मोदीजी!
पिछले दिनों देशद्रोहियों की हरक़तों का साथ विपक्ष द्वारा देने की वजह से मेरे पास कोई चारा नहीं बचा कि आपको छोड़कर किसी और का समर्थन करूँ।
लेकिन मध्यम वर्ग को बार बार टैक्सासुर के ज़रिए जो ख़ूनचूसाई आपने शुरू की है;उसका अन्त होता नहीं दिखता।आप लोगों को हर जब तब सर्विस टैक्स बढ़ाने में मज़ा आता है।आप को सच्चा करदाता (भले ही मजबूर) ही पकड़ में आ रहा है।सत्ता में आने से पहले आप जनता की ग़रीबी बढ़ने के पीछे एक वजह मानते थे;वर्तमान टैक्स प्रणाली।हम कमाते हैं तो टैक्स भरते हैं।हम कुछ भी ख़रीदते हैं तो टैक्स भरते हैं।हम अब पीपीएफ या ईपीएफ पर जो बुढ़ापे की सुरक्षात्मक राशि होती है;आप उस पर भी टूट पड़े।
आप अपनी विचारधारा से पलटी मार चुके हैं।आप जिस मध्यम वर्ग का हाथ पकड़ कर ऊपर आए हैं।आज उसको ही चूस लेना चाहते हैं।अब आप किसानों और ग़रीबों तथा उच्च व्यापारी वर्ग की सरकार दिखना चाहते हैं।
मैं सोचता हूँ कि कांग्रेस से आप कैसे अलग हो?तो नीतियों में कुछ भी अलग नहीं लगते हैं।आप सोचते हैं कि इन्हीं नीतियों से देश का भला होगा तभी सरकार का ख़जाना और उच्च व्यापारी वर्ग की संपत्ति तो बढ़ाते जा रहे हो।लगता है;मध्यम वर्ग आपके लिए मायने नहीं रखता;उसे जिस ख़र्चों के लिए आप हतोत्साहित कर रहे हो।उनको कम करने के बाद देखते हैं कितना ख़जाना बढ़ता है? आप पिंक रिवोल्यूशन का मज़ाक उड़ाते रहे।लेकिन भारत सरकार का ख़जाना पशुओं का क़त्ल करवाकर भरते रहे।बजट तो आपका निश्चित ही हमारी तात्कालिक लाभों के लिहाज से बेकार है।
लेकिन आप ये ख़जाना कोई अपने जेब में तो डाल नहीं रहे फिर मुझे बुरा क्यों लग रहा है क्योंकि मैं स्व अर्थ में इसे अच्छा नहीं कह सकता।मगर ये सारा धन भारत सरकार की जेब में जा रहा है जिसकी देशभक्ति में हम अपने से बेहतरीन किसी को नहीं कहते।कभी कभी तो देशभक्ति का सर्टिफ़िकेट भी बाँटते हैं।
अब जब देश का ख़जाना भरना ज़रूरी होगा तभी तो मोदीजी!आप इस तरह का मनविरोधी बजट ला रहे होंगे।अगर भारत को सैन्य बल मजबूत करना है तो धनबल से ही हो सकता है।सभी राष्ट्रीय लाभकारी योजनाओं को सुचारु रूप से चलाना है तो भी धन चाहिए।
आपातकाल युद्ध या परमाणु शक्ति प्रयोगों सभी के लिए अधिकाधिक धन चाहिए।आपदाओं से निबटने ;सड़कों से गाँव -शहर जोड़ने जैसे तमाम कामकाज के लिए धन चाहिए।शायद जेएनयू कांड न होता तो मैं इस रूख़ को न समझ पाता।देश को पोलियो ग्रस्त बनाने वालों का रोना देखकर यही लगता है कि तुम पर भरोसा रखूँ।
क्योंकि जैसे समन्दर में जहाज के पंछी की हालत होती है;हम जनता का वही हाल है और मोदी वो जहाज हो तुम।
हम उड़कर समन्दर पर मँडरा सकते हैं लेकिन पंखों के थक जाने के बाद डूबने से बचने के लिए जहाज पर ही आना होगा।
मगर;फिर भी यही कहूंगा कि बजट पसंद नहीं आया।
फिर भी लगे रहो मोदीजी!जनता तुम्हें छोड़कर देशद्रोहियों के समर्थकों की तरफ़ नहीं जाने वाली।
तुम्हीं सुखन हो;तुम्हीं सितम हो।
तुम्हीं उजियारा;तुम्हीं तो तम हो।
