नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक में हुंकार, कहा पीओके जम्मू-कश्मीर का ही हिस्सा है
नई दिल्ली : कश्मीर के मौजूदा हालात और उन्हें सामान्य करने पर चर्चा करने के लिए सरकार द्वारा बुलाई गई सभी दलों की बैठक खत्म हो गई है। आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा बयान दिया है। पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न हिस्सा है। बैठक की अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। बैठक में विपक्ष ने कश्मीर में स्थिति सामान्य बनाने के लिए विश्वास बहाली के कदम उठाने की मांग की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि सरकार को विदेशों में रह रहे पीओके के निर्वासित लोगों से संपर्क करना चाहिए और उनसे बात की जानी चाहिए। पीएम ने कहा, जम्मू-कश्मीर के चार हिस्से हैं, कश्मीर, लद्दाख, जम्मू और पाकिस्तान अधिकृति कश्मीर। उन्होंने बलूचिस्तान सहित पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन का भी जिक्र किया। गौरतलब है इससे पहले राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कश्मीर हिंसा पर चर्चा के दौरान कहा था कि पड़ोसी पाकिस्तान से अब बात पाक अधिकृत कश्मीर पर ही होगी। उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर मसले पर सरकार सभी पक्षों से बात करने को तैयार है।
बता दे कि बैठक में सभी दलों के नेता पहुंचे, जिनमें सतीश मिश्रा, डेरेक ओ ब्रायन, सुखदेव सिंह ढिंढसा, सुदीप बंदोपाध्याय, शरद यादव, दुष्यंत चौटाला, सीताराम पासवान, अनंत कुमार, कर्ण सिंह, डी राजा, प्रेमचंद गुप्ता, तारिक अनवर, प्रफुल पटेल आदि शामिल हैं।
इससे पहले आज लोकसभा ने भी कश्मीर की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित किया और वहां लंबे समय से जारी कर्फ्यू, हिंसा तथा लोगों के मारे जाने पर गंभीर चिंता प्रकट की। लोकसभा ने कहा कि यह दृढ़ विचार है कि भारत की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
हम कश्मीर के मुद्दे का संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप स्थाई और शांतिपूर्वक हल के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम खुले विचारों वाले हैं और हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं। हम पूरे जम्मू और कश्मीर राज्य के हर नागरिक के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। समाधान ढूंढने के लिए, हम श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते रहे हैं।
कश्मीर न केवल हमारी क्षेत्रीय अखंडता का मुद्दा है बल्कि यह हमारी राष्ट्रीयता की परिभाषा भी है। हम इन हकीकतों से इनकार नहीं कर सकते कि सुरक्षा बलों ने हर प्रकार की चोटें सही हैं, उनके ऊपर सुनियोजित हमले हुए हैं, इसके बावजूद भी सुरक्षा बलों ने संयम दिखाया है। आंकड़े बताते हैं कि सुरक्षा बल बड़ी संख्या में घायल हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि सरकार को विदेशों में रह रहे पीओके के निर्वासित लोगों से संपर्क करना चाहिए और उनसे बात की जानी चाहिए। पीएम ने कहा, जम्मू-कश्मीर के चार हिस्से हैं, कश्मीर, लद्दाख, जम्मू और पाकिस्तान अधिकृति कश्मीर। उन्होंने बलूचिस्तान सहित पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन का भी जिक्र किया। गौरतलब है इससे पहले राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कश्मीर हिंसा पर चर्चा के दौरान कहा था कि पड़ोसी पाकिस्तान से अब बात पाक अधिकृत कश्मीर पर ही होगी। उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर मसले पर सरकार सभी पक्षों से बात करने को तैयार है।
बता दे कि बैठक में सभी दलों के नेता पहुंचे, जिनमें सतीश मिश्रा, डेरेक ओ ब्रायन, सुखदेव सिंह ढिंढसा, सुदीप बंदोपाध्याय, शरद यादव, दुष्यंत चौटाला, सीताराम पासवान, अनंत कुमार, कर्ण सिंह, डी राजा, प्रेमचंद गुप्ता, तारिक अनवर, प्रफुल पटेल आदि शामिल हैं।
इससे पहले आज लोकसभा ने भी कश्मीर की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित किया और वहां लंबे समय से जारी कर्फ्यू, हिंसा तथा लोगों के मारे जाने पर गंभीर चिंता प्रकट की। लोकसभा ने कहा कि यह दृढ़ विचार है कि भारत की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
जानिए सर्वदलीय बैठक में PM मोदी ने क्या कहा
जम्मू व कश्मीर में हाल ही में हुई घटनाओं से हर भारतीय की तरह, मेरे हृदय को भी काफी गहरा दुख पहुंचा है। मुझे यह देखकर बहुत दुख होता है कि बच्चे अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, सेब का उत्पादन मंडियों तक पहुंच नहीं पा रहा, दुकानदारों की दैनिक आमदनी नहीं हो रही है और सरकारी कार्यालय लोकहित के कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इस स्थिति से सबसे अधिक गरीब प्रभावित है।हम कश्मीर के मुद्दे का संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप स्थाई और शांतिपूर्वक हल के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम खुले विचारों वाले हैं और हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं। हम पूरे जम्मू और कश्मीर राज्य के हर नागरिक के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। समाधान ढूंढने के लिए, हम श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते रहे हैं।
कश्मीर न केवल हमारी क्षेत्रीय अखंडता का मुद्दा है बल्कि यह हमारी राष्ट्रीयता की परिभाषा भी है। हम इन हकीकतों से इनकार नहीं कर सकते कि सुरक्षा बलों ने हर प्रकार की चोटें सही हैं, उनके ऊपर सुनियोजित हमले हुए हैं, इसके बावजूद भी सुरक्षा बलों ने संयम दिखाया है। आंकड़े बताते हैं कि सुरक्षा बल बड़ी संख्या में घायल हुए हैं।
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