Tuesday, February 16, 2016

जब मुहम्मद साहब के कार्टून बने थे वो भी तो फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन था तब क्यों बुरी लगी थी..?

क्या "JNU" मामले में देशद्रोह कानून का दुरूपयोग हो रहा है..? - गौतम नवलखा
जब मुहम्मद साहब के कार्टून बने थे वो भी तो फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन था तब क्यों बुरी लगी थी..?
कमलेश तिवारी ने मुहम्मद साहब के ऊपर बयान दिया था वो भी तो फ्रीडम ऑफ़ स्पीच थी फिर क्यों बौखला रहे थे..?
जब मकबूल फिदा हुसैन मॉ सरस्वती की नंगी तस्वीर बनाता है तो उसे एक कलाकार की रचना कहते है...!
सलमान रशदी की किताब अथवा तस्लीमा नसरीन की किताब भी तो फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन था, तब क्यों बुरी लगी थी..?
अब JNU में देश तोड़ने को फ्रीडम ऑफ़ स्पीच बता कर ज्ञान बाँट रहे हो हमारे ही घर में हमको धमकाने निकले हैं, एक शेर के रहते कैसे कुत्ते खुलकर भौंक रहे हैं..!
अफज़ल पर तो छाती फटती देखी है बहुत लोगों की, मगर शहादत भूल गए हो सियाचीन के शेरों की और जब देशद्रोह के हमदर्दीैं तुच्छ सियासत करते है तब तो नहीं बोलते हो कुछ भी कोई भी सब लोग मुँह में दही जमाकर बैठ जाते हो और अब सब ज्ञान देने के लिए हाजिर हो हद है यार दोगली हरकतों की..!!

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