कुछ साल पहले की बात है, हिन्दुओं के खिलाफ एक षड्यंत्र के तहत दक्षिण भारत का बामपंथि पेरियार "रावण पूजा" का चलन शुरु किया था, रावण को आर्य पीड़ित समुदाय का बता एक किताब ”रावण काव्यम्" लिख महिमामंडन करने का प्रयास किया गया। गाजे-बाजे के साथ रावण की शोभा यात्रा निकाली गयी, जिसमे प्रभु राम के लिये कई अनुचित-अमर्यादि त शब्दों का प्रयोग किया गया। प्रभु श्रीराम को बदनाम करने के उद्द्येश से इस नीच बामपंथि ने "सच्ची रामायण" भी लिखा, जिसे आज कुत्ता भी नही पूछता।
पर जब इस दुष्ट को ज्ञात हुआ की रावण ब्राह्मण कुल से है, तो "रावण पूजा" तत्काल बंद कर दी गयी। दरअसल इन्हे न तो रावण से कभी कोई सरोकार रहा है और न अब महिषासुर से ही है। 'लाल चड्डी गैंग' के न तो कोई सिद्ध्यांत है, और न ही कोई आदर्श। ये जरूरत के मुताबिक छल-कपट से हिन्दू समाज को तोड़ने के लिये सतत प्रयासरत रहते हैं। इनके दुष्प्रचार से जिस तरह मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की छवि को कोई नुकसान नही हुआ, उसी तरह शक्षात ईश्वर स्वरूपा, आदि शक्ति माता भगवती दुर्गा की महिमा पर कोई फर्क पड़ने वाला।
आदि शक्ति माता भगवती दुर्गा के सम्बंध मे जिस तरह के गन्दे शब्द और कपोल-कल्पित कहानी गढ़ा गया, यह अक्षम्य अपराध है। दुनिया के हर धर्म-सम्प्रदाय मे जिस आदि-शक्ति या पराशक्ति का जिक्र है, वह माता भगवती दुर्गा हैं, मूर्खों तत्काल माता से क्षमा माँगो, वर्ना तुम्हारा अनर्थ अवश्यसंभावी है -- यह अटल सत्य है ! माता भगवती ममतामयी-दयानिधा न हैं, तुम बामपंथि नीच को भी माता पुत्रवत मान जरूर माफ कर देंगी। उधर तुम्हारे द्वारा घोषित असहिष्णु हिन्दू समाज ने तो तुम्हारे महापाप पर माफ़ कर ही चुके होंगे।
क्या दलित हिन्दू समुदाय महर्षी वाल्मीकि, कबीर, संत रविदास, माता शबरी, या महान रामभक्त मल्लाह केवट आदि से खुद को जोड़कर नही देख सकते ? क्या आपने कभी किसी ब्राह्मण को रावण का वंशज कह गर्व करते देखा है ? आज कौन है वो दलित-पिछड़ी जाति का व्यक्ति जो खुद को महिषासुर जैसे निगेटिव करेक्टर की औलाद मान गौरवान्वित महसूस करेगा ? कोई नहीं -- ये सिर्फ मुट्ठीभर नीच बामपंथी हैं।
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बामपंथी-कांग्रे सी-सेक्युलर कीड़ों के निहितार्थ एक गैर मजहबी का सन्देश :-
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जगदम्बा दुर्गा द्वारा शुंभ-निशुम्भ , चंड मुण्ड, महिषासुर आदि रक्षाओं का संहार दरअसल किसी जीव की बलि ना होकर एक प्रकार से सूचक है मानव मन के भीतर छुपे उन दुर्गुणों पर होने वाले विजय का, जो जाने अनजाने हमें दिग्भ्रमित करते रहते हैं। हमारे मन के भीतर छुपे बैठे दानव गलत रास्ते की ओर उन्मुख ना कर सकें, इसके लिये जरूरी है की ममतामयी माँ दुर्गा की शरण मे रहें।
