Wednesday, August 31, 2016

15 अगस्‍त 2017 को बलूचिस्‍तान में लहराएगा तिरंगा ! जानिए मोदी को मिला किसका साथ ?

15 अगस्‍त 2017 को बलूचिस्‍तान में लहराएगा तिरंगा ! जानिए मोदी को मिला किसका साथ ?












बलूचिस्‍तान की आजादी को लेकर मोदी सरकार को कई ऐसे देशों का साथ मिलता नजर आ रहा है जो यहां पर चीन के प्रभुत्‍व को पसंद नहीं करते हैं।

New Delhi Aug 27 : बलूचिस्‍तान के अच्‍छे दिन आने वाले हैं। बलूचिस्‍तान आजाद होने वाला है। वो दिन दूर नहीं जब आप बलूचिस्‍तान में तिरंगा फहराते हुए लोगों को देख सकेंगे। हालांकि बलूचिस्‍तान में अभी भी तिरंगा लहराया जा रहा है, मोदी-मोदी के नारे लगाए जा रहे हैं। लेकिन, इस वक्‍त वो गुलाम है। उसे आजादी की दरकार है। बलूचिस्‍तान की आजादी का प्‍लॉन तैयार हो रहा है। भारत के इस प्‍लान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुछ और देशों का भी साथ मिलता नजर आ रहा है।

अगर भारत अकेले अपने दम पर चाहे तो भी वो बलूचिस्‍तान को पाकिस्‍तान के कब्‍जे से आजाद करा सकता है। लेकिन, अंतरराष्‍ट्रीय मसलों पर हमेशा विदेश नीति और इंटरनेशलनल पॉलिसी को ध्‍यान में रखकर ही सारे कदम उठाए जाते हैं। इन्‍हीं सारी नीतियों को ध्‍यान में रखकर भारत बलूचिस्‍तान की आजादी के लिए ऑपरेशन में जुट गया है। मोदी सरकार के इस प्‍लॉन में उसे ना सिर्फ अमेरिका का समर्थन मिल रहा है बल्कि अफगानिस्‍तान और इरान भी भारत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। 
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सामरिक दृष्टि से बलूचिस्‍तान पाकिस्‍तान के लिए भी महत्‍वपूर्ण है। चीन के लिए भी जरुरी है। अफगानिस्‍तान और ईरान के लिए भी जरुरी है। पाकिस्‍तान और चीन की खूब बनती है। जबकि पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान के बीच 36 का आंकड़ा है। उधर, अफगानिस्‍तान और इरान की नहीं पटती है। इन सारे पड़ोसी देशों की हालत ऐसी है कि ये एक दूसरे को पसंद नहीं करते। लेकिन, केंद्र में मोदी की सरकार के आने के बाद भारत की विदेश नीति में गजब का परिवर्तन आया है। बेशक अफगानिस्‍तान और इरान की आपस में ना बनती हो लेकिन, भारत के लिए दोनों हाजिर हैं।

भारत और चीन के रिश्‍ते कितने मधुर है। ये बात ना तो बताने लायक है और ना ही छुपाने लायक। चीन की हालत उस जख्‍मी सांप की तरह है जो कभी भी अपने फन फैला सकता है। भारत को हमेशा इस बात का अंदाजा रहता है। पाकिस्‍तान हमेशा से भारत के खिलाफ षणयंत्रों में ही शामिल रहा है। ऐसे में चीन और पाकिस्‍तान को सबक सिखाने के लिए मोदी सरकार ने बलूचिस्‍तान को आजाद कराने का फैसला कर दिया है। जिसका सीधा फायदा भारत को मिलेगा।


दरअसल, बलूचिस्‍तान की अगर आप भौगोलिक स्थिति देखें तो उसकी एक सीमा अफगानिस्‍तान से सटती है। तो दूसरी सीमा इरान से जबकि तीसरी ओर पर अरब सागर है। चीन यहां पर पाकिस्‍तान के जरिए अपना प्रभुत्‍व बढ़ाना चाहता है। जबकि यहां के लोगों को ये बात नागवार गुजर रही है। बलूचिस्‍तान में चीन का बढ़ता दबदबा भारत के लिए भी काफी खतरनाक है। जबकि यहां के कुछ बार्डर इलाकों पर तालिबानी आतंकियों का दबदबा है।

अमेरिका इन तालिबानी आतंकियों को मारने के लिए पाकिस्‍तान को सैन्‍य मदद पहुंचता है। लेकिन, पाकिस्‍तान के नकारापन की वजह से अमेरिका पाकिस्‍तान को दी जाने वाली सैन्‍य मदद रोक चुका है। अभी हाल ही में ये भी खुलासा हुआ कि काबुल में अमेरिकी यूनिवर्सिटी में जो आतंकी हमला हुआ था उसकी साजिश भी पाकिस्‍तान में ही रची गई थी। पाकिस्‍तान की इस करतूत से अफगानिस्‍तान और अमेरिका दोनों उससे काफी खफा हैं।

ऐसे में सूत्र बताते हैं क‍ि बलूचिस्‍तान की आजादी के लिए अमेरिका और अफगानिस्‍तान भारत के साथ खड़े हैं। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अफगानिस्‍तान और ईरान की विदेश यात्रा का भी असर यहां पर देखने को मिल रहा है। कई मामलों को लेकर भारत-अफगानिस्‍तान और ईरान में त्रिपक्षीय समझौते हो चुके हैं। भारत को उम्‍मीद है कि बलूचिस्‍तान की आजादी में उसे ईरान का भी पूरा साथ मिलेगा। अगर मोदी सरकार का ये प्‍लॉन हिट हुआ तो यकीनन पाकिस्‍तान और चीन को सबसे बड़ा नुकसान होगा।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता मार्क टोनर भी इशारों ही इशारों में बता चुके हैं कि बलूचिस्‍तान और पाक अधिकृत कश्‍मीर पर अमेरिका का क्‍या रुख है। अमेरिका के समर्थन वाली अफगानिस्‍तान की अशरफ गनी सरकार को भी मालूम है कि उसका फायदा भारत और अमेरिका के साथ मिलकर रहने में ही है। ईरान भी चाहता है कि बलूचिस्‍तान से चीन का दबदबा खत्‍म हो। ऐसे में ये सारे देश बलूचिस्‍तान की आजादी के लिए भारत के साथ हैं। उम्‍मीद कीजिए कि बलूचिस्‍तान जल्‍द आजाद हो।

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