाया। उनके लिए वो 200 परिवार सिर्फ प्यासे है चाहे वह किसी भी मजहब से ताल्लुक रखते हों। अब्दुल मतीन पेशे से शिक्षक है। इंसानियत की खिदमत दिखाने के लिेए बल्कि लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए करते है। जिस कारण उऩकी तारीफ करते हुए लोगों ने उऩको सलाम बोला।
ऐसा बहुत बार देखा गया है। जहाँ चंद लोग पूरे समाज के लोगों के सामने एक ऐसी बेहतरीन मिसाल पेश कर देते है जो तारीफे के काबिल होती है। कभी चेन्नई बाढ़ में फंसे लोगों को मस्जिद में पनाह दी जाती है। तो कभी सांप्रदायिक माहौल में सभी वर्ग एक-दूसरे के साथ उठकर खड़े हो जाते है।

कथित दलित चिंतक बसपा नेताओं की असलियत, अम्बेडकर जयंती के नाम पर अश्लील डांस का कार्यक्रम

कथित दलित चिंतक बसपा नेताओं की असलियत, अम्बेडकर जयंती के नाम पर अश्लील डांस का कार्यक्रम

अम्बेडकर जयंती के नाम पर रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति, अश्लील गानों पर बार बालाओं का नचाया जाए और इस कार्यक्रम में बीएसपी के बड़े-बड़े नेता भी मौजूद हो तो शायद ये ही है कथित दलित चिंतक बसपा नेताओं की असलियत। ये मामला है सीतापुर के महमूदाबाद का, जहां डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की 125 वीं जयंती कुछ इस अमानवीय अंदाज़ में मनाई गई।

उल्लेखनीय है कि बीएसपी हमेशा से ही दलितों के हित और अधिकार की बातें किया करती है, मगर हकीकत कुछ और ही है। भीम राव अम्बेडकर की जयंती कार्यक्रम के दौरान महमूदाबाद में बार बालाओं ने जमकर ठुमके लगाए। उससे भी बड़ी बात कि यह सारा कार्यक्रम बाबा साहेब की मूर्ति के सामने ही चल रहा था। अश्लीलता भरे कार्यक्रम में अश्लील गानों पर बार बालाओं का डांस चल रहा था।
इस कार्यक्रम का आयोजन बीएसपी के नेताओं ने किया था। सबसे पहले रात को बाबा साहेब की मूर्ति पर फूल-मालाएं चढ़ाई गईं। इसके बाद नेताओं ने अम्बेडकर के दिखाए रास्ते पर चलने की कसमें भी खाईं, लेकिन थोड़ी ही देर में कसम वादे फुर्र हो गए। पीछे फिल्मी गीत बजने लगे और अचानक मंच पर बार बालाओं का डांस शुरू हो गया।
बता दें कि यह सब ठीक उसी दिन हो रहा था जब पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कार्यकर्ताओं को बताया कि बाबा साहब अम्बेडकर दलितों के भगवान हैं। मायावती ने ये भी कहा था कि दलितों का तीर्थ अयोध्या या काशी नहीं बल्कि बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर पार्क है।

Wednesday, April 13, 2016

कांग्रेस ने बाबा साहेब को भारत रत्न देने से मना कर दिया था ? बीजेपी दिया भारत रत्न...!

आज जो कांग्रेस बाबा साहेब अम्बेडकर को सर पर उठाकर घूम रही है उसने बाबा साहेब को भारत रत्न देने से मना क्यों कर दिया था ? क्यों राजीव गाँधी ने कहा था की अम्बेडकर इतने महान नही है की उन्हें भारत रत्न दिया जाये ?
पढिये ...भारत रत्न असल में कांग्रेस रत्न क्यों बन गया था
जवाहरलाल नेहरू : मृत्यु 1964 में, भारत रत्न 1955 में यानी अपने मौत के पहले ही कामुक नेहरु ने खुद ही खुद को भारत रत्न दिया था ..
* इंदिरा गांधी : मृत्यु 1984 में, भारत रत्न 1971 में इदिरा भी अपने बाप के कदमो पर चलते हुए खुद ही भारत रत्न का पट्टा अपने गले में पहन लिया था
* राजीव ग़ांधी : मृत्यु 1991 में, भारत रत्न 1991 में
ये हाल तो नीच धूर्त कांग्रेसियो का है

