Wednesday, February 24, 2016

देवी दुर्गा को वेश्या कहा गया, फिर भी कोन सी बोलने की आज़ादी चाहिए...?

स्मृति ईरानी ने जो बातें सदन में रखी हैं उन्होंने वाक़ई मुझे झकझोर कर रख दिया है कि किस तरह से उमर ख़ालिद ने देवी दुर्गा जिसकी सामान्य हिन्दू भगवती माँ मानकर पूजता है।उन्हें वैश्या कहा।यह भी कहा कि उन्होंने महिषासुर को बिस्तर पर धोखे से मारा।
मैं तो सोच रहा था कि उसने देशद्रोही नारे लगाए हैं मगर इसने तो हिन्दू होता तो समझो कि मुहम्मद साहब की माँ के कपड़े उतारकर उन्हें वैश्या कह दिया।
या इससे भी आगे जाकर कि उमर ख़ालिद ने अपनी माँ के वस्त्रों का हनन किया है।मेरी लिए सभी की माँ वन्दनीया हैं।मगर उमर ख़ालिद की मानसिकता का पोस्टमार्टम कहता है कि उसने पहले अपनी माँ के कपड़े उतारे हैं।
क्या मुसलमानों को ऐसा नौजवान क़ुबूल हैं जो मुहम्मद साहब जैसे महापुरुष पर इतनी गन्दी छींटाकशी करे?
जो अपनी माँ पर गन्दी नज़र रखता हो।
जी हाँ!ये उसी के समान है।आप लोग समझो कि मैं कह रहा हूँ के जो किसी को भी माँ की गाली दे वो निश्चित रूप से अपनी मां की इ्ज़्जत रोज़ उतारता होगा।
जो अपनी माँ को मान देता है;किसी भी माँ को गाली नहीं दे सकता,और अगर देता है तो स्वयं की माँ को देता है।
देशद्रोह तो इस मानसिकता के सामने बहुत छोटी बात है।देश की संकल्पना हर काल में अलग अलग होती है।लेकिन माँ तो पहली गुरु होती है।माँ से ही मानवता आती है।
उमर ख़ालिद जैसे जितने भी हिन्दू;मुस्लिम; सिख या ईसाई नौजवान हैं उनकी माँ की कोख तो कलंकित हो गई है।अब इनको उन्हीं के परिवार द्वारा विष देकर वो कलंक धो लेना चाहिए नहीं तो जनता तो उन्हें मार ही देगी।
स्मृति ईरानी ने और भी बहुत महत्त्वपूर्ण बिन्दु तथ्यों के साथ उठाए जिसमें चौथी कक्षा के बच्चों को क्या शिवाजी की निन्दा पढ़ाती तीस्ता गरमबाड़ की किताब को पेश किया।काँग्रेस का सिर उसकी खोज में विफ़ल रहा जिसे चुलु्लू भर पानी कहते हैं;वरना राहुल गांधी का ज़िन्दा होना सम्भव न होता।
अनुराग ठाकुर से लेकर राजनाथ सिंह तक सभी ने विकराल शब्दों से काँग्रेस से लेकर वामियों की मोटी खाल उधेड़ दी।
मुलायम सिंह ने शानदार तरह से दो शब्दों में ये कहकर कि देशद्रोही नारे लगाने वालोंको माफ़ नहीं किया जा सकता; दिल का भार बढ़ने न दिया।
कुल मिलाकर मैं ये मान रहा हूँ कि भारत एक बार फिर पुनर्जीवित हो रहा है तभी इतनी उबकाई निकल रही है।
इसी राष्ट्रवाद ने एक बार अंग्रेजों को जाने के लिए मजबूर किया था।लेकिन अब फिर से जगा है;और अब राजनीति का अंग्रेज जाने वाला है।अब राजनीतिक दल वाम या काँग्रेस वाले ख़त्म होने वाले हैं।बीजेपी के दो भाग या कुछ क्षेत्रीय दलों का ही अस्तित्व रहने वाला है।
काँग्रेस ने इस मामले में कांग्रेस का हाथ देकर राजनीतिक आत्महत्या कर ली है और राहुल गाँधी ग़लतफ़हमी में सोच रहे हैं कि लोग उनसे डरते हैं।जिससे बच्चा बच्चा खेलता है;उससे कौन डरता होगा?
हाँ!काँग्रेस के शुभचिंतक डरते होंगे इससे तो इनकार नहीं किया जा सकता।

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