Monday, February 22, 2016

JNU कांड भारतीय मार्क्‍सवादियों की उसी मानसिकता की एक मिसाल मात्र है

JNU कांड भारतीय मार्क्‍सवादियों की उसी मानसिकता की एक मिसाल मात्र है जिसमें भारत को कभी राष्ट्र ही नहीं माना गया..!
उन्होंने भारत को अधिक से अधिक राष्ट्रीयताओं का एक संघ ही माना है। इनकी पार्टियों को भारतीय होने में शर्म लगती थी इसलिए वे अपने को भारतीय नहीं, बल्कि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी कहती थीं। साम्यवादियों के मन में भारत के लिए हिकारत का यह भाव बहुत आसानी से हिन्दू धर्म के लिए घृणा के भाव में दिखाई दिया..!
भारतीय राष्ट्र और हिन्दू धर्म को शोषक शक्ति मानने की इसी साम्यवादी सैद्धांतिक समझ ने कम्युनिस्टों की निगाह में हर भारत-विरोधी, हिन्दू-विरोधी भावना को प्रगतिशील बना दिया। पिछले चालीस सालों में जेएनयू में केवल इतना बदलाव आया है कि पहले कम्युनिस्ट क्रांतिकारिता सीनियर सहयोगी थी, अब मुस्लिम कट्टरपंथ ने उसको अपने अधीन कर लिया है..!
इस धार्मिक आतंकवाद को साम्यवादियों से एक मार्क्‍सवादी मुखौटा और जेएनयू जैसी वीआइपी जगहों पर जमने का मौका मिल जाता है..!!

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