Monday, February 29, 2016

इस तरह की अराजकताओं को जो नाम दिये जाते हैं वह ठीक नहीं है इसे सिर्फ और सिर्फ अराजकता कहा जाना चाहिए..!

पिछले दिनों हरियाणा में हुई अराजकता को जिस तरह जाट आंदोलन कहकर प्रचारित किया जा रहा है..!
वह गहरी राजनीतिक साजिस है.! इस तरह की अराजकताओं को जो नाम दिये जाते हैं वह ठीक नहीं है इसे सिर्फ और सिर्फ अराजकता कहा जाना चाहिए..!
दादरी कांड को हिन्दुत्ववादी आंदोलन से जोडा गया, मालदा की अराजकता को इस्लाम से जोडा गया, हरियाणा में दिन-दहाडे जो लूट-पाट, हत्यायें आगजनी बलात्कार हुए और पूरा जनजीवन अराजकता के हवाले किया गया उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की है। जो सरकार अराजकता नहीं रोक पायी उसे कटघरे में खडा किया जाना चाहिए लेकिन सरकारें कह रही हैं कि यह जाट आंदोलन था..!
ना तो जाट समुदाय को हम इकतरफा तौर पर इस तरह बदनाम कर सकते हैं और ना ही यह कोई आंदोलन था। आंदोलन की अपनी एक गरिमा और मर्यादा होती है। अराजकता को आंदोलन कैसे कहा जा सकता है..?
इसी तरह हिन्दूवादी आंदोलन और मुसलमानवादी आंदोलन कहने से पहले हमें विचार करना होगा कि हम क्या कह रहे हैं अराजकता और जंगलराज को किसी धर्म, जाति और समुदाय जोडना सही नहीं हैं..!
जहॉ भी सामाजिक अराजकता हो उसकी पूरी जिम्मेदार प्रशासन और सरकार की असफलता है और समाज को बॉटने की गहरी साजिश है ताकी वोटों की दुकानदारी की जा सके..!!

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