New Delhi, Jan 29 : प्रधानमंत्री Narendra Modi ने Make in India का formula दिया तो विदेशी कंपनियां भी अब उसमे इनट्रेस्ट दिखा रही है. इस इनट्रेस्ट मे जल्द ही एक नया और बड़ा नाम जुड़ने वाला है. दरअसल China की बाजारों में लगातार आ रही मंदी और अर्थव्यवस्था में गिरावट के माहौल को देखते हुए हाई एंड स्मार्ट फोन बनाने वाली कंपनी Apple ने भारत की ओर रुख करने का मन बना लिया है. Apple पहले भारत में अपने स्टोर खोलेगी और बाद में यहीं पर एप्पल की नई जेनरेशन के स्मार्ट फोन बनाना शुरु करेगी. Apple के सीएफओ लूका मिस्त्री की माने तो India में Apple फोन की विक्री में 76 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है.
अगर Apple के फोन भारत में बनने शुरु हो जायें तो उनकी बिक्री और भी बढ़ सकती है. इसके साथ ही India का एक विशेष वर्ग चीन में बने समान पर शंका करने लगा है. Apple का मानना है कि China के बजाय India में Apple की ग्रोथ संभावनाएं ज्यादा दिख रही है. गौरतलब है कि India दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है. देश में जहां कोरियाई कंपनी सैमसंग, चीनी कंपनी श्याओमी समेत कई बड़ी कंपनियां अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगा चुकी है.
Pakistan के सलाना Budget से ज्यादा Apple का मुनाफा !
Apple के सालाना रिजल्ट ने सारी दुनिया को चौंका दिया है. क्यूपर्टिनो स्थित इस कंपनी ने दिसंबर में समाप्त तिमाही में 74.6 अरब डॉलर का कारोबार किया और उसे कुल 18 अरब डॉलर का शुद्ध मुनाफा हुआ जो एक विश्व रिकॉर्ड है. कंपनी के कुल राजस्व में पिछली तिमाही की तुलना में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. Apple का एक तिमाही का कारोबार दुनिया के कई देशों से ज्यादा है. मसलन पाकिस्तान का सालाना बजट 39.3 अरब डॉलर है. इस तरह से अफ्रीका और एशिया के कई देशों का कुल बजट उसके शुद्ध मुनाफे जितना भी नहीं होता है.
इस रिजल्ट के बाद कंपनी के शेयरों की कीमत पांच प्रतिशत तक बढ़ गई और वो 114.90 डॉलर प्रति शेयर पर जा पहुंचा है. कंपनी ने चीन में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वो वहां अमेरिका से ज्यादा बिक्री नहीं कर पाई. Apple ने साढ़े सात करोड़ आईफोन बेचे हैं. इसके अलावा उसने दो करोड़ 14 लाख आई पैड भी बेचे हैं. सिर्फ आईफोन की बिक्री से कंपनी ने 50 अरब डॉलर कमाए हैं. कंपनी ने इस दौरान दुनिया भर में हर घंटे औसतन 34,000 आईफोन बेचे हैं. ये एक रिकॉर्ड है. कंपनी अप्रैले से अपने एप्पल वॉच की बिक्री भी शुरू करेगी.
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PM Modi का 2 साल का कार्यकाल अब तक तो शानदार रहा है
अच्छा प्रशासन, आर्थिक नीतियों, विदेश नीति के मोर्चे पर सरकार की तारीफ कर सकते हैं.
New Delhi, May 08 : प्रधानमंत्री Narendra Modi की अगुवाई में केंद्र में बनी NDA की सरकार इसी महीने की 26 तीराख को सत्ता में अपने 2 साल पूरे करने जा रही है। जाहिर है दो साल पूरे होने को लेकर Modi सरकार के कामकाज की समीक्षाएं की जा रही हैं और अपने-अपने हिसाब से आंकलन भी किए जा रहे हैं। पीएम मोदी ने 2014 के चुनावों से पहले देश की जनता को अच्छे दिन के सपने दिखाए थे और सवाल उठ रहे हैं कि वो अच्छे दिन कहां हैं। आइए जरा समझने की कोशिश करते हैं कि क्या वाकई अच्छे दिन आए हैं या कम से कम उसकी झलक दिख रही है क्या, ऐसा भी हो रहा है तो निराश होने की बात को बिल्कुल भी नहीं है। लाइक करें हमाराफेसबुक पेज सबसे पहले बात करें PM Modi के राजनीतिक जलवे को तो ये आज भी कायम है। 2014 का चुनाव बीजेपी ने भारी बहुमत से जीता तो इसकी सबसे बड़ी वजह खुद पीएम मोदी ही रहे, उनके ही व्यक्तित्व पर पूरे देश ने एकजुट होकर मुहर लगाई। PM Modi दो साल बाद भी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और पिछले दिनों आए एक सर्वे से भी इस बात की पुष्टि हुई कि उनका जो जलवा 2 साल पहले था वो आज भी कायम है। पिछले साल दिल्ली और बिहार में हार के बावजूद जितने भी सर्वे आए उनमें PM Modi की लोकप्रियता को 70 फीसदी के करीब बताया गया.
इस तरह की लोकप्रियता को अमेरिका में Approval Rating कहते हैं और 70 फीसदी लोकप्रियता राजनीति में बहुत ही अच्छा माना जाएगा। पिछले कुछ सालों में देश में Opinion Poll ज्यादा भरोसेमंद होते गए हैं, इसलिए इस पोल पर भरोसा कर सकते हैं। इन Opinion Poll की एक बड़ी बात ये भी रही कि PM Modi अपने राजनीतिक विरोधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष Rahul Gandhi से लोकप्रियता के मामले में काफी आगे हैं, Rahul Gandhi करिश्मे और क्षमता के स्तर पर भी कहीं नहीं टिकते। इस बीच कुछ क्षेत्रीय नेता जैसे कि Nitish Kumar और Arvind Kejriwal भी तेजी से उभरे लेकिन इनकी लोकप्रियता का दायरा कुछ स्थान विशेष तक ही सीमित है, जबकि PM Modi न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ग्लोबल स्तर पर भी लोकप्रिय हैं। BJP ने पिछले साल Delhi और Bihar में चुनाव हारे, लेकिन वहां भी एक बात ये देखी गई कि BJP का रुझान सकारात्मक था, यानी कि उसके वोट बढ़े, वहीं Congress के वोटों और प्रभाव में भारी कमी आई। अर्थव्यवस्था के मामले में भी PM Modi ने देश की जनता से कई वायदे किए थे और देखा जाए तो इस दिशा में काफी गंभीरता से काम हुआ है। देश में विदेशी निवेश में जबरदस्त इजाफा हुआ है तो इसकी वजह PM Modi ही हैं जिन्होंने अपने विदेश दौरों में दुनिया भर के उद्योगपतियों, CEOs और NRIs को भारत की सही तस्वीर दिखाई और उन्हें भारत में निवेश के लिए प्रेरित किया। विदेशी निवेश में बढ़ोतरी के रूप में इसका नतीजा भी दिखाई दे रहा है।
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New Delhi, Jun 01: केंद्र की सत्ता में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से काफी कुछ बदला है। PM Modi के नेतृत्व में विदेशों में भारत की साख बढ़ी है. अब एक और खुशखबरी देशवासियों के लिए सामने आ रही है। Modi राज में भारत दुनिया के सबसे अमीर 10 देशों में शामिल हो गया है। भारत में रहने वाले लोगों की कुल संपत्ति 5,200 अरब डॉलर हो गई है। हालांकि इस के साथ एक ड्रॉ बैक भी है।
