Tuesday, August 2, 2016

PM मोदी की इस निति से, नवंबर तक आधी हो जाएगी अरहर दाल की कीमत!

PM मोदी की इस निति से, नवंबर तक आधी हो जाएगी अरहर दाल की कीमत!



दो साल के सूखे के बाद इस साल बंपर फसल की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 47 लाख हेक्टेयर ज्यादा खेती हुई है। जिस तरह से बारिश हो रही है ऐसे में बंपर फसल की उम्मीद है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस बारिश से गांवों और किसानों की आमदनी बढ़ेगी, जबकि शहरों में भी महंगाई की मार कम होगी। सबसे राहत की बात अरहर दाल को लेकर है, जिसकी खेती जमकर हुई है। देश के ज्यादातर इलाकों में अगस्त और सितंबर तक मॉनसून की अच्छी बारिश का अनुमान है। इससे किसानों की खेती पर लागत भी काफी कम रहेगी। यूरिया और दूसरी खादें मिलना आसान होने से भी किसानों को काफी राहत मिली है।

दाल की कीमतें नीचे आना पक्का है 

सबकी नज़र दाल की कीमत पर है, क्योंकि इसकी कीमत लगातार करीब एक साल से ऊपर चल रही है। देश ही नहीं दुनिया भर में बीते 2 साल में दाल का उत्पादन काफी कम हुआ है। इसकी वजह से विदेश से दाल मंगाने पर भी सरकार कीमतों पर काबू पाने में सफल नहीं रह पाई थी। इस साल किसानों ने दलहन की बुआई पर पूरा जोर दिया है। इसकी खेती में 41 फीसदी की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल किसानों ने 78 लाख हेक्टेयर जमीन पर दालें बोई थीं, जबकि इस साल 110 लाख हेक्टेयर पर अब तक बुआई हो चुकी है। अगस्त तक यह आंकड़ा और भी बढ़ेगा। यह फसल नवंबर-दिसंबर तक बाजार में आ जाएगी। बफर स्टॉक बनाने के लिए केंद्र सरकार भी दालों की जमकर खरीद करने वाली है। बाजार के जानकारों के मुताबिक नवंबर-दिसंबर तक अरहर समेत सभी दालों की कीमत 2014 के लेवल पर या उससे भी नीचे जाना पक्का है।  लाइक करें हमारा फेसबुक पेज

चावल के दाम कुछ और कम होंगे

बीते दो साल से देश में चावल के रिटेल दाम गिरावट की ओर हैं। मंडी के अनुमान के मुताबिक सभी किस्म के चावलों की कीमत 8 से 10 फीसदी तक नीचे चल रही है। इस साल धान की खेती भी 232 लाख हेक्टेयर हुई है। यह पिछले साल 226 लाख हेक्टेयर ही थी। यानी दाल के साथ-साथ चावल के भाव में भी गिरावट पक्की है।

पिछले साल के मुकाबले ज्यादा खेती

इस बार खरीफ सीजन में 30 जुलाई तक पूरे देश में करीब 800 लाख हेक्टेयर खेती की जमीन पर बुआई हो चुकी है। जबकि पिछले साल यह करीब  753 लाख हेक्टेयर ही था। खरीफ फसल की बुआई ज्यादा रहने के पीछे सबसे बड़ा कारण जून और जुलाई में हुई अच्छी बारिश को माना जा रहा है। धान और दालों के अलावा मोटे अनाजों और तिलहन की भी खेती बढ़ी है।

माल बाहर निकाल रहे हैं जमाखोर

पुलिस के छापों और अच्छी फसल के अनुमान से दाल के जमाखोरों में भी निराशा है। जिसकी वजह से वो अपना माल बाहर निकाल रहे हैं। गैर-सरकारी अनुमानों के मुताबिक अब तक हजारों टन अरहर की दाल मार्केट में आ चुकी है। कीमतों पर इसका असर इसी महीने के आखिर तक दिखने लगेगा। कृषि मंत्रालय का टारगेट है कि अगस्त के आखिर तक अगर अरहर दाल 120 रुपये किलो तक आ जाती है तो नई फसल के आने पर इसे 80 रुपये या उससे भी नीचे ले जाना बहुत मुश्किल नहीं होगा।

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