Monday, September 12, 2016

सात दिन के अंदर खत्म करेंगे कश्मीर की समस्या,मोदी जी ने लिया फ़ैसला

सात दिन के अंदर खत्म करेंगे कश्मीर की समस्या,मोदी जी ने लिया फ़ैसला


कश्मीर की हालत कभी खराब होती है तो कभी सही हो जाती है|कश्मीर की स्थिति सामान्य होने का नाम ही नही ले रही है|अलगावादियोने हालत सामान्य करने नही दे रहे,पर अब मोदी जी ने भी कमर कस ली है|कश्मीर की हालत सुधारने के लिए की कसर नही छोड़ रहे है|लाइक करें हमारा फेसबुक पेज

गृह मंत्री राजनाथ सिंह जी ने शख्त संदेश दिया है की अगर कोई भी कश्मीर मे भड़काने की कोशिश करता है तो उसके खिलाआफ करवाई करे|किसिको नही छोड़ा जाएगा|राजनाथ सिंह जी ने कहा है की अब शख़्ती से काम करना है और कश्मीर की स्थिति जल्द से जल्द सामान्य करना है|
कल गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एनएसए अजीत डोभाल और सुरक्षा अधिकारियों के साथ करीब घंटे भर चली बैठक में सख्ती के निर्देश दिए। सरकार तक ये खबर भी है कि बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद दक्षिण कश्मीर के 80 लड़के गायब हैं। शक हैं कि वो आतंकी ग्रुप के साथ जा मिले हैं।
राजनाथ सिंह जी ने कहा है की करफुई से सबसे ज़ायेदा नुकसान बच्चो का हो रहा है|उनकी पढ़ाई बर्बाद हो रही है,इसलिए कश्मीर की स्थिति सामान्य करना ज़रूरी है|

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Saturday, September 10, 2016

नितिन गडकरी का बड़ा एलान, वाहन चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस, कागजात रखने की जरूरत नही

नितिन गडकरी का बड़ा एलान, वाहन चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस, कागजात रखने की जरूरत नही



चंडीगढ़, 11 सितंबर- केन्द्रीय सडक़ परिवहन, राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम शुरू किया जाएगा, जिसके तहत कैमरे लगाए जाएंगे। उन्होंने सभी वाहन चालकों का आह्वान किया कि चाहे नेता हो, अधिकारी हो, कोई भी हो, सभी यातायात नियमों का पालन करें अन्यथा चालान घर पहुंच जाएगा। साथ ही, उन्होंने कहा कि अब वाहन चालक को हमेशा अपने साथ लाइसेंस और दस्तावेज रखने की आवश्यकता नहीं है। हाल ही में डिजिलॉकर स्थापित किया गया है, जिसमेें आप अपने ड्राइविंग लाइसेंस व गाड़ी के दस्तावेज डिजीटली रख सकते हैं और जरूरत पडऩे पर मोबाइल पर ये दस्तावेज दिखाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस सुविधा से लगभग 18 करोड़ लोगों को लाभ होगा तथा अब नकली लाइसेंस नहीं चलेंगे। 
श्री गडकरी ने आज गुडग़ांव में लगभग 1005 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर आठ के तीन मुख्य चौैराहों- इफको चौक, सिग्नेचर टावर चौक तथा राजीव चौक के सुधार कार्यों की आधारशिला रखने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि इन चौराहों पर चार अंडरपास व चार ही फलाईओवर बनेंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्य को पूरा करने के लिए उन्हें 30 महीने का समय बताया गया था, लेकिन उन्होंने इस कार्य को 15 महीने में पूरा करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर आठ पर कैमरे लगवाने की भी घोषणा की और कहा कि अभी हाल ही में इस हाइवे पर यात्रियों व वाहन चालकों की सुविधा के लिए रेडियो पर यातायात अपडेट भी देना शुरू किया जा चुका है। 

