किसी भी देश में "प्रारंभिक शिक्षा" इसलिये "compulsory" होती है क्यूंकि..!
इसके जरिये हम ज्ञान की प्राप्ति करके कुदरत और स्थानिक प्रशासन के नियमो को समझकर उसका पालन करके सही तरीके से जीवन यापन करे..!
मगर जवाहरलाल नेहरु विश्वविधालय की घटना औए बाद के घटनाक्रम से ऐसा लगता है की हमने शिक्षा इसलिए ग्रहण करी है ताकि हम हमारी शिक्षा से जो कुछ सीखे वो भूलकर किसी विचारधाराओ के तहत व्यवहार और वर्तन जाहेर जनजीवन में करे..!
क्या हमारी शिक्षा व्यवस्थता और देश का कानून यह अनुमति देता है की कानून अपने हाथो में लेकर जहाँ मर्जी हो वहां अपनी मर्जी से व्यवहार करे..?
क्या हम विचारधाराओ के इतने आधीन और आदी हो गये है की कानून अपने हाथ में लेकर मारपीट कर सकते है..?
क्या हमारे नैतिक और जीवन मूल्य हमें यह सिखाते है की हमारा गुजारा किसी राजनितिक पार्टियों के बिना नहीं हो सकता है..?
क्या देश का कानून हमें किसी राजनितिक पार्टी या संस्था से जुड़ने के लिए बाध्य करता है..?
क्या किसी राजनितिक पार्टी से जुड़े होने पर गैरकानूनी कृत्य करने पर हम कानून के दायरे से बहार रह पायेंगे..?
यह प्रश्न विचारणीय है, हमारा व्यवहार विवेकबुधि और स्वनिर्णय आधारित होना चाहिए हाल के परिपेक्ष में जो राष्ट्रविरोधी घटनाक्रम हुआ उसके लिये न्यायतंत्र कानून के दायरे में रहकर अपना कार्य करेंगी..!
हमे किसी अनजानी शह या पिठ्बल के आधार पर अपने स्तर पर कोई गैरक़ानूनी हरकत नहीं करनी चाहिए, यह प्रस्तुति देशहित में है..!!
इसके जरिये हम ज्ञान की प्राप्ति करके कुदरत और स्थानिक प्रशासन के नियमो को समझकर उसका पालन करके सही तरीके से जीवन यापन करे..!
मगर जवाहरलाल नेहरु विश्वविधालय की घटना औए बाद के घटनाक्रम से ऐसा लगता है की हमने शिक्षा इसलिए ग्रहण करी है ताकि हम हमारी शिक्षा से जो कुछ सीखे वो भूलकर किसी विचारधाराओ के तहत व्यवहार और वर्तन जाहेर जनजीवन में करे..!
क्या हमारी शिक्षा व्यवस्थता और देश का कानून यह अनुमति देता है की कानून अपने हाथो में लेकर जहाँ मर्जी हो वहां अपनी मर्जी से व्यवहार करे..?
क्या हम विचारधाराओ के इतने आधीन और आदी हो गये है की कानून अपने हाथ में लेकर मारपीट कर सकते है..?
क्या हमारे नैतिक और जीवन मूल्य हमें यह सिखाते है की हमारा गुजारा किसी राजनितिक पार्टियों के बिना नहीं हो सकता है..?
क्या देश का कानून हमें किसी राजनितिक पार्टी या संस्था से जुड़ने के लिए बाध्य करता है..?
क्या किसी राजनितिक पार्टी से जुड़े होने पर गैरकानूनी कृत्य करने पर हम कानून के दायरे से बहार रह पायेंगे..?
यह प्रश्न विचारणीय है, हमारा व्यवहार विवेकबुधि और स्वनिर्णय आधारित होना चाहिए हाल के परिपेक्ष में जो राष्ट्रविरोधी घटनाक्रम हुआ उसके लिये न्यायतंत्र कानून के दायरे में रहकर अपना कार्य करेंगी..!
हमे किसी अनजानी शह या पिठ्बल के आधार पर अपने स्तर पर कोई गैरक़ानूनी हरकत नहीं करनी चाहिए, यह प्रस्तुति देशहित में है..!!
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