न्यू वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया के 10 सबसे अमीर देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है। भारत इस लिस्ट में सातवें पायदान पर है। पहले नंबर पर अमेरिका है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत का दुनिया के 10 अमीर देशों की सूची में शामिल होने का कारण बड़ी आबादी का होना है। प्रति व्यक्ति आय के आधार पर एक औसत भारतीय काफी गरीब हैं। रिपोर्ट में पिछले 15 साल के दौरान भारत की आर्तिक वृद्धि को मजबूत कहा गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 15 सालों में भारत के साथ साथ चीन और ऑस्ट्रेलिया की ग्रोथ भी मजबूत रही है। इतना ही नहीं भारत ने पिछले साल इटली को पीछे छोड़ दिया। टॉप 5 अमीर देशों में चीन 17,300 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दूसरे नंबर पर, जापान 15,200 अरब डॉलर के सात तीसरे, जर्मनी 9,400 अरब डॉलर के साथ चौथे और ब्रिटेन 9,200 अरब डॉलर संपत्ति के साथ पांचवें नंबर पर है।
इस रिपोर्ट ने भारतीयों को खुश और गर्व करने का मौका दिया है। लेकिन ये भी सोचने वाली बात है कि प्रति व्यक्ति आय के आधार पर देखें तो आज भी भारतीय बेहद गरीब हैं। Modi सरकार को उनके लिए कुछ करने की जरूरत है। इंटरनेशनल लेवल पर तो पीएम मोदी ने भारत की साख को बढ़ाया है। सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर खुद पीएम मोदी ने कहा था कि आने वाले 3 सालों में केंद्र सरकार की नीतियों का अशर आम भारतीय पर दिखने लगेगा।
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धारा 370 पर मोदी सरकार ने स्पष्ट किया रुख, लेने वाली है बड़ा फैसला
श्रीनगर। धारा 370 को लेकर मोदी सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। खबरों के मुताबिक 12 अगस्त से पहले ही मोदी सरकार इसको लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक करने वाली है। इस बैठक के लिए विपक्ष को भी न्योता दिया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर पूरा मन बना लिया है। इसके लिए वह विपक्ष को एकजुट करने में लगी हुई है।
क्या है धारा 370
भारतीय संविधान की धारा 370 जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करती है। 1947 में विभाजन के समय जम्मू-कश्मीर के राजा हरिसिंह पहले स्वतंत्र रहना चाहते थे लेकिन उन्होंने बाद में भारत में विलय के लिए सहमति दी।
जम्मू-कश्मीर में पहली अंतरिम सरकार बनाने वाले नेशनल कॉफ्रेंस के नेता शेख़ अब्दुल्ला ने भारतीय संविधान सभा से बाहर रहने की पेशकश की थी। इसके बाद भारतीय संविधान में धारा 370 का प्रावधान किया गया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार मिले हुए हैं।
1951 में राज्य को संविधान सभा को अलग से बुलाने की अनुमति दी गई। नवंबर, 1956 में राज्य के संविधान का कार्य पूरा हुआ। 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया।
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मो. अयूब ने गोरखपुर के बड़हलगंज में अपने पिछले बयान पर सफाई देने के लिए प्रेस वार्ता आयोजिक की थी। प्रेस वार्ता में भी मो. अयूब सफाई की बजाय विवादित टिप्पणी कर गए और कहा कि योगी आदित्यनाथ मनुवादी आतंकवादी हैं। मो. अयूब के आरोप यहीं नहीं रुके उन्होंने योगी की तुलना शकुनी से कर दी और कहा कि वो पिछड़े और वंचित समाज को स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
प्रेस वार्ता में बोलते हुए मो. अयूब ने योगी आदित्यनाथ को बाहरी बताया और चुनौती देते हुए डीएनए टेस्ट करवाने की बात कही। साथ ही कहा कि मंदिर का चोला छोड़ मैदान में आ जाये। हार के बाद जमानत भी न जब्त हो जाये तो कहना।
इससे पहले मो. अयूब ने योगी आदित्यनाथ पर टिप्पणी करते हुए ISI सरगना मिर्जा दिलशाद बेग के साथ संबंध होने का आरोप लगाया था। मो. अयूब ने योगी आदित्यनाथ को आतंकवादी कहा था। जिसके बाद बीजेपी की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया की गई थी। वही पीस पार्टी की तरफ से आज उसी मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए प्रेस वार्ता बुलाई गई थी लेकिन प्रेस वार्ता में भी अय्यूब ने विवादित टिप्पणी कर दी।
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आखिर क्या किया प्रधानमंत्री मोदी जी ने जब एक बार ट्रेफिक हवलदार ने रोक ली थी उनकी कार…
लाइक करें हमाराफेसबुक पेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के बारे में कई किस्से आपने सुने होंगे परंतु अब जो बात आप सुनने जा रहे हैं वो आपको ये ज़रूर समझाएगी की मोदी जी क्यूँ जनता के सेवक हैं और ज़मीन से जुड़े हुए व्यक्ति हैं । ये बात तब की है जब नरेंद्र मोदी जी न देश के प्रधानमंत्री थे न गुजरात के मुख्यमंत्री, वे उस समय भाजपा के प्रभारी थे और उस समय केंद्र में अटल बिहारी की सरकार थी ।
ये बात है 1998 जब मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव थे और जगदलपुर में उस समय के प्रधानमंत्री श्री अटल जी की सभा थी । उसी कार्यक्रम में मोदी जी को भी पाहुचना था । वो एक छोटे से विमान से वहाँ पाहुचे , एयरपोर्ट से वे एक कार में बैठ कर कार्यालय की ओर चल दिये । रास्ते मे उस समय के मद्य प्रदेश मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी का काफिला जा रहा था इसलिए मोदी जी की कार को एक ट्रेफिक हवलदार ने रोक दिया ।
ड्राईवर ने हवलदार को ये बताया की गाड़ी में मोदी जी बैठे हैं परंतु हवलदार टस से मस नहीं हुआ । जब काफिला गुज़र गया तो मोदी जी ने उस हवलदार की सराहना की और मुस्कुराकर शाबाशी देकर उसका हौसला बढ़ाया । हिदी समाचार- से जुड़े अन्य अपडेट लगातार प्राप्त करने के लिए लाइक करें हमाराफेसबुक पेजऔर आप हमेंट्विटरपर भी फॉलो कर सकते हैं |
"भगवा आतंक" - एक बड़ी राजनैतिक साज़िश, पूर्व डिप्टी NSA डॉ प्रधान का खुलासा
पहले से जानते थे कि समझौता एक्सप्रेस में धमाके होने वाले हैं चिदंबरम के गृहमंत्री बनने के बाद बदल गई जांच की दिशा
