ऐसे चल रहा है "फर्जी गौ सेवकों" का ‘धंधा’: एक गाय को 200 रु में निकालते हैं, पूरा ट्रक पास करवाना है तो 2000
एक गाय को निकलने देने के 200 रुपए लिए जाते हैं और एक ट्रक, जिसमें 10 गाय होती हैं उसे जाने देने के लिए 2 हजार रुपए लिए जाते हैं। वहीं 6 महीने का एक प्लान भी तय किया गया है। इसमें 3.80 लाख रुपए लेकर 6 महीने तक रोकटोक नहीं की जाती।
ऐसे चल रहा है गौ सेवकों का ‘धंधा’: एक गाय को 200 रु में निकालते हैं, पूरा ट्रक पास करवाना है तो 2000
पीएम मोदी ने नई दिल्ली में आम लोगों के सवालों के जवाब देते हुए शनिवार (6 अगस्त) को कहा था कि गौ रक्षकों के नाम पर कुछ लोग अपनी दुकानें खोलकर बैठे हैं। इसी बात को सच साबित करती एक खबर पंजाब से आई है। पंजाब में पशुओं को खरीदने-बेचने का काम करने वाले लोगों का आरोप है कि उन्हें गौरक्षक परेशान करते हैं और गाय या भेंस से भरे ट्रकों को बिना किसी परेशानी के निकलने देने के लिए पैसे मांगते हैं। पंजाब के चीमा गांव में रहने वाले अमरजीत सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान बताया कि उन्हें हिंदू शिव सेना के एक नेता से बातचीत करके उसे दो लाख रुपए देने पड़े ताकि उनके ट्रकों को बिना किसी रोकथाम से आने-जाने दिया जाए। अमरजीत ने बताया कि अगर पैसे नहीं दिए जाते तो वे लोग भैंस-गाय को लेकर आ-जा रहे ट्रक को रोक लेते हैं और उन्हें परेशान करते हैं। लाइक करें हमारा फेसबुक पेज
फिक्स हैं रेट: अमरजीत सिंह ने बताया कि ‘फर्जी’ गौ रक्षकों ने हर चीज के रेट भी फिक्स कर रखे हैं। जैसे एक गाय को निकलने देने के 200 रुपए लिए जाते हैं और एक ट्रक, जिसमें 10 गाय होती हैं उसे जाने देने के लिए 2 हजार रुपए लिए जाते हैं। वहीं 6 महीने का एक प्लान भी तय किया गया है। इसमें 3.80 लाख रुपए लेकर 6 महीने तक रोकटोक नहीं की जाती। इसमें ट्रक के नंबर उस गिरोह को दे दिए जाते हैं। जिन्हें उन्हें नहीं रोकना होता। अमरजीत ने बताया कि पहले तो यह सब ठीक था लेकिन अब पशुओं की कीमत गिरने से उन्हें नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘पहले गाय 1 लाख तक बिक जाती थी लेकिन अब कीमत 50 हजार के करीब है, इसलिए अब हम डेयरी फार्म का काम करने लगे हैं।’
गौ सेवा कमीशन बनने से बढ़ी मुश्किलें: अमरजीत ने बताया कि पहले गाय को बेचने के लिए सिर्फ पशुपालन विभाग से परमिशन लेनी होती थी लेकिन गौ सेवा कमीशन बनने के बाद तीन जगहों से इजाजत मांगनी पड़ती है।
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वहीं गौ सेवकों की सोच इससे बिल्कुल अलग है। 54 साल के सतीश कुमार जो कि राजपुरा में बने गौ रक्षा दल के अध्यक्ष हैं उन्होंने कहा कि वह अबतक 2.5 लाख से ज्यादा गायों को बचा चुके हैं। वहीं जब उनसे पूछा गया कि गाय बेचने वाले को परेशानियों का सामना क्यों करना पड़ता है तो वह बोले कि वे लोग काटने के लिए गाय को बेचना चाहते हैं इसलिए उन्हें NOC नहीं मिलती।
फिक्स हैं रेट: अमरजीत सिंह ने बताया कि ‘फर्जी’ गौ रक्षकों ने हर चीज के रेट भी फिक्स कर रखे हैं। जैसे एक गाय को निकलने देने के 200 रुपए लिए जाते हैं और एक ट्रक, जिसमें 10 गाय होती हैं उसे जाने देने के लिए 2 हजार रुपए लिए जाते हैं। वहीं 6 महीने का एक प्लान भी तय किया गया है। इसमें 3.80 लाख रुपए लेकर 6 महीने तक रोकटोक नहीं की जाती। इसमें ट्रक के नंबर उस गिरोह को दे दिए जाते हैं। जिन्हें उन्हें नहीं रोकना होता। अमरजीत ने बताया कि पहले तो यह सब ठीक था लेकिन अब पशुओं की कीमत गिरने से उन्हें नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘पहले गाय 1 लाख तक बिक जाती थी लेकिन अब कीमत 50 हजार के करीब है, इसलिए अब हम डेयरी फार्म का काम करने लगे हैं।’
गौ सेवा कमीशन बनने से बढ़ी मुश्किलें: अमरजीत ने बताया कि पहले गाय को बेचने के लिए सिर्फ पशुपालन विभाग से परमिशन लेनी होती थी लेकिन गौ सेवा कमीशन बनने के बाद तीन जगहों से इजाजत मांगनी पड़ती है।
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वहीं गौ सेवकों की सोच इससे बिल्कुल अलग है। 54 साल के सतीश कुमार जो कि राजपुरा में बने गौ रक्षा दल के अध्यक्ष हैं उन्होंने कहा कि वह अबतक 2.5 लाख से ज्यादा गायों को बचा चुके हैं। वहीं जब उनसे पूछा गया कि गाय बेचने वाले को परेशानियों का सामना क्यों करना पड़ता है तो वह बोले कि वे लोग काटने के लिए गाय को बेचना चाहते हैं इसलिए उन्हें NOC नहीं मिलती।
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