Thursday, March 3, 2016

राष्ट्रवाद की हंसी उड़ाती भाषा को आज़ादी दे दो।

राष्ट्रवाद की हंसी उड़ाती भाषा को आज़ादी दे दो।
जो काश्मीर अलग करे,उस;मंशा पे जेहादी दे दो।
भारत को बर्बाद करे जो;कैसे उसे आज़ादी दे दो??
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हर मज़दूर;ग़रीब;किसान;
अगणित सुखों का शाह होगा।
या साठ वर्ष थी जहाँ दुकान;
उस बंगाल जैसा तबाह होगा।
ख़ून के प्यासे असुरों को, कैसे कह दूँ;खादी दे दो?
भारत बर्बाद करे जो;अरे!कैसे उसे आज़ादी दे दो?
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पीते हैं शान से,कहने वालों!
शाही माँद में; ढहने वालों!
बेपेंदे के लोटे हो तुम !
भावों से खोटे हो तुम।
ऐयाशी इस्लाम क़ुबूले।
अपना चारों धाम भूले।
बहत्तरों का कल्पवास;इनको हे बग़दादी! दे दो।
पर तुम जैसे पिशाचों को,कैसे कह दूँ;खादी दे दो?
भारत को बर्बाद करे,जो;कैसे उसे आज़ादी दे दो?
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