खुफिया विभाग के अधिकारी भी थे आश्चर्यचकित एनआईए को अपने इस्तेमाल के लिए बनाया और खास लोगों को जगह दी दिग्विजय सिंह और चिदंबरम के बीच राहुल से नजदीकियों की होड़ थी ओसाम बिन लादेन के पाकिस्तान में होने की जानकारी हमारे पास थी अमेरिका और भारत की एजेंसियों ने पाकिस्तान के बारे में इनपुट साझा किए बड़बोलेपन की वजह से प्रज्ञा, असीमानंद जैसे लोगों को शिकार बनाया गया असली मकसद संघ के आला नेताओं और मोदी तक पहुंचना था ज्वाइंट इंटेलीजेंस कमेटी के पूर्व प्रमुख और पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. एस. डी. प्रधान से एक्सक्लूसिव बातचीत- (भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए लगातार शोध करने वाले और कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रह चुके डॉ. एस. डी. प्रधान ने भगवा आतंक के झूठ का पर्दाफाश करते हुए एक्सक्लूसिव बातचीत में कई अहम खुलासे किए हैं…) जांच बाद की बात है, खुफिया विभाग धमाकों के पहले ही जानता था कि कौन धमाके करने वाला है.. समझौता और दूसरे धमाकों के पहले ही हमें ये खबर थी की ये धमाके होने वाले है. हमारी इंटेलीजेंस एजेंसी के लिए ये नाकामी नहीं बल्कि कामयाबी थी क्यूंकि हमने पहले ही बताया था कि धमाके हो सकते हैं. समझौता एक्सप्रेस को लेकर पर भी जानकारियां पहले ही दे दी गई थीं. इसके औपचारिक पेपर आईबी और जेआईसी के पास आज भी मौजूद है. इसके बाद अमेरिका ने भी अपनी खुफिया एजेंसियों के हवाले से ये जानकारी दी थी. आरिफ कसमानी का नाम पहले ही शेयर किया गया था और उसके बारे में भारतीय एजेंसियों के पास भी जानकारी थी. ताज्जूब की बात ये है कि इन पूरी जानकारियों को नजर अंदाज कर जांच की दिशा ही बदल दी गई. एनआईए के हाथ में केस आया और सबकुछ बदल दिया गया. समझौता और इशरत जहां दोनों ही मामलों को साफ साफ बदला गया.. समझौता ब्लास्ट की जांच में तो बिलकुल साफ है कि जांच को साफ साफ बदला गया और इसी तरह इशरत जहां के मामले में भी सबकुछ बदल दिया गया. अगस्त 2009 में जो फाइलें आई थी वो सितंबर-अक्टूबर में पूरी तरह बदल दी गईं. पहले ही जांच की फाइलें आ गई थीं लेकिन बाद में उन्हें किसी खास मकसद से बदल दिया गया. 2004 में जब ये सब हो रहा था तब में ज्वाइंट इंटेलीजेंस कमेटी के साथ एडीशनल सेक्रेटरी के तौर पर जुड़ा था और मैंने सारी रिपोर्ट्स देखी थीं. यही नहीं हम लोग अहमदाबाद भी गए थे क्यूंकि इन लोगों के बारे में पहले से ही जानकारियां थी. ये सब अचानक नहीं हुआ था बहुत दिनों से इंटेलीजेंस एजेंसीज नजर बनाए हुए थीं. इशरत जहां का नाम लश्कर की वेब साइट पर भी था. 2009 के चुनाव के बाद से ही 2014 की तैयारियां शुरू हो गई थीं.. 2009 के इलेक्शन में यूपीए की जीत हुई लेकिन उन्हें ये पता था कि आने वाले चुनाव में मोदी और संघ बड़ी चुनौती बनकर उभरेंगे. यही वजह है कि इस जीत के कुछ समय बाद ही भगवा आतंक शब्द का इस्तेमाल किया गया. ये शब्द भी किसी और ने नहीं गृह मंत्री चिदंबरम ने संसद में कहे, इसकी उस वक्त कड़ी आलोचना भी हुई थी. इसके बाद से लगातार जांच बदलती चली गई और इशरत जहां और समझौता ब्लास्ट दोनों की जांच में एक नया मोड़ दे दिया गया. इस मामले पर अपने दूसरे साथियों से भी मेरी बातचीत होती रही. वो भी आश्चर्य चकित थे कि आखिर ये हो क्या रहा है? इसकी जांच चलती रही लेकिन इसमें कुछ नहीं मिल रहा था. खुफिया विभाग के साथियों ने भी तब बताया था कि इस मामले में इंडियन्स के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. समझौता में 100 फीसदी पाकिस्तानी हाथ और मालेगांव में 99 फीसदी मालेगांव में धमाके के दौरान कुछ इंडियन्स भी शामिल हो सकते हैं. ये स्लीपर माड्यूल्स होते हैं और इन्हें अलग अलग कामों के लिए एक्टिवेट किया जाता है. इनका काम विस्फोटकों को इधर से उधर ले जाने भर तक सीमित है. इन्हें खुद भी पता नहीं होता है कि पूरा प्लान क्या है इसीलिए मैं मालेगांव में 99 फीसदी पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का हाथ होने की बात कह रहा हूं. हो सकता है कुछ इंडियन मॉड्यूल्स का इस्तेमाल आतंकियों ने इन धमाकों में किया हो लेकिन समझौता ब्लास्ट में सौ फीसदी पाकिस्तान का हाथ था इसके पुख्ता सबूत हमारे पास हैं. हमारी अपनी रिपोर्ट्स थी और साथ ही साथ अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी इस बात को पुख्ता कर रही थीं. बयानों को पिरोकर मामला बनाने की राजनैतिक साजिश अभिनव भारत जैसी संस्था उग्र विचारधारा की रही है. धमकी देना और बड़बोलापन दिखाकर बम का बदला बम से लेने की बात करना उनका तरीका रहा है. ऐसी बहुत सी संस्थाएं और लोग हिंदुस्तान में हैं लेकिन धमकियां देना और आतंकी हमला करने में बड़ा फर्क है. ये लोग बोलते जरूर है लेकिन इनके पास ऐसा करने की कोई सलाहियत ही नहीं है. इनकी बातों के बारे में तो जानकारियां मिली लेकिन इनकी किसी प्लानिंग के बारे में जांच एजेंसियों को कभी कोई सबूत नहीं मिले. इनके सीधे सीधे धमाकों से जुड़े होने का भी कोई सबूत नहीं मिला. इकबालिया बयानों के आधार एक दूसरे के खिलाफ बुलवाकर इस पूरी कहानी को खड़ा कर दिया गया. जहां तक समझौता का सवाल है वहां तो किसी का भी किसी तरह का कोई इन्वॉल्वमेंट हो ही नहीं सकता. इस जांच की दिशा को राजनीति से प्रेरित होकर बदल दिया गया. इंद्रेश कुमार और मोहन भागवत तक पहुंचने की कोशिश की जा रही थी सिमी के आतंकियों का एक बार फिर से नार्को टेस्ट हाल ही में हुआ और उसमें भी ये साफ हो गया है कि समझौता ब्लास्ट को कैसे अंजाम दिया गया था. उनका ये कबूलनामा धमाकों के बाद ही सामने आ गया था लेकिन राजनीतिक फायदे के लिए जांच को एक अलग दिशा देने का काम किया गया. बड़े परिप्रेक्ष्य में देखें तो 2009 में इन्होंने सिर्फ संघ को फंसाने के लिए समझौता और इशरत जहां मामले सामने रखे थे. इन्हें डर था मोदी से और यही वजह है कि पहली बार खुद गृह मंत्री ने भगवा आतंक शब्द का इस्तेमाल किया था जिसे कड़ी निंदा के बाद उन्हें वापस लेना पड़ा था. मैं चिदंबरम को जानता हूं वो बहुत शार्प हैं मैंने कई मीटिंग्स के दौरान चिंदबरम को देखा है और उनके काम को नजदीक से