माँ भगवती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये आपलोग दुर्गा-शप्तशती का पाठ कीजिये, (कवच, अर्गला,किलक) ! यदि समयाभाव हो तो आप सिर्फ सिद्ध कुंजीका स्त्रोत्र का भी पाठ कर सकते हैं। सिद्ध कुंजीका स्त्रोत्र एकमात्र ऐसा स्त्रोत्र है, जो सिद्ध किया हुआ, अर्थात उसे पाठक द्वारा सिद्ध करने की आवश्यकता नही है और इसका लाभ आपको मात्र 1-2 महीने मे दिखना शुरु हो जायेगा ! सनद रहे जगदम्बा घोर से घोर पापियों पर भी कृपा करती है। ॐ नमो चण्डिकाय __/\__
पर जब इस दुष्ट को ज्ञात हुआ की रावण ब्राह्मण कुल से है, तो "रावण पूजा" तत्काल बंद कर दी गयी। दरअसल इन्हे न तो रावण से कभी कोई सरोकार रहा है और न अब महिषासुर से ही है। 'लाल चड्डी गैंग' के न तो कोई सिद्ध्यांत है, और न ही कोई आदर्श। ये जरूरत के मुताबिक छल-कपट से हिन्दू समाज को तोड़ने के लिये सतत प्रयासरत रहते हैं। इनके दुष्प्रचार से जिस तरह मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की छवि को कोई नुकसान नही हुआ, उसी तरह शक्षात ईश्वर स्वरूपा, आदि शक्ति माता भगवती दुर्गा की महिमा पर कोई फर्क पड़ने वाला।
आदि शक्ति माता भगवती दुर्गा के सम्बंध मे जिस तरह के गन्दे शब्द और कपोल-कल्पित कहानी गढ़ा गया, यह अक्षम्य अपराध है। दुनिया के हर धर्म-सम्प्रदाय मे जिस आदि-शक्ति या पराशक्ति का जिक्र है, वह माता भगवती दुर्गा हैं, मूर्खों तत्काल माता से क्षमा माँगो, वर्ना तुम्हारा अनर्थ अवश्यसंभावी है -- यह अटल सत्य है ! माता भगवती ममतामयी-दयानिधा
क्या दलित हिन्दू समुदाय महर्षी वाल्मीकि, कबीर, संत रविदास, माता शबरी, या महान रामभक्त मल्लाह केवट आदि से खुद को जोड़कर नही देख सकते ? क्या आपने कभी किसी ब्राह्मण को रावण का वंशज कह गर्व करते देखा है ? आज कौन है वो दलित-पिछड़ी जाति का व्यक्ति जो खुद को महिषासुर जैसे निगेटिव करेक्टर की औलाद मान गौरवान्वित महसूस करेगा ? कोई नहीं -- ये सिर्फ मुट्ठीभर नीच बामपंथी हैं।
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बामपंथी-कांग्रे
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जगदम्बा दुर्गा द्वारा शुंभ-निशुम्भ , चंड मुण्ड, महिषासुर आदि रक्षाओं का संहार दरअसल किसी जीव की बलि ना होकर एक प्रकार से सूचक है मानव मन के भीतर छुपे उन दुर्गुणों पर होने वाले विजय का, जो जाने अनजाने हमें दिग्भ्रमित करते रहते हैं। हमारे मन के भीतर छुपे बैठे दानव गलत रास्ते की ओर उन्मुख ना कर सकें, इसके लिये जरूरी है की ममतामयी माँ दुर्गा की शरण मे रहें।
माँ भगवती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये आपलोग दुर्गा-शप्तशती का पाठ कीजिये, (कवच, अर्गला,किलक) ! यदि समयाभाव हो तो आप सिर्फ सिद्ध कुंजीका स्त्रोत्र का भी पाठ कर सकते हैं। सिद्ध कुंजीका स्त्रोत्र एकमात्र ऐसा स्त्रोत्र है, जो सिद्ध किया हुआ, अर्थात उसे पाठक द्वारा सिद्ध करने की आवश्यकता नही है और इसका लाभ आपको मात्र 1-2 महीने मे दिखना शुरु हो जायेगा ! सनद रहे जगदम्बा घोर से घोर पापियों पर भी कृपा करती है। ॐ नमो चण्डिकाय __/\__
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