Saturday, March 5, 2016

हम अचानक कब अपने समाज के हितैषी के बदले दूसरे समाज के दुश्मन बन जाते है हमको पता ही नहीं चलता

कभी कभी फेसबुक पर मित्रों के ऐसे "पोस्ट" होते है जो तर्क से हटा हमें गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है..!
कई बार हम जिस समाज से आते है या जिसकी हम फ़िक्र करते है चाहे वो हिन्दू हो , मुस्लिम हो , दलित हो , क्रिस्चियन हो या सिख हो – उससे सम्बंधित ऐसी बर्बरता को दिखाई जाती है जिससे हमारा खून खौलने लगता है..!
हम अचानक कब अपने समाज के हितैषी के बदले दूसरे समाज के दुश्मन बन जाते है हमको पता ही नहीं चलता । कब हम एक समाज के रक्षक से दूसरे समाज के भक्षक बन जाता है पता ही नहीं चलता..!
हम युवा नफरत और बदले की आग में इस प्रकार जलने लगते है की कब हम मानवता तक भूल जाते है हमें खुद ही पता नहीं चलता । कई बार हम उन उग्रवादी और कट्टरपंथी संगठनो तक से जुड़ जाते है जो की धार्मिक उन्माद के नाम पर निर्दोष बच्चो तक से हिंसा कराने में नहीं चूकते..!
फिर हम युवा ये भी कहने लगते है उन्होंने भी तो हमारे घर जलाये थे – हमने तो बस जबाब दिया है । लेकिन हम ये भूल जाते है की जबाब उनको नहीं मिलती जिन्होंने ऐसा किया हो बल्कि हजारो निर्दोष बच्चो को , महिलाओ को और बुढो को जिनका इनसे दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता..!
कई बार ऐसे काम पोलिटिकल पार्टी भी करने लगती है , ताकि समाज के बिच तनाव पैदा हो और उसे किसी एक वोट बैंक का लाभ मिले..! नफरत इतनी भर जाती है है की कब हम अपने देश में ही दरार पैदा करने लगते है पता ही नहीं चलता..!
और हम कई बार इन सब के चक्कर में आकर ये तो भूल ही जाते है की हम नफरत में कभी भी किसी समाज , देश या मानवता की भलाई नहीं कर सकते..!
हमारे देश में अनेक भाषा है , अनेक रंग है..!!

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