समझने का मौका भी मिला है. मैंने उन्हें 2004 से जानता हूं और एक बात उनके बारे में साफ तौर पर कह सकता हूं कि वो बहुत शार्प और इंटेलीजेंट हैं. लेकिन उन्होंने अपनी इंटेलीजेंस गलत जगह लगाई थी. वो वकील भी हैं इसीलिए सभी मामलों को खुद ही कानूनी तौर पर बनाने में जुटे हुए थे. उन्हें शिवराज पाटिल को हटाकर लाया गया था. पाटिल सीधे आदमी थे वो चाहे जो हो जाता इस तरह की साजिश में शामिल नहीं होते. वो बैलेंस में विश्वास करने वाले इंसान थे. लेकिन वकील चिंदबरम तो कानूनी तरीके से इस मामले को भगवा रंग देने में जुटे थे. एनआईए में भी इन्हीं के द्वारा चयनित लोगों को रखा गया था. एनआईए बनाने के पीछे भी चिदंबरम का खास मकसद था एनआईए के एक एक अधिकारी का चयन चिदंबरम के इशारे पर हुआ था. उनके इशारों पर काम करने वाले खास लोगों को इसमें जगह दी गई थी. चिदंबरम की इस बात को लेकर भी आलोचना हुई थी कि वो सीनियर्स के बजाय कई जूनियर्स को तवज्जो दे रहे हैं. यहां भी उनकी मंशा सवालों के घेरे में थीं क्यूंकि वो शायद ऐसे लोग चाहते थे जो उनके इशारे और एजेंडे पर काम करें. ऐसे भी कई लोग रहे जो पहले एनआईए में सीनियर पद पर आए और फिर बाद में उन्हें कई दूसरे महत्वपूर्ण पद दे दिए गए. ये उन्हें फायदा पहुंचाने का इशारा भी करता है. अमेरिका भारत को क्यूं देता था जानकारियां अमेरिका पाकिस्तान की चालाकी से वाकिफ था लेकिन अफगानिस्तान में अपनी लड़ाई के लिए पाकिस्तान उसकी मजबूरी था. लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की नजर आईएसआई की हर गतिविधि पर थी. अमेरिका का खुफिया नेटवर्क पाकिस्तान में बहुत मजबूत है. पाकिस्तान में आईएसआई की साजिशों के बारे में वो समय समय पर भारत को जानकारियां देता रहा है. समझौता ब्लास्ट की जानकारी भी ऐसी ही एक जानकारी थी साथ ही हमारी खुफिया एजेंसियों के पास भी इसके इनपुट्स पहले से ही थे. 2009 में 7 अमेरीकी एजेंट मारे गए थे और जनवरी 2010 के एक सीक्रेट केबल से ये साफ है कि इसके लिए आईएसआई ने आर्थिक मदद की थी. अमेरिका ये सब जानता था लेकिन उसकी मजबूरी थी कि पाकिस्तान को साथ लेकर चलना है लेकिन वो भारत को सारी जानकारियां देता रहता था. कसमानी के बारे सारी जानकारियां मौजूद थीं. खासतौर पर उसकी फंडिंग के बारें में अहम जानकारियां थी. क्यूंकि अमेरिका का पाकिस्तान में डीप पेनेट्रेशन है और वो साथ मिलकर अफगानिस्तान में काम करते हैं इसीलिए भी अमेरिका के पास ज्यादा भीतर तक की जानकारियां होती हैं. वो हमें हर मीटिंग और आतंकियों के मंसूबों के बारे में बताते रहते थे. लादेन के पाकिस्तान में होने की जानकारी भारत ने अमेरिका को दी जानकारियां हम भी अमेरिका को मुहैया कराते रहे हैं. मुझे याद है 2006-2007 के आस पास दो अहम मीटिंग्स पाकिस्तान में हुई थी. इनमें जवाहिरी और ओसाम का सिपहसालार मुल्ला उमर शामिल थे. ये लोग मीटिंग खत्म होने के बाद रावलपिंडी जाते थे और वहां से गायब हो जाते थे. हमें तभी शक हो गया था कि ओसामा बिन लादेन रावलपिंडी के आस पास ही है. ये जानकारी हमने अमेरिका के साथ साझा की थी और बहुत मुमकिन है इसी को आगे डेवलप कर अमेरिका ने ओसामा का सफाया कर दिया. इसी तरह उन्होंने कसमानी के रोल के बारे में हमें कई बार बताया था. दरअसल अमेरिकी खुफिया एजेंसी के एजेंट पाकिस्तानी भी हैं जो उन्हें खबर देते रहते हैं. हम लोगों को उनके मुकाबले जरा कम जानकारियां होती थी. समझौता एक्सप्रेस के बारे में हमें भी जानकारियां थी लेकिन अमेरिकी एजेंसी ने और पुख्ता तौर पर जानकारियां दी थी कि इसमें भी आरिफ कसमानी का अहम रोल है. दिग्विजय सिंह और चिदंबरम के बीच की खींचतान दिग्विजय सिंह हेमंत करकरे के लगातार संपर्क में थे. यहां तक की उनकी मौत के बाद उन्होंने इसे हिंदू आतंकियों का काम तक कह दिया था. इसके बाद करकरे की पत्नि ने उनसे मिलने से भी इंकार कर दिया था. चिदंबरम की भी लाइन यही थी लेकिन सरकार में भी खींचतान थी. दरअसल दिग्विजय राहुल के नजदीक थे और चिदंबरम जानना चाहते थे कि वो राहुल को क्या जानकारियां देते हैं. इसी लिए ये खबरें भी आई कि दिग्विजय सिंह का फोन भी टैप करवाया जा रहा था. चिदंबरम को अपनी कुर्सी का खतरा भी सता रहा था. हिदी समाचार- से जुड़े अन्य अपडेट लगातार प्राप्त करने के लिए लाइक करें हमाराफेसबुक पेजऔर आप हमेंट्विटरपर भी फॉलो कर सकते हैं |
पिता ने बेटी के इलाज के लिए किया ट्वीट, पीएम मोदी ने भिजवाई एयर एंबुलेंस
रायपुर. तकरीबन 20 साल नेवी में नौकरी के बाद रिटायर हुए एक पिता ने हादसे में सिर की चोट से घायल अपनी बीमार बेटी की मदद के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के ऑफिस से ट्वीट कर मदद क्या मांगी, पूरा पीएमओ एक्टिव हो गया। रिटायर्ड अफसर रविकांत सोनी के ट्वीट के 12 घंटे के अंदर पीएम मोदी ने सेना की एयर एंबुलेंस रायपुर भिजवा दी। जानें क्या है पूरा मामला…. – रिटायर्ड नेवी अफसर रविकांत सोनी की बेटी आकांक्षा का 20 जुलाई को भिलाई के नेहरूनगर के पास एक्सीडेंट हुआ था। लाइक करें हमाराफेसबुक पेज – तब वह नेहरूनगर से जिम जा रही थी। हादसा ऐसा था कि ट्रक में फंसी आकांक्षा को मुश्किल से निकाला जा सका। उसका सिर भी धड़ से अलग होने का खतरा पैदा हो गया था। – इसके बाद उसे इलाज के लिए भिलाई के सेक्टर-9 अस्पताल में भर्ती किया गया। – करीब 5 दिनों तक इलाज के बाद भी आकांक्षा की सेहत में सुधार नहीं हुआ तो पिता रविकांत ने पीएमओ और डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पार्रीकर को मदद के लिए ट्वीट कर दिया। – एडमिनिस्ट्रेटिव्स के मुताबिक ट्वीट के 12 घंटे के अंदर ही पीएमओ के ऑर्डर पर डिफेंस मिनिस्टर ने सेना की एक एयर एंबुलेंस रायपुर के लिए रवाना कर दी। इसमें सीनियर डाॅक्टर भी थे। – रायपुर में एयर एंबुलेंस के आते ही भिलाई से राजधानी तक रात 8 बजे ग्रीन काॅरीडोर बना दिया गया। रात 8.50 बजे भिलाई से एंबुलेंस से अफसर की घायल बेटी सीधे रायपुर एयरपोर्ट लाई गई। – उसे और फैमिली को लेकर एयर एंबुलेंस ने रात 10.55 बजे यहां से दिल्ली के लिए टेकऑफ किया। पहली बार भिलाई से रायपुर तक ग्रीन कॉरीडोर – जख्मी आकांक्षा को भिलाई से रायपुर लाने के लिए पहली बार यहां सड़क और हवाई रूट को ग्रीन कॉरीडोर में तब्दील कर दिया गया था। – यानी इस दौरान आकाश में एयर एबुलेंस और सड़क पर जख्मी को लेकर आने वाली एंबुलेंस के अलावा बाकी सभी गाड़ियों को रोक दिया गए। – सेक्टर-9 हाॅस्पिटल से यह एंबुलेंस जीई रोड और रिंग रोड होकर एयरपोर्ट लाई जानी थी। इस पूरे रास्ते को पुलिस ने खाली करवा लिया। – भिलाई से एयर एंबुलेंस रात 8.50 बजे रवाना हुई। यह रात 10 बजे से पहले ही माना एयरपोर्ट पहुंच गई। उसे एयरपोर्ट से एंबुलेंस तक शिफ्ट करने में लगभग एक घंटा लगा। – इसके तुरंत बाद एयर एंबुलेंस ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी।