श्री गडकरी ने कहा कि दिल्ली और जयपुर के बीच नया हाइवे बनाया जाएगा जो एक्सेस कंट्रोल हाइवे होगा, जिसके बनने बाद दिल्ली-जयपुर की 270 किलोमीटर की दूरी दो घंटे में तय होगी। इस एक्सेस कंट्रोल हाइवे पर लगभग 16000 करोड़ रुपए की लागत आएगी। उन्होंने कहा कि एक्सेस कंट्रोल हाइवे का कार्य जनवरी-2017 से शुरू किया जाएगा, जिसके लिये जल्द ही भूमि अधिग्रहण कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल से आग्रह किया कि वे इस हाइवे के दोनों तरफ की भूमि को विकसित करके दें ताकि हाइवे की लागत कम की जा सके । उन्होंने कहा कि गुडग़ांववासी पिछले कई सालों से यातायात जाम की समस्या से परेशान थे। दिल्ली-जयपुर हाइवे बनने में कई कठिनाईयां थी और इसके सम्बन्ध में न्यायालयों में भी मामले लंबित थे। भाजपा सरकार ने आते ही उन तमाम कठिनाइयों को दूर किया और निर्माण कार्य पुन: शुरू करवाया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवागमन सुगम बनाने के लिए आईएमटी मानेसर चौक पर फलाईओवर के कार्य को भी जल्द पूरा करवाया जाएगा। श्री गडकरी ने कहा कि द्वारका एक्सप्रैस-वे पर भी निर्माण शुरू हो गया और यह भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा। श्री गडकरी ने कहा कि एम्बियंस माल वाले चौराहे का भी सुधार किया जाएगा। इसके अलावा, मानेसर-गुडग़ांव के लिए बाईपास पर भी कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा। साथ ही श्री गडकरी ने आज दिल्ली के धौलाकुआं से मानेसर के बीच मैटरिनो सिस्टम की पायलट परियोजना शुरू करने की बात दोहराते हुए कहा कि इसके लिए क्लीयरेंस मिल चुकी है और जल्द ही इस पर कार्य शुरू किया जाएगा। 
श्री गडकरी ने कहा कि श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा तेजी से आगे बढ़ रहा है और श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पूरी ताकत के साथ उनके पीछे खड़ी है। श्री गडकरी ने कहा कि उन्होंने दो सालों में 50 हजार करोड़ रुपए के विकास कार्य हरियाणा में शुरू करवाने का वचन दिया था जिसे वे पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के चारों तरफ इस्टरली और वेस्टरली बाईपास का कार्य चल रहा है। यह मार्ग बनने से दिल्ली का 50 प्रतिशत ट्रैफिक तथा प्रदूषण कम होगा। उन्होंने कहा कि यह कार्य 400 दिनों के रिकार्ड समय में पूरा किया जाएगा। वे निरंतर इस परियोजना की निगरानी कर रहे हैं। 

इससे पूर्व, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने बड़ी परियोजना देने के लिए श्री गडकरी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अंडरपास व फलाईओवर बनने से वाहन चालकों को बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने दिल्ली और गुडग़ांव के बीच कनैक्टिविटी बढ़ाने की परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि गुडग़ांव में सडक़ों की मरम्मत का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाएगा और हुडा व नगर निगम के क्षेत्रों में भी सडक़ों की मरम्मत व निर्माण में लोक निर्माण विभाग अपना सहयोग देगा। उन्होंने कहा कि एसपीआर तथा ग्रेटर एसपीआर सडक़ की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है और यह सडक़ फरीदाबाद और दिल्ली के टै्रफिक को मानेसर से जोड़ेगी। उन्होंने सरहोल के पुराने टोल प्लाजा के स्थान पर यू-टर्न बनवाने की मांग की और कहा कि वर्तमान में वाहन चालकों को एम्बियंस माल की तरफ आने के लिए दिल्ली के रजोकरी होकर आना पड़ता है।

गुडग़ांव के सांसद एवं केन्द्रीय योजना, शहरी विकास, आवास और गरीबी उन्मूलन राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने श्री गडकरी के स्वागत में कहा कि उन्होंने अपने सारे राजनीतिक जीवन में श्री गडकरी जैसे कम ही व्यक्ति देखे हैं, जो अपनी बात को पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार बनने के बाद राष्ट्रीय राजमार्गों पर बहुत काम हुआ है और अब गुडग़ांव से शाहजहांपुर बार्डर तक काम होते हुए दिखाई देते हैं। साथ ही उन्होंने गुजरात की तर्ज पर खेडक़ीदौला टोल प्लाजा पर गुडग़ांववासियों के लिए टोल में छूट देने की बात भी कही। 
हरियाणा के लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि जब-जब हरियाणा की सडक़ों से संबंधित कोई भी प्रस्ताव लेकर वे श्री गडकरी के पास गए, उन्हें मांग से ज्यादा ही मिला है। उन्होंने बताया कि दुनिया के सबसे छोटे तीन राष्ट्रीय राजमार्ग श्री गडकरी द्वारा गुडग़ांव में मंजूर किए गए हैं। इनमें द्वारका एक्सप्रैस-वे, एम्बियंस माल से एमजी रोड तथा मानेसर से एमजी रोड शामिल हैं। राव नरबीर सिंह ने खेडक़ीदौला टोल प्लाजा हटवाने की मांग भी श्री गडकरी के समक्ष रखी। उन्होंने कहा कि अलवर रोड पर वाटिका चौक से बादशाहपुर तक ऐलीवेटेड सडक़ की डीपीआर बनाई गई है, परंतु भविष्य के ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए इसे सुभाष चौक से शुरू करना बेहतर रहेगा, जिसके लिए इसकी डीपीआर पुन: तैयार की जाए। 

