भारत-अमेरिका वॉर पैक्ट से पाकिस्तान और चीन बुरी तरह डरे ,कहा- मोदी खुलकर दुश्मनी निभा रहे हैं
नई दिल्ली.भारत-अमेरिका के बीच लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट से पाकिस्तान-चीन के मीडिया में हलचल मची है। दोनों देशों के मीडिया का कहना है कि एशिया में चीन के बढ़ते असर को देखते हुए अमेरिका और भारत ने इस समझौते को अंजाम दिया है। चीनी मीडिया ने यह तक कहा कि पाकिस्तान से रिश्ते बिगड़ने पर मोदी अब खुलकर दुश्मनी निभा रहे हैं। वहीं, अमेरिकी मीडिया का कहना है कि भारत-अमेरिका के बीच लगातार मिलिट्री पार्टनरशिप बढ़ रही है।
क्या है चीन और पाकिस्तान के बौखलाने की दो बड़ी वजह हैं…
# पहली:
– वॉशिंगटन में सोमवार को डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर और उनके अमेरिकी काउंटरपार्ट एश्टन कार्टन ने लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर साइन किए।
– डील का मकसद चीन की ताकत को खासकर समंदर में बढ़ने से रोकना है। समझौते के मुताबिक, दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के इक्विपमेंट्स और नेवल-एयरबेस का इस्तेमाल कर सकेंगी।
– LEMOA के तहत दोनों देश एक-दूसरे से पानी और खाने जैसे रिसोर्सेस की भी शेयरिंग करेंगे। हालांकि, इस समझौते के मायने भारत की धरती पर अमेरिकी सैनिकों की तैनाती नहीं है।
# दूसरी:
– इंडिपेंडेंस-डे की स्पीच में मोदी ने बलूचिस्तान पर चीन और पाकिस्तान को एकसाथ घेरने की कोशिश की है। इसी के बाद लंदन में चीनी एम्बेसी पर बलूच नेता प्रदर्शन कर रहे हैं।
– वहीं, बलूचिस्तान, सिंध और पीओके में भी पाक के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गये हैं। वहां के नेता खुलकर सामने आ रहे हैं।
चीन के ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- अमेरिका का पिछलग्गू बन रहा है भारत
– “यह बेशक अमेरिका-भारत के बीच सैन्य साझेदारी की लंबी छलांग होगी। लेकिन ऐसा समझौता करने से भारत अपनी रणनीतिक आजादी खो सकता है और अमेरिका का पिछलग्गू बनता जा रहा है।”
– ”मोदी पाकिस्तान के साथ रिश्ते को सुधारने की कोशिशों के बाद अपना सब्र खो चुके हैं और उन्होंने रुख बदलकर दुश्मनी वाला भाव अपना लिया है।”
– अमेरिकी मैग्जीन फोर्ब्स ने इस पैक्ट को ‘वॉर पैक्ट’ बताते हुए कहा है कि भारत अपने शीत युद्ध के साथी रूस के पाले से निकल कर अमेरिका की तरफ जा रहा है।
पाक के न्यूजपेपर डॉन ने लिखा- चीन को रोकने के लिए यह वॉर पैक्ट, पाक-चीन पर सीधा असर पड़ेगा
– “अमेरिका और भारत लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ अग्रीमेंट के तहत दोनों देश एक दूसरे के सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल कर सकेंगे। अमेरिकी सेना और उसकी वायुसेना के लिए भारत के सैन्य अड्डों से लड़ना आसान होगा।”
– ”भारत भी पूरी दुनिया में अमेरिकी बेस का इस्तेमाल कर सकता है। इसका सीधा असर पाकिस्तान और चीन पर पड़ेगा।”
– अखबार ने अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स में छपे एक आर्टिकल का हवाला भी दिया है, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान और चीन सावधान हो जाएं, इस हफ्ते भारत और अमेरिका बहुत बड़ा सैन्य समझौता कर सकते हैं।
अमेरिका की फोर्ब्स मैगजीन ने लिखा- मोदी रूस को नजरअंदाज कर आगे बढ़ रहे हैं
– “चीन को काबू में रखने के लिए ओबामा प्रशासन के कार्यकाल का यह एक बेहद अहम एग्रीमेंट है। इससे भविष्य में भारत को चीन के सामने खड़े होने के लिए मजबूत आधार मिलेगा।”
– ”इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिकी सेना का प्रभाव भी बढ़ेगा। इराक और अफगानिस्तान में अमेरिका को सब कुछ बनाना पड़ा था लेकिन इंडिया के पास पहले से ही बुनियादी चीजें मौजूद हैं।”
– ”हालांकि इस समझौते से भारत और उसके भरोसेमंद सहयोगी रूस के रिश्तों में तनाव आ सकता है। मोदी को इसकी परवाह नहीं है।”
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