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दो साल में मोदी सरकार ने आर्थिक वृद्धि दर को किया 7.9 प्रतिशत
लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ रही कांग्रेस नीत यूपीए सरकार में देश की आर्थिक वृद्धि दर की गति में गिरावट आयी थी। शाह ने आज कहा जब अटल जी देश के प्रधानमंत्री थे तब वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी और जो यूपीए सरकार में घटकर 4.4 प्रतिशत रह गयी थी। मोदी सरकार ने दो साल के भीतर वृद्धि दर को 7.9 प्रतिशत पर पहुंचा दिया है। लाइक करें हमाराफेसबुक पेज
शाह ने अगले वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव को अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कहते हैं कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है। यह आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है और इसका अपना अलग महत्व है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से तो उत्तर प्रदेश का महत्व है ही और देश के विकास में भी इसका महत्व बहुत ज्यादा है। शाह ने मुद्रा योजना, जनधन योजना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसे अनेक कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाई और कहा कि केन्द्र सरकार विकास को जनजन तक पहुंचाना चाहती है। उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनने का भरोसा जताते हुए कहा कि भाजपा सत्ता में आने पर उत्तर प्रदेश को विकास की नयी उचाईयों पर ले जायेगी।
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60 सालों बाद देश में दिखा ऐतिहासिक नजारा, मोदी ने बदल के रख दिया भारतीय राजनीति
हम सभी ने भारतीय राजनीति के काफी रंग देखें है। यहाँ पिछले 65 सालों से जो चला आ रहा है उससे सभी चिर परिचित भी हैं। लेकिन क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि पिछले दो सालों में हमने कितने परिवर्तन देखे? राजनीती का समाज की सोच पर काफी असर पड़ता है, ये तो सभी का मानना है। एलपीजी की सब्सिडी छोड़ कर उज्वला अभियान को सफल बना कर सभी भारतीयों ने ये साबित भी कर दिया। देश की राजनीती में ये बदलाव सिर्फ किसी एक के करने से नहीं हुआ है, हम सभी की इसमें सामान भागीदारी है। लेकिन किसी भी कार्य के लिए पहला कदम उठाने वाला ही साहसी मन जाता है और वो कदम उठाया है भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी ने। लाइक करें हमाराफेसबुक पेज
देश दो भागों में बंट चूका है मोदी समर्थक और मोदी विरोधी। अचरज ही है नहीं तो सालों से दुश्मनी निभाते दल अब एक दूसरे से जुड़ना चाहते हैं। चाहे वो लालू और नितीश की बात हो या अन्य छोटे दलों की। ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले कई सालों से जब भी चुनाव, राजनीती या देशहित की बात चलती तो जो पहला शब्द हमारे मन में आता वो है भ्रष्टाचार। लेकिन पिछले दो सालों में इस शब्द का इस्तेमाल न के बराबर हुआ है। मोदी सरकार ने पारदर्शिता दिखाई और ज्यादातर मंत्री लोगों से सोशल मीडिया के जरिये खुद जुडें है और उनकी समस्याओं का समफन भी किया है। जिसके महत्वपूर्ण उदाहरण सुषमा स्वराज और हमारे रेल मंत्री सुरेश प्रभु जी है। सरकार ने जनता से डायरेक्ट जुड़ने का हर तरीका खोज निकाला और ज्यादातर स्कीम का लाभ लोगों को सीधे मिल रहा है। मोदी सरकार ने बिचौलियों की भूमिका ख़त्म कर दी। विपक्ष हर संभव प्रयास कर के उन्हें नीचा दिखाना चाहता है चाहे वो बात बिना सर पैर की ही क्यों न हो। विपक्ष ने देशहित में न सोच कर सिर्फ विरोध किया चाहे वो हार्दिक पटेल या ज़ाकिर नाइक, जेनयू के छात्रों जैसे जघन्य अपराध का ही मामला क्यों न हो। विपक्ष ने हर संभव प्रयास किया। आरोप लगाने को कुछ न रहा तो प्रधाममंत्री के कपड़ों, विदेश भ्रमण को मुद्दा बना कर, देश को असली मुद्दों से भटकाया गया।
अगर आप ध्यान से उनकी कार्यशैली और लगन को देखें तो आप खुद ही समझ जाएंगे, देश को वाकई में एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जिसपर हम गर्व कर सकतें है।
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कश्मीर: एक और आतंकवादी हमला नाकाम, ४ आतंकवादी मारे गये, १ ज़िंदा पकडा गया
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के पास नौगाम सेक्टर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में चार आतंकी मारे गए जबकि एक आतंकी जिंदा पकड़ा गया। जिंदा पकड़ा गया आतंकी पाकिस्तान के लाहौर का रहने वाला है। उसने अपना नाम बहादुर अली बताया है। सेना उसकी शिनाख्त की कोशिश कर रही है। गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि कश्मीर में जिंदा पकड़े गए आतंकी से पाकिस्तान को बेनकाब करने में मदद मिलेगी। लाइक करें हमाराफेसबुक पेज
कहा जा रहा है कि आतंकियों का समूह, भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहा था। उसी समय गश्त कर रहे जवानों की नजर उन पर पड़ी। जब आतंकियों को ललकारा गया तो उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की। सेना के एक अधिकारी ने कहा,नौगाम सेक्टर में अभियान के दौरान चार आतंकी मारे गए और एक को जिंदा पकड़ा गया। ये सभी आतंकी विदेशी नागरिक हैं। बताया जा रहा है कि पांचों आतंकी लश्कर ए तैयबा से जुड़े हैं।
