Saturday, April 9, 2016

."डर" एक बहुत कॉमन सी चीज़ है जो हम सबमे पायी जाती है

......"डर" एक बहुत कॉमन सी चीज़ है जो हम सबमे पायी जाती है....डरता हर कोई है पर.....मानता कोई नहीं....इसे स्वीकार कोई नही करना चाहता....और यहीं समस्या शुरू होती है....कोई ऐसा काम जो आप करने में डरते हैं, तो कोई बात नहीं....होता है, नार्मल है....पर....आप नहीं कर सकते तो इसे मानिए.....आपकी ये स्वीकार्यता किसी दुसरे को ये काम करने में मदद दे सकती है.....प्लासी की लड़ाई में क्लाइव के पास केवल 950 अंग्रेज सिपाही, 150 बंदूकची, 2100 भारतीय सिपाही थे.....मतलब टोटल केवल 3200 लड़ाके.....और वो भी नियमित सेना नहीं....उनमे से अधिकाँश एक व्यापार करने वाली कंपनी के व्यापारी, नौकर, क्लर्क, गुमाश्ते आदि थे.....उनका लीडर क्लाइव कभी इंग्लैण्ड की सड़कों पर आवारा घूमता था....दूसरी तरफ...सिराज़ुद्दौला के पास 50,000 "नियमित" सिपाहियों की फौज थी.....खैर ये युद्ध क्लाइव जीता और इसमें सिराजुद्दौला की सेना में कुछ महत्वपूर्ण लोगों ने गद्दारी की.....असल बात आती है इसके बाद की.....क्लाइव जीत के बाद मुर्शिदाबाद में घुसा.....तब उसके पीछे सिर्फ 200 यूरोपियन और 500 भारतीय सिपाही थे.....क्लाइव को शहर में घुसने से डर लग रहा था.....वो खुद लिखता है ....."उस वक्त शहर के रहने वाले हमें देख रहेथे, जो कई हज़ार थे....यदि वो चाहते तो वे हम सबको केवल पत्थरों और लाठियों से भी मार डाल सकते थे"....पर ऐसा करता कौन?....बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ?......उनका उस समय कोई लीडर नहीं था....और उनमे डर बैठा था...वो हारी हुई जनता से थे....अगर लीडर होता तो शायद जोश दिलाने पर कुछ करते....हमें हमेशा एक लीडर चाहिए...अच्छा या खराब फर्क नहीं पड़ता....हम डरते हैं....अपनी ज़िम्मेदारी लीडर पर थोपते हैं.....तो कम से कम इसे स्वीकार करो और किसी को लीडर चुनो जो कहता है मैं ये काम करूँगा और कर भी रहा है.....आप मान जाओ कि आप ये नहीं कर सकते.....मत बोलो कि कुछ दिन बाद आप खुद ये कर सकते हो....अभी समय नहीं है....अभी परिस्थिति अनुकूल नहीं है.....झूठ मत बोलो....जो आगे बढ़ रहा है कम से कम उसे समर्थन दो.....खुलकर कहो कि हम डरते हैं.....और जो नहीं डर रहा है .....कम से कम उसे "मौखिक" समर्थन दे सकते हो..... Satyam Kumar और उनके NIT के साथियों को कम से कम हतोत्साहित ना करो....ये नेता नहीं बनना चाहते....पर हमें लीडर चाहिए.....नहीं तो मुर्शिदाबाद में क्लाइव घुसता ही रहेगा....भले ही अन्दर से डरा हुआ.....

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