Friday, March 4, 2016

वामपंथियों के बारे में बाबा साहेब अंबेडकर के विचार

वामपंथ की छात्र राजनीति जब अपने मंचों से देश की भलाई की बात करती है तो बड़ी सुहावनी लगती है। विद्यार्थी कन्हैया भी समानता वाले समाज की सोच रखता है। गरीबों की भलाई की बात करता है। लेकिन जब भी वामपंथियों को शासन की बागडोर मिली है उन्होंने स्टालिन को दोहराने की कोशिश की है। प्रतिरोध की आवाज उठाने वाले हर गले को रेत दिया है। अभिव्यक्ति की आजादी मांगने वालों ने अपने खिलाफ उठे हर सुर को दबा दिया है। पश्चिम बंगाल का इतिहास तो यही बताता है। 35 साल लेफ्ट पार्टियों ने पश्चिम बंगाल पर शासन किया...और बंगाल की धरती को खून से सान दिया...जरा आंकड़ों पर नजर डालिए...
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2009 में पश्चिम बंगाल की विधानसभा में उस समय के मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने खुद बयान दिया था...साल 2009 में 2284 हत्याए हुईं...26 राजनीतिक हत्याएं हुईं...माओवादी गतिविधियों में 134 लोग मारे गए...
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इस बयान के बाद दैनिक स्टेट्समैन कोलकाता में, 16 जुलाई, 2010 को छपी रिपोर्ट पढ़िए..
''A comment on the veracity of these figures is necessary. He has shown political murder as only 26. This figure is suspect. Between 1977 and 1996, the rate of annual political murder on an average was 1473. This figure, giving a 19-year-old trend, cannot suddenly come down to 26. This is a statistical outlier which has to be ignored. In 1997, Buddhadeb Bhattacharjee was severely criticised for admitting such a large figure of political murders. Hence a cautious Home Minister just manipulated the figure which has to be rejected as an outlier.
Anyway to come to a reliable figure of murders between 1997 and 2009, we have taken the annual average of 2284 to come to a total figure of 27,408. Thus between 1977 and 2009 the total number of murder was 28,000 + 27,408 = 55,408. It means an yearly average of 1787, a monthly average of 149 and a daily average of five. In other words, in every four hours and 50 minutes one person was being killed for political reasons in West Bengal. The CPI-M can claim credit that instead of a murder an hour they could limit it to four hour and 50 minutes per murder. What an achievement!''
ये दैनिक स्टेट्समैन की रिपोर्ट है...
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जिस बाबा साहेब अंबेडकर की सामाजिक न्याय प्रणाली की बात वामपंथी कन्हैया कुमार कर रहा है...उन बाबा साहेब अंबेडकर का वामपंथियों के बारे में विचार भी पढ़ लीजिए..
''As regards the labour movement carried on by the Communist Party, there is no possibility of me joining them. I am confirm enemy of the communist, who exploit labour.''
ये वामपंथियों के बारे में बाबा साहेब अंबेडकर के विचार थे। साथी ठीक है कि तुम जेएनयू में बैठकर सामाजिक न्याय की बात करते हो, लेकिन तुम्हारे दल सत्ता में आते ही ऐसा बरताव क्यों करने लगते हैं? तब समतामूलक समाज की अवधारणा दिमाग के कौनसे बंद कोटर में जाकर बैठ जाती है? ठीक है, भारत इसे भी सहन कर लेगा, लेकिन कामरेड तुम अफजल का पाठ पढ़ोगे तो ना जनता सहेगी ना अदालत। तुम्हें बाहर की ज़रा सी हवा क्या लगी पर निकल आए। ठहरो अभी न्याय होने बाकी है। इंतजार करो अदालत के फैसले का

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