नौगाम में आतंकियों को पकडऩे के लिए सेना ने बड़े स्तर पर अभियान शुरू किया। अधिकारी ने कहा कि अभियान के जारी रहने के कारण यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह घुसपैठ की कोशिश थी या नहीं। हमने आतंकियों में से एक को जिंदा पकड़ा है। उससे कुछ महत्वपूर्ण सूचना मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। हिदी समाचार- से जुड़े अन्य अपडेट लगातार प्राप्त करने के लिए लाइक करें हमाराफेसबुक पेजऔर आप हमेंट्विटरपर भी फॉलो कर सकते हैं |
नई दिल्ली, 25 जुलाई : खाने-पीने की महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने राज्यों को जरूरी खाद्य वस्तुओं पर से टैक्स हटाने को कहा है। सरकार ने दाल, खाने का तेल समेत तमाम खाने-पीने की चीजों से लोकल टैक्स हटाने के आदेश दिए हैं। सरकार के इस कदम से न सिर्फ ग्राहकों को चीजें कम दाम पर मिलेंगी बल्कि किसानों को भी उनकी फसल के सही दाम मिल पाएंगे। साथ ही सरकार की नजर जमाखोरी और काला बाजारी पर भी रहेगी।
कंज्यूमर्स अफेयर्स मंत्रालय ने कमोडिटीज के दाम और उपलब्धता को नियंत्रण रखने के लिए राज्यों से प्राइस स्टेबिलाइजेशन फंड स्कीम को भी लागू करने को कहा है।
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लाइक करें हमाराफेसबुक पेज भारत के पास 10 लाख मजबूत पैरामिलिट्री फोर्स है और उन पर कई जिम्मेदारियां हैं। सीमाओं को सुरक्षित करने से लेकर, माओवादियों की गोली और लोगों के पत्थर भी खाने पड़ते हैं। अब मोदी सरकार ने पैरामिलिट्री फोर्सेस को अब उच्च तकनीकों से लैस करने का फैसला किया है। इसके मुताबिक अब पैरामिलिट्री फोर्सेस के जवानों को अमेरिका के तर्ज पर आधुनिक बनाने का फैसला किया है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इन जवानों के लिए हल्के हेलमेट्स खरीदने की मंजूरी दे दी है जो कि न सिर्फ उन्हें गोलियों से बचाएंगे बल्कि भारी-भरकम पत्थरों से भी उनके गर्दन और सिर की रक्षा करेंगे। ये हैलमेट्स 9 एमएम की गोलियां भी झेल सकती हैं। इस हेलमेट को पहनने के बाद वो वाकी-टॉकी, नाईट विजन कैमरा इत्यादि भी अपने साथ ले जा सकते हैं।
आपको बता दें कि इस वक्त सीआरपीएफ के पास सिर्फ 2000 बुलेट प्रुफ जैकेट हैं और बीएसएफ जो कि भारत-पाकिस्तान सीमा को गार्ड करता है, वो सिर्फ 500 हेलमेट्स के साथ ऑपरेट करता है। सरकार ने माना है कि पैरामिलिट्री फोर्सेस के पास 98% बुलेट प्रुफ जैकेट्स की कमी है। राजनाथ सिंह आर्थिक चुनैतियों को दरकिनार करते हुए कहा है कि जवानों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
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हिन्दू संस्कृति में शाशन व्यस्था के नजरिये से किसी को दलित नहीं समझा जाता था | यह बीमारी मुस्लिम एवं अँगरेज़ आक्रांताओं के शाशन में थी।। हिन्दू संस्कृति के आदर्श राम,कृष्ण, रहे हैं | समाज के अभावग्रस्त लोगों को दरिद्र नारायण की संज्ञा दी जाती थी | दरिद्र के प्रति स्नेह और सम्मान की भावना न होती तो राम भी शबरी के जूठे बेर नहीं खाते | हजारों साल से दलितों के साथ अन्याय होने की बात सरासर कोरी बकवाश और झूठ के अलावा कुछ नहीं है तथा ये कथित बुद्धिजीवियों का थोपा और प्रचारित असत्य है | ऋषि बाल्मीकि चांडाल कुल में जन्म लेने के बाद भी राम आदि राजाओं के लिए पूज्य और प्रणम्य थे | दलित उत्पीड़न की बात मुग़लों से भी अधिक अंग्रेज़ों के द्वारा फूट डालों और शाशन करो के सिद्धांत का बड़ा हथियार था | आवश्यकता है भावी पीढ़ी के विद्यार्थियों को इतिहास से विदेशी विकृति या कचरे को साफ़ कर सौंपा जाये | भारत में अभावग्रस्त गरीब लोग थे लेकिन दलित नहीं थे | अभावग्रस्त ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शुद्र सभी थे किन्तु कोई दलित नहीं था | क्या राजा हरिशचन्द्र काशी के डोम राजा के चाकर नहीं थे ? क्या राजा विक्रमादित्य तेली के घर कोल्हू का बैल बन कर नहीं पेरवए थे | हिन्दू संस्कृति में कोई दलित था ही नहीं तो उनका शोषण कहाँ से हो गया | लाइक करें हमाराफेसबुक पेज
राज नेताओं को राज करने के लिए नए - नए शगूफे छोड़ने की आदत है | पहले भी और अभी भी हिन्दू धर्म और देश धर्म के लिए सबसे बड़ा खतरा इस्लाम हैं।।।। सबसे बड़ा सत्य तो यह हैं की ( कुछ 1%अपवादों को छोड़ कर) कोई भी मुसलमान अपने देश के प्रति वफादार नही है।। भारतीय मुसलमानो को सउदिया की तरफ से आर्थिक मदद मिल रही हैं देश को अस्थिर करने के लिए ।। जरूरत हैं आपस में लड़ने के बजाए देश के और धर्म के दुश्मनो को पहचानने की इनसे बदला लेने की ।। कम्युनिस्ट कहते हैं बिना पहचान का देश हैं मुसलमान इसे बर्बाद करने पे लगे हुए हैं, हम हिन्दुओ को आपस में लड़वा कर दलित बनाम स्वर्ण खेलने वाले इन गद्दारो को पहचानिये मेरे देश वासियो।। अव्वल तो दलित और स्वर्ण कुछ हैं ही नही हैं सब एक हैं सनातन धर्म में ही हमारी जड़े हैं अपनी जड़ो को काट कर कोई पेड़ कब तक जिंदा रह सकता हैं।। कितनी सारी संस्कृतीयो वाला हमारा प्यारा देश भारत जिसकी विशेषता ही इसकी भिन्न भिन्न संस्कृतिया, अलग पद्धत्तिया, अलग अलग भाषाएँ, अलग रहन _सहन अलग पोशाकें फिर भी सनातन में ये खूबी हैं की आराम से सब रिवायतों को अपनी अपनी आजादी हासिल हैं।। जरुरत हैं !!इस्लामिक षड्यंत्र!! को समझने की जो दुनिया के सभी मुसलमानो का एजेंडा हैं इस्लामिक विस्तार , जिसमे भारत के मुस्लमान भी शामिल हैं और इनमे इनको साथ मिलता हैं देश की गद्दार पार्टियो के गद्दार नेताओं का ।। कोई शक नही कुछ गद्दार हिन्दुओ की वजह से ही देश की ये हालत हैं भाई भाई से लड़ रहा हैं ।। हमारा देश तो पहले ही इस्लामिक आतंक को झेल रहा हैं, देश की प्रतिभाये बाहर जा रही हैं, इतनी गरीबी हैं , कोई टेक्नॉलॉजि का विकास नही हो पा रहा ह।ै ं मैंने कोई भी अविष्कार नही देखा भारत से जिसका कोई प्रोफेसनल यूज़ हो रहा हो ।।इतनी जरूरी बातो को छोड़ कर दलित स्वर्ण को लेकर् बेकार का झगड़ा हो रहा हैं।। सड़के नही हैं , बिजली नही हैं, पीने का पानी नही हैं कानून-व्यवस्था भी दुरुस्त नही हैं, शिक्षा के क्षेत्र में भारत पिछड़ा है, 50% बच्चे 5वी क्लास में पढ़ाई छोड़ देते हैं। उच्च शिक्षा में कोई क्वालिटी नही हैं ।। किसी को कोई सुविधा नही चाहिए क्या ?इन चीजो को लेकर बात चीत होनी चाहिए न?? देश को जरूरत हैं, हमारी !!!हम लड़ रहे हैं।।!! अगर सब अपने आप को सिर्फ भारतीय मान ले तो ये सारे झगड़े ही खत्म हो जाये।। हमलोग पहले भारतीय हैं।। सनातन हिन्दू।। यही हैं हमारी असली पहचान ये आप भी मानते हैं। यही सत्य हैं।। जय भारत।। जय सनातन धर्म।।।। हिदी समाचार- से जुड़े अन्य अपडेट लगातार प्राप्त करने के लिए लाइक करें हमाराफेसबुक पेजऔर आप हमेंट्विटरपर भी फॉलो कर सकते हैं |
आज प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को दिखा दिया कि वह सच में बब्बर शेर हैं और किसी के दबाव में झुकने वाले इंसान नहीं हैं, वह देश के आगे भले ही झुक जाएं लेकिन किसी के दबाव में झुकते नहीं हैं। मोदी ने देश भर के आये सुनारों और हीरे के व्यापारियों के आगे दिलेरी से बात कही और अपना 56 इंच का सीना प्रस्तुत किया।
आपने सुना होगा कि कुछ महीने पहले मोदी सरकार द्वारा 1 फ़ीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाने के बाद गोल्ड व्यापारियों ने मोदी सरकार के खिलाफ देशव्यापी आन्दोलन किया था, मोदी के देश भर में पुतले जलाए गए थे और उन्हें सुनार और व्यापार विरोधी बताया था, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी सुनारों को मोदी सरकार के खिलाफ भड़काने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी और ट्वीट कर कर के ट्विटर को थका दिया था।
सुनारों के आगे मोदी सरकार नहीं झुकी और अंततः सर्राफा व्यापारियों को अपना आन्दोलन बंद करना पड़ा, हालाँकि बाद में उनकी मोदी सरकार से बात हुई और एक दूसरे की गलतफहमियों को दूर किया गया।
आज मोदी ने आल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन में सभी सर्राफा व्यापारियों से आँखों में आँखें डालकर बात की, भले ही सर्राफा व्यापारियों ने आन्दोलन के समय मोदी के पुतले जलाए हों लेकिन आज उनके मंच पर पहुँचते ही सभी व्यापारी मोदी मोदी के नारे लगाने लगे। मोदी ने भी उन्हें देश भर के हीरे कहकर उनका हौसला बढाया।
मोदी ने कहा कि मै जानता हूँ कि मै कहाँ आया हूँ, आप वो लोग हो जिन्होंने बहुत सी सरकारों को झुकाया है, आप वो लोग हो, जिन्होंने अच्छी अच्छी सरकारों को कदम वापिस लेने के लिए मजबूर किया है, लेकिन झुकना वहां होता है जहाँ जंग होती है, हम तो जंग के लिए नहीं आपको जीतने के लिए निकले थे, मुझे ख़ुशी है कि हमने आपको जीत लिया है और आपने भी हमें जीत लिया है।
मोदी ने कहा कि एक्साइज का मसला पहले भी आया था लेकिन आप लोगों ने तूफ़ान खड़ा कर दिया और सरकारें डर गयीं, हर MP आपका ग्राहक होता है इसलिए आपको सरकार पर दबाव डालने के लिए कोई डेलिगेशन भेजने की जरूरत ही नहीं थी, आपका तो MP के यहाँ रोज का आना जाना रहता है।
मोदी ने कहा कि आप लोगों के दबाव डालने से सरकारें डर गयीं और चीजें वहीँ की वहीँ रह गयीं, मै समझता हूँ कि कभी कभी कोई चीज लम्बे अर्शे के लिए कोई अच्छा काम भी कर देती है, इस बजट की एक्साइज ड्यूटी ने पहली बार आप लोगों को समझाने का काम किया कि सरकार क्या होती है, क्योंकि आप सरकार नहीं जानते थे, आप सिर्फ एक्साइज ऑफिसर को जानते थे और गलती भी वहीँ से होती थी, आपको लगता था कि एक्साइज ऑफिसर से मिल लिया तो काम हो गया।
मोदी ने कहा कि अब सरकार बदल गयी है जी, पहली बार आपको पता चला कि सरकार क्या होती है और पहली बार सरकार को पता चला कि इस व्यवसाय में कितनी बारीकियां हैं, कितनी कठिनाइयाँ हैं।
मोदी ने कहा कि मैं भी अफसरों से बात करते हुए पूछता रहता था कि इंडस्ट्री की तरफ से जो ये मसला आया है यह पहले ध्यान में नहीं था क्या? वो बोलते थे कि, नहीं पहले ध्यान में नहीं आया, यानी ऐसी संवादहीनता थी।
मोदी ने कहा कि एक्साइस के विरोध में आपका पैसा खर्चा हुआ होगा, एड देने पड़े होंगे, आन्दोलन करने पड़े होंगे, पुतले जलाने के लिए पेट्रोल खरीदना पड़ा होगा, बहुत कुछ करना पड़ा होगा, लेकिन इतना खर्चा करने के बावजूद भी फायदा ये हुआ कि सरकार और आपके बीच गहन संवाद हुआ और लोकतंत्र की यही ताकत है जी। आपको भी अपनी बात पूरे तरीके से रखने का हक है और सरकार को आपकी बात पूरी तरह से समझने की जिम्मेवारी है।
मोदी ने कहा कि अगर हम आपके आन्दोलन से डर गए होते और सांसदों के कहने पर मान लिया होता तो फिर कभी 25, 30, 40 साल के बाद कोई सरकार आती और उसे भी आपकी याद आती, फिर वो एक परसेंट और दो परसेंट ले करके आ जाती, ऐसे समस्या का समाधान नहीं होता।
मोदी ने आगे कहा – आपको लगता होगा कि मोदी झुकता नहीं है, मोदी अड़ा रहा, मोदी ने ये नहीं किया, सवाल मोदी का नहीं है जी, सवाल समस्याओं के समाधान करने का है, इसलिए हमने कमेटी बनायी और कमेटी में आपके लोग रहे, आपके हर पहलू के सुनने का प्रयास किया गया, इसके कारण भविष्य में भी सरकार जब भी कोई निर्णय करेगी, ये सभी पहलू देश के विकास में बहुत बड़ी भूमिका अदा करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।
मोदी ने कहा कि बहुत अच्छा हुआ कि एक्साइस ड्यूटी भी रह गयी और हमारा आपके साथ संवाद भी रह गया, आप आपको भी नियमों से रहने का मजा आएगा और रात में गहरी नींद आएगी। आपको पता होगा कि नियमों से रहने का कितना बड़ा आनन्द आता है, रात को कितनी गहरी नींद आती है।
मोदी ने कहा कि ये जो भय का माहौल था वो हमें ख़त्म कर दिया है। मोदी ने कहा कि मैंने अपने अफसरों से कई बार कहा है कि हम अपने देशवासियों को राष्ट्र निर्माता समझें और करदाताओं को चोर ना समझें।
मोदी ने सर्राफा व्यापारियों को कहा कि आपको इनकम टैक्स अफसरों से डर क्यों लगता है, आप सरकार से क्यों डरते हो, आप क्यों अपनी नींद हराम करते हो, गहरी नींद से बढ़कर क्या होता है।
मोदी ने कहा कि इस स्तिथि को बदलने का एक ही उपाय है कि 30 सितम्बर से पहले जो भी माल है डिक्लेयर कर दो, क्योंकि मै नहीं चाहता हूँ कि 30 सितम्बर के बाद किसी की भी नींद खराब हो, मै ये चाहता हूँ कि मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी सुख चैन की नींद सोयें और मै उस पाप को नहीं करना चाहता हूँ जो सितम्बर के बाद मुझे मजबूरी वश करना पड़ेगा।