वहीं.........दूसरी तरफ इसे देखे .....
* जय प्रकाश नारायण : मृत्यु 1979 में, भारत रत्न 1998 में वो भी तब दिया गया जब अटल बिहारी वाजपेई ही प्रधानमंत्री बने
* बाबा साहब अंबेडकर जी : मृत्यु: 1956 में, भारत रत्न 1990 में ... वो भी जनता दल बीजेपी गठबंधन की सरकार जब केंद्र में आई तब बीजेपी नेता अटल जी के प्रस्ताव पर वीपी सिंह ने बाबा साहेब अम्बेडर को भारत रत्न दिया
* सरदार वल्लभभाई पटेल : मृत्यु 1950 में, भारत रत्न 1991 में ...सरदार पटेल जी को प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने भारत रत्न से नवाजा ..
अब आप खुद विचार करिये की नेहरु ,इन्दिरा और राजीव गाँधी क्या भारत रत्न के लायक हैं ??? क्या ये खुद ये बेशर्मी से मान सकते है की हम भारत रत्न है और खुद को खुद के हाथो ही भारत रत्न से सम्मानित करते है ? इनकी आत्मा ..इनकी जमीर क्या ये नही सोचती की लाल बहादुर शास्त्री, मुंशी प्रेमचन्द्र , बाबा साहेब अम्बेडकर , सरदार पटेल जैसे महान लोगो को अभी तक हमने भारत रत्न क्यों नही दिया ?
और ये तय करने में कितना समय लगा ?? ये भारत रत्न है या "नेहरू रत्न"। जिन गांधी के नाम की ये आज तक रोटी खा रहे है उसे ही भूल गए, दलितों के घर रोटी खाई पर अंबेडकर को भारत रत्न के लायक समझने में 58 साल लगा दिये??
सच्चाई यही है की अगर भारत "कांग्रेस मुक्त" नही हुआ होता और गैर कांग्रेसी लोग प्रधानमंत्री नही बने होते तो सरदार पटेल, बाबा साहेब अम्बेडकर, लोक नायक जयप्रकाश नारायण को कभी भी भारत रत्न नही मिलता

Monday, April 11, 2016

केजरीवाल के बाथरूम में भी लगे है AC जानिए कैसे हो रही जनता के पैसे की बर्बादी

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के लिए बिजली बिल जून के महीने में 1.35 लाख रुपये आये हैं  जिसका की कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने जमकर विरोध किया है | बीजेपी का कहना है की व्यक्तिगत सुख के लिए जनता के पैसे बर्बाद कर रही है केजरीवाल सरकार|
कुल बिल सिविल लाइंस में फ्लैग स्टाफ रोड पर 6 पर केजरीवाल के आवास पर दो मीटर के जरिए लिए गए कनेक्शन पर आया है |

एक बिल 22,689 रुपए का है, जबकि दूसरे बिल में उद्धृत राशि Rs1,13,598 थी।
एक आरटीआई आवेदन के जवाब में दिल्ली सरकार ने पिछले महीने कहा था कि पिछले वर्ष अप्रैल और मई के लिए केजरीवाल के आवास पर बिजली शुल्क 91,000 रुपये था।
दिल्ली सरकार ने इसे विभिन्न अन्य सुविधाओं के लिए परिसर में आगंतुकों के लिए स्थापित एक शिविर कार्यालय के लिए  शामिल बिजली शुल्क कहा था।


यह कहा गया  की मुख्यमंत्री निवास पर बिजली की खपत के लिए वास्तविक बिल काफी कम था। सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल के आवास पर  एयर कूलर की एक संख्या के अलावा 30 से अधिक एयर कंडीशनर है। यहाँ तक की केजरीवाल के बाथरूम में भी AC की व्यवस्था है |
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि एक वितरण कंपनी है जो सिविल लाइंस इलाके में बिजली की आपूर्ति करती है एवं  यह कार्यालय के काम के लिए घरेलू कनेक्शन का उपयोग करने के लिए मुख्यमंत्री के निवास के लिए एक नोटिस भेज सकते हैं।
डीपीसीसी अध्यक्ष अजय माकन ने पूछा। “अरविंद केजरीवाल  निजी इस्तेमाल के लिए सार्वजनिक कोष बर्बाद कर रहे है। आप नेताओं ने कहा था कि वे विलासिता में लिप्त नहीं होंगे और एक आम आदमी की तरह जीना होगा। अब वे क्या कर रहे हैं, ”
भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी  केजरीवाल सरकार पर यह आरोप लगते हुए की सरकार व्यक्तिगत सुख के लिए सार्वजनिक धन बर्बाद कर रही है कहा,
“यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। वे व्यक्तिगत सुख के लिए सार्वजनिक धन बर्बाद कर रहे है । दिल्ली के लोग अब आम आदमी पार्टी के असली चेहरे के बारे में जान चुके है  ”

Sunday, April 10, 2016

बंद दुकानों के अंदर चल रहा सर्राफा कारोबारियों का आभूषण निर्माण कार्य

सर्राफा प्रदेश यूनियन के निर्देशों के बावजूद श्रीनगर गढ़वाल में दो दिनों तक अपनी दुकानें खोलकर जमके माल बेचने वाले सर्राफा कारोबारियों ने आखिरकार यूनियन के दबाव में अपनी दुकानें एक बार फिर बंद कर ली हैं.

हालांकि सर्राफा कारोबारियों ने दिखावे के लिए तो दुकानें बंद की हुई हैं, लेकिन दुकानों के अंदर ग्राहकों की डिमांड पर गहने बनाए जा रहे हैं. फोटो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे सर्राफा कारोबारी प्रदेश यूनियन के आदेशों को ताक पर रख अपने कारीगरों से गहनों का निर्माण कार्य करवा रहे हैं.
दरअसल, पिछले एक माह से अधिक के समय से सोने-चांदी पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गई एक्साइज ड्यूटी के खिलाफ सर्राफा व्यापारी पूरे प्रदेश में अपनी दुकानों को बंद किए हुए हैं. लंबे समय से दुकानें बंद होने और कार्यरत मजदूरों के वेतन देने से सर्राफा कारोबारियों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति से वे दबाव में हैं.
शादियों और अन्य समारोहों के लिए गहनों की मांग और ग्राहकों की जिद व गुस्से के साथ यूनियन का दबाव भी सर्राफा कारोबारियों के लिए मुसीबत बन गया है. यही कारण है कि इन सब चीजों में तालमेल बनाते हुए कई सर्राफा कारोबारी चुपचाप ग्राहकों की मांग पर गहनों के निर्माण का सौदा कर बंद दुकानों के बावजूद व्यवसाय जारी रखे हुए हैं.
पिछले एक माह से नगर में दुकानें बंद किए होने से परेशान सर्राफा कारोबारियों ने दो दिन पूर्व दुकानें खोल ली थी, लेकिन अचानक प्रदेश यूनियन की डांट के दबाव में आखिरकार दो दिन बाद ही उन्हें अपनी दुकानें बंद करनी पड़ी. हालांकि छोटे सर्राफा कारोबारी तो दुकानें खोलना चाहते हैं, लेकिन बड़े कारोबारियों के डर से मजबूरी में वे अपनी दुकानें बंद किए हुए हैं.
नगर सर्राफा यूनियन के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश यूनियन से तालमेल बिगड़ने के चलते नगर की सर्राफा दुकानें खुली थीं, लेकिन यूनियन के मिले नए आदेशों के बाद फिर से दुकानें बंद कर दी गई हैं. उनका कहना है कि जब तक केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी खत्म नहीं करती तब तक उनकी दुकानें बंद रहेंगी.

