कांग्रेस के बड़े नेता ने कहा, कश्मीर समस्या का हल सिर्फ पीएम मोदी के पास
श्रीनगर। 52 दिन हो गए कश्मीर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही। कर्फ्यू हटाते ही कुद जगहों से हिंसा की घटनाऐ सामने आई हैं। वहीं 4 सितंबर को वित्त मंत्री और गृह मंत्री के साथ 35 दलों के ऑल पार्टी डेलिगेशन के वहां जाने से पहले कांग्रेस ने कहा है कि कश्मीर समस्या का हल बीजेपी ही कर सकती है। इसके लिए विपक्ष उनका पूरा समर्थन करेगा।
कश्मीर समस्या का हल सिर्फ पीएम मोदी के पास
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को कहा कि सिर्फ भारतीय जनता पार्टी ही कश्मीर समस्या को हल कर सकता है। उसके दिए फॉर्मूले को विपक्ष का पूरा साथ मिलेगा।निकल सकता है बेहतर समाधान
आजाद ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या राजीव गांधी ने जब भी कश्मीर मामले को हल करना चाहा और समाधान पेश किया, बीजेपी ने हमेशा उनका विरोध किया। उनकी पहलों को कश्मीरी और अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण करार दिया। अब बीजेपी राज्य और केंद्र दोनों ही जगह सरकार चला रही है। वह कश्मीर समस्या का हल निकाल सकती है।
राज्य और केंद्र में बीजेपी की सरकार
श्रीनगर में कांग्रेस नेताओं की बैठक के बाद आजाद ने कहा कि 70 साल के इतिहास में कश्मीर में यह बेहद बुरा दौर है। कश्मीर, सरकार और राजनीतिक दलों को संविदान के दायरे में इसका स्थायी समाधान निकालने का वक्त आ गया है। अभी बीजेपी इस हालत में है कि वह स्थायी समाधान निकाले. कांग्रेस और सभी विपक्षी पार्टी इसेक लिए सरकार का साथ देगी।
संसद में कांग्रेस ने की चर्चा की शुरुआत
उन्होंने कहा कि संसद ने 20 दिन में चार बार कश्मीर के हालात पर चर्चा की. ऐसा पहली बार हुआ कि कांग्रेस ने चर्चा की शुरुआत की और सभी विपक्षी दलों ने इसका समर्थन किया। विपक्ष ने कश्मीर समस्या पर केंद्र और राज्य को सामने आने के लिए जोर लगाया। कांग्रेस ने शुरुआती दिनों में ऑल पार्टी डेलीगेशन भेजने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने हमारी यह मांग मानने में 52 दिन लगा दिए। कर्फ्यू हटाने में इतना वक्त लग गया. वक्त नहीं लगाते तो कई जान बच सकती थी।
मत करिए दोहरी नीति का वार
आजाद ने केंद्र की ओर से कश्मीर में ऑल पार्टी डेलीगेशन भेजे जाने का स्वागत करते हुए कहा कि कश्मीरियों को उनसे बातें करने के लिए आगे आना चाहिए। वहीं सरकार को कश्मीरियों के साथ मुख में राम बगल में छुरी की नीति को नजरअंदाज करना चाहिए। आप पाकिस्तान के साथ भले ही ऐसी नीति रखिए मगर कश्मीरियों के लिए नहीं। वह हमारे अपने लोग हैं. आप बुजुर्गों से राय लीजिए और नौजवानों की काउंसलिंग करिए. उनकी नाराजगी दूर करिए।
2008 में भी बिगड़े थे हालात
आजाद ने अपने मुख्यमंत्री रहने के दौरान कश्मीर में बिगड़े हालात के बारे में कहा कि साल 2008 में श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को फॉरेस्ट लैंड देने के खिलाफ कश्मीरियों ने बड़ा प्रदर्शन किया था। मेरे इस्तीफे तक सिर्फ पांच लोगों की जान गई थी। इस्तीफे के बाद गवर्नर रूल लगा। विरोध तेज होने पर बीजेपी ने कश्मीर में आर्थिक नाकेबंदी कर दी थी। इसके बाद घाटी में हुए प्रदर्शन में 10 लाख लोग जुट गए थे। वे लोग मुजफ्फराबाद मार्च निकाल रहे थे। उस पर हुई फायरिंग में एक दिन में 22 लोगों की जान गई थी।
बीजेपी मंत्रियों पर लगाए आरोप
आजाद ने कहा कि तब बीजेपी और उनके समर्थकों ने घाटी में आर्थिक नाकेबंदी करवा दी थी। उनमें से कुछ लोग आज केंद्र में मंत्री हैं। आजाद ने पीएमओ में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की ओर इशारा किया था. वह 2008 में जम्मू आंदोलन के अगुवा थे।
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