मोदी ने कहा कि मै आप लोगों को आमंत्रण देता हूँ और आप लोगो से जुड़े लोगों को भी आप बता दीजिये, क्योंकि सबसे ज्यादा ऐसे लोग आप से जुड़े रहते हैं। मोदी ने कहा कि आप लोगों ने मुझे काफी सच बता दिया है, आपने बताया था कि हमारे यहाँ ठेले पर रूपया भरकर आते हैं, इसका मतलब है कि आप लोग सभी को जानते हैं तो मेरा सन्देश पहुंचा दीजिये ना।
मोदी ने कहा कि आप लोगों के क्षेत्र में सबसे अधिक सुविधा है, जमीन वाले हैं, निर्माण के क्षेत्र में हैं, आप सबसे पहले हैं, अगर आप मेरी मदद करेंगे तो देश की मदद हो जाएगी।
मोदी ने सर्राफा व्यापारियों से कहा कि आप लोगों की बहुत छोटी सी मांग है, आप एक मंत्रालय मांग रहे हो, आप छोटी सी चीज क्यों मांग रहे हो, आप पूरा प्रधानमंत्री रख लो यार। मोदी के इतना कहते ही सभी सर्राफा व्यापारी खुश हो गए और अपनी सीट से उठकर मोदी मोदी के नारे लगाने लगे।
आपने देख लिया ना, मोदी जो करते हैं सीना तानकर कहते हैं और जो कहते हैं वह भी सीना तानकर कहते हैं, अगर मोदी सर्राफा व्यापारियों के आन्दोलन से डर गए होते तो देश को बहुत बड़ा नुकसान होता रहता क्योंकि सोने चांदी और हीरे के व्यापर में ही कालेधन का खेल होता है।
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New Delhi, Jul 01 : ब्लैक मनी के खिलाफ बढ़ते अभियान का असर कहें या फिर मोदी सरकार का डर या फिर कुछ और ही, स्विटरलैंड के बैकों में रखे गए भारतीयों के पैसों में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है, स्विटरजरलैंड के केन्द्रीय बैकिंग प्रॉधिकरण के ऑकड़ों के अनुसार साल 2015 के आखिर में भारतीय लोगों का धन लगभग 120 करोड़ स्विस फ्रैंक यानि करीब 8,392 करोड़ रुपये था।
अब नई रिपोर्ट के अनुसार वहां भारतीयों की कुल संपत्ति में करीब एक तिहाई की गिरावट आई है, साल 2014 के आखिर में ये रकम 177.6 करोड़ स्विस फ्रैंक थी, जो की साल 2015 के आखिर में घटकर 120 करोड़ स्विस फ्रैंक रह गई। मालूम हो कि साल 1997 में स्विस बैकों में भारतीय लोगों ने पैसा रखना शुरु किया था, विदित हो कि मोदी सरकार बनने के बाद लगातार दूसरे साल यहां जमा कराये जा रहे पैसों में गिरावट देखी गई है।
ज्ञात हो कि साल 2006 में यहां सबसे अधिक पैसा जमा था, सूत्रों का अनुसार साल 2006 में यहां करीब 23 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा जमा था। उसके बाद से यहां जमा कराये जा रहे धनों में लगातार गिरावट हो रही है, हलांकि साल 2011 और 2013 में भारतीयों ने अपने अकाउंट में खूब पैसा डाला, विदित हो कि साल 2011 में भारतीयों के धनों में 12 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, तो साल 2013 में रिकॉर्ड 42 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। 2014 लोकसभा आम चुनाव में काला धन भी बड़ा मुद्दा था, सभी पार्टियां इसे लेकर तरह-तरह के वादे कर रही थी, योगगुरु स्वामी रामदेव ने कालेधन को लेकर बड़ा आंदोलन भी किया था, हलांकि इस दिशा में केन्द्र की मोदी सरकार प्रयासरत है, लेकिन जिस तरह के वादे जनता से किये गए थे, वैसे परिणाम देखने को नहीं मिले। एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए तत्कालीन पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि काले धन वो लेकर आएंगे, काले धन से हर परिवार को करीब 15 लाख रुपये मिलेंगे।
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मोदी सरकार ने आम आदमी के हित में बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने राज्यों से कहा है कि वो जरूरी खाद्य पदार्थों पर से स्थानीय टैक्स खत्म करें
New Delhi, Jul 24: केंद्र सरकार ने देश के आम नागरिकों के लिए बड़ा कदम उठाया है। मोदी सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि वो जरूरी खाद्य पदार्थों को टैक्स फ्री करें। राज्यों से लोकल टैक्स खत्म करने के लिए कहा गया है। जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति उचित मूल्य पर सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। मोदी सरकार के इस कदम पर अगर राज्य सरकारें अमल करती हैं तो जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमत में गिरावट तय है। लाइक करें हमाराफेसबुक पेज
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इस मामले में बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि दालों, खाद्य तेल और दूसरी जरूरी चीजों की आपूर्ति उचित मूल्य पर तय करने के लिए मोदी सरकार ने ये कदम उठाया है। राज्य सरकारों से लोकल टैक्स खत्म करने के लिए कहा गया है। उपभोक्ता मामलों के सचिव हेम पांडा ने राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि वे तत्काल आधार पर बाजार में हस्तक्षेप करें और प्राथमिकता के आधार पर एपीएमसी कानून की समीक्षा कर दालों तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं को प्राथमिकता के आधार पर गैर सूचीबद्ध करें। जिससे किसान अपनी उपज की बिक्री अपनी पसंद के स्थान पर कर सकें जिसके बाद खेत से उपभोक्ता तक सप्लाई चेन छोटा हो।
उपभोक्ता मंत्रालय ने कहा कि मोदी सरकार के इस कदम से उपभोक्ता को उचित मूल्य पर खाद्य वस्तुएं मिल सकेंगी। इसके अलावा किसानों को भी बेहतर कीमत मिल सकेगी। उपभोक्ता मंत्रालय ने राज्य सरकारों का ध्यान इस साल मई में हुई राज्यों के खाद्य मंत्रियों की बैठक में अपनाई गई योजना की ओर दिलाया है। राज्य सरकारों को जरूरी वस्तु अधिनियम की धारा 3:2(सी) के तहत दालों और जरूरी खाद्य वस्तुओं के लिए मूल्य नीति पर विचार करने को भी कहा गया है। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद देश में जरूरी खाद्य वस्तुओं के दामों में गिरावट आ सकती है। बशर्ते राज्य सरकारें इस फैसले में केंद्र का साथ दें. अगर राज्य सरकारें लोकल टैक्स खत्म कर देती हैं जो तो जरूरी खाद्य वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स काफी कम हो जाएंगे। एक जगह के मुकाबले दूसरी जगह सस्ते होने का क्रम भी खत्म हो जाएगा। देखना है कि इस कदम पर राज्य सरकार कितना साथ देती हैं।
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