पिछले दिनों देशद्रोहियों की हरक़तों का साथ विपक्ष द्वारा देने की वजह से मेरे पास कोई चारा नहीं बचा कि आपको छोड़कर किसी और का समर्थन करूँ।
लेकिन मध्यम वर्ग को बार बार टैक्सासुर के ज़रिए जो ख़ूनचूसाई आपने शुरू की है;उसका अन्त होता नहीं दिखता।आप लोगों को हर जब तब सर्विस टैक्स बढ़ाने में मज़ा आता है।आप को सच्चा करदाता (भले ही मजबूर) ही पकड़ में आ रहा है।सत्ता में आने से पहले आप जनता की ग़रीबी बढ़ने के पीछे एक वजह मानते थे;वर्तमान टैक्स प्रणाली।हम कमाते हैं तो टैक्स भरते हैं।हम कुछ भी ख़रीदते हैं तो टैक्स भरते हैं।हम अब पीपीएफ या ईपीएफ पर जो बुढ़ापे की सुरक्षात्मक राशि होती है;आप उस पर भी टूट पड़े।
आप अपनी विचारधारा से पलटी मार चुके हैं।आप जिस मध्यम वर्ग का हाथ पकड़ कर ऊपर आए हैं।आज उसको ही चूस लेना चाहते हैं।अब आप किसानों और ग़रीबों तथा उच्च व्यापारी वर्ग की सरकार दिखना चाहते हैं।
मैं सोचता हूँ कि कांग्रेस से आप कैसे अलग हो?तो नीतियों में कुछ भी अलग नहीं लगते हैं।आप सोचते हैं कि इन्हीं नीतियों से देश का भला होगा तभी सरकार का ख़जाना और उच्च व्यापारी वर्ग की संपत्ति तो बढ़ाते जा रहे हो।लगता है;मध्यम वर्ग आपके लिए मायने नहीं रखता;उसे जिस ख़र्चों के लिए आप हतोत्साहित कर रहे हो।उनको कम करने के बाद देखते हैं कितना ख़जाना बढ़ता है? आप पिंक रिवोल्यूशन का मज़ाक उड़ाते रहे।लेकिन भारत सरकार का ख़जाना पशुओं का क़त्ल करवाकर भरते रहे।बजट तो आपका निश्चित ही हमारी तात्कालिक लाभों के लिहाज से बेकार है।
लेकिन आप ये ख़जाना कोई अपने जेब में तो डाल नहीं रहे फिर मुझे बुरा क्यों लग रहा है क्योंकि मैं स्व अर्थ में इसे अच्छा नहीं कह सकता।मगर ये सारा धन भारत सरकार की जेब में जा रहा है जिसकी देशभक्ति में हम अपने से बेहतरीन किसी को नहीं कहते।कभी कभी तो देशभक्ति का सर्टिफ़िकेट भी बाँटते हैं।
अब जब देश का ख़जाना भरना ज़रूरी होगा तभी तो मोदीजी!आप इस तरह का मनविरोधी बजट ला रहे होंगे।अगर भारत को सैन्य बल मजबूत करना है तो धनबल से ही हो सकता है।सभी राष्ट्रीय लाभकारी योजनाओं को सुचारु रूप से चलाना है तो भी धन चाहिए।
आपातकाल युद्ध या परमाणु शक्ति प्रयोगों सभी के लिए अधिकाधिक धन चाहिए।आपदाओं से निबटने ;सड़कों से गाँव -शहर जोड़ने जैसे तमाम कामकाज के लिए धन चाहिए।शायद जेएनयू कांड न होता तो मैं इस रूख़ को न समझ पाता।देश को पोलियो ग्रस्त बनाने वालों का रोना देखकर यही लगता है कि तुम पर भरोसा रखूँ।
क्योंकि जैसे समन्दर में जहाज के पंछी की हालत होती है;हम जनता का वही हाल है और मोदी वो जहाज हो तुम।
हम उड़कर समन्दर पर मँडरा सकते हैं लेकिन पंखों के थक जाने के बाद डूबने से बचने के लिए जहाज पर ही आना होगा।
मगर;फिर भी यही कहूंगा कि बजट पसंद नहीं आया।
फिर भी लगे रहो मोदीजी!जनता तुम्हें छोड़कर देशद्रोहियों के समर्थकों की तरफ़ नहीं जाने वाली।
तुम्हीं सुखन हो;तुम्हीं सितम हो।
तुम्हीं उजियारा;तुम्हीं
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