जब बंद सर्राफा दुकानों के अंदर आभूषण निर्माण कार्य के बारे में उनसे पूछा गया तो उनका कहना है कि अगर किसी ग्राहक के दबाव में कोई एक कारीगर काम कर रहा होगा तो उसकी उन्हें जानकारी नहीं है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये से नुकसान कारोबारियों का भी हो रहा है और ग्राहकों का भी.

Saturday, April 9, 2016

."डर" एक बहुत कॉमन सी चीज़ है जो हम सबमे पायी जाती है

......"डर" एक बहुत कॉमन सी चीज़ है जो हम सबमे पायी जाती है....डरता हर कोई है पर.....मानता कोई नहीं....इसे स्वीकार कोई नही करना चाहता....और यहीं समस्या शुरू होती है....कोई ऐसा काम जो आप करने में डरते हैं, तो कोई बात नहीं....होता है, नार्मल है....पर....आप नहीं कर सकते तो इसे मानिए.....आपकी ये स्वीकार्यता किसी दुसरे को ये काम करने में मदद दे सकती है.....प्लासी की लड़ाई में क्लाइव के पास केवल 950 अंग्रेज सिपाही, 150 बंदूकची, 2100 भारतीय सिपाही थे.....मतलब टोटल केवल 3200 लड़ाके.....और वो भी नियमित सेना नहीं....उनमे से अधिकाँश एक व्यापार करने वाली कंपनी के व्यापारी, नौकर, क्लर्क, गुमाश्ते आदि थे.....उनका लीडर क्लाइव कभी इंग्लैण्ड की सड़कों पर आवारा घूमता था....दूसरी तरफ...सिराज़ुद्दौला के पास 50,000 "नियमित" सिपाहियों की फौज थी.....खैर ये युद्ध क्लाइव जीता और इसमें सिराजुद्दौला की सेना में कुछ महत्वपूर्ण लोगों ने गद्दारी की.....असल बात आती है इसके बाद की.....क्लाइव जीत के बाद मुर्शिदाबाद में घुसा.....तब उसके पीछे सिर्फ 200 यूरोपियन और 500 भारतीय सिपाही थे.....क्लाइव को शहर में घुसने से डर लग रहा था.....वो खुद लिखता है ....."उस वक्त शहर के रहने वाले हमें देख रहेथे, जो कई हज़ार थे....यदि वो चाहते तो वे हम सबको केवल पत्थरों और लाठियों से भी मार डाल सकते थे"....पर ऐसा करता कौन?....बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ?......उनका उस समय कोई लीडर नहीं था....और उनमे डर बैठा था...वो हारी हुई जनता से थे....अगर लीडर होता तो शायद जोश दिलाने पर कुछ करते....हमें हमेशा एक लीडर चाहिए...अच्छा या खराब फर्क नहीं पड़ता....हम डरते हैं....अपनी ज़िम्मेदारी लीडर पर थोपते हैं.....तो कम से कम इसे स्वीकार करो और किसी को लीडर चुनो जो कहता है मैं ये काम करूँगा और कर भी रहा है.....आप मान जाओ कि आप ये नहीं कर सकते.....मत बोलो कि कुछ दिन बाद आप खुद ये कर सकते हो....अभी समय नहीं है....अभी परिस्थिति अनुकूल नहीं है.....झूठ मत बोलो....जो आगे बढ़ रहा है कम से कम उसे समर्थन दो.....खुलकर कहो कि हम डरते हैं.....और जो नहीं डर रहा है .....कम से कम उसे "मौखिक" समर्थन दे सकते हो..... Satyam Kumar और उनके NIT के साथियों को कम से कम हतोत्साहित ना करो....ये नेता नहीं बनना चाहते....पर हमें लीडर चाहिए.....नहीं तो मुर्शिदाबाद में क्लाइव घुसता ही रहेगा....भले ही अन्दर से डरा हुआ.....