इस अवसर पर हरियाणा के जनस्वास्थ्य मंत्री डॉ. बनवारी लाल, दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी, गुडग़ांव के विधायक उमेश अग्रवाल, सोहना के विधायक तेजपाल तंवर, पटौदी की विधायक बिमला चौधरी, नारनौल के विधायक ओम प्रकाश, हरियाणा आवास बोर्ड के चेयरमैन जवाहर यादव, हरियाणा डेरी विकास प्रसंघ के चेयरमैन जीएल शर्मा के अलावा जिला प्रशासन व एनएचएआई के अधिकारी तथा गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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Thursday, September 8, 2016

मोदी ने सेना को दिया विश्व का सबसे ताकतवर हेलिकॉप्टर, एक ही वार में उड़ जायेगा पाक

मोदी ने सेना को दिया विश्व का सबसे ताकतवर हेलिकॉप्टर, एक ही वार में उड़ जायेगा पाकिस्तान

दिन पर दिन भारतीय सेना की ताकत बढ़ती जा रही है। ब्राहमोस मिसाइल के बाद अब दुनिया का सबसे खतरनाक अपाचे हेलिकॉप्टर जल्द ही भारतीय सेना में शामिल होगा। मोदी सरकार ने हाल ही में इसकी खरीद के लिए मंजूरी दी थी। अब खबर आई है कि अगले माह ये हेलीकॉप्टर सेना में शामिल हो रहा है। लाइक करें हमारा फेसबुक पेज
सरकारी सूत्रों ने बताया, ‘अपाचे हेलिकॉप्टर को मंजूरी दी गई।’ रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई लोगों को उम्मीद थी कि 2013 में लागत वार्ता को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ढाई अरब डॉलर से ज्यादा मूल्य वाले इस सौदे पर इस साल अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए जाएंगे।
अपाचे का यह सौदा ‘हाइब्रिड’ है और इसमें हेलीकॉप्टर के लिए एक करार पर बोइंग के साथ हस्ताक्षर किए जाएंगे, जबकि उसके हथियारों, रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरणों के लिए अमेरिकी सरकार के साथ हस्ताक्षर किए जाएंगे।इस अपाचे हेलीकाप्टर का नाम सुनते ही पाकिस्तान और चीन समेत कई देशों के तो होश उड़ गए हैं।
इस हेलिकॉप्टर की खासियत जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे अपाचे हेलिकॉप्टर बिजली की गति से कहीं भी और किसी भी मौसम में हमला करने में सक्षम है। अपाचे हेलिकॉप्टर बेहद कम ऊंचाई पर उड़कर हवाई हमले के साथ ही जमीनी हमले करने में भी सक्षम हैं। इसमें आधुनिक मिसाइल से लेकर कई खतरनाक बम ले जाने की छमता हैं।
अमेरिका की तरफ से मिलने वाला अपाचे एएच 64-डी लॉन्गबो हेलिकॉप्टर सर्वाधिक आधुनिक मल्टी-रोल युद्धक हेलिकॉप्टर है। इसमें हर मौसम में रात में युद्ध अभियान संचालित करने की क्षमता है। यह एक मिनट से कम समय में 128 लक्ष्यों तक को चिह्नित कर सकता है और 16 लक्ष्यों पर निशाना साध सकता है और बचाव कर सकता है।

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Monday, September 5, 2016

ऐसे ही मोदीने नही ललकारा,अभेद्य करदी गई है देशकी सुरक्षा चीन हमला करे तो बर्बाद कर दिया जायेगा

ऐसे ही मोदीने नही ललकारा,अभेद्य करदी गई है देशकी सुरक्षा चीन हमला करे तो बर्बाद कर दिया जायेगा

नई दिल्ली। आए दिन हम सुनते हैं, चीन और पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने का नाम नहीं ले रहे हैं। एलओसी पर लगातार सीजफायर तोड़ने वाली पाकिस्तानी सेना अब भारतीय जवानों पर बड़े हमले की तैयारी में है। इसके इनपुट्स भारतीय सेना को भी मिले हैं। लाइक करें हमारा फेसबुक पेज

एक ओर पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ भारत के साथ शांति वार्ता की बात कर रहे हैं और दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना भारत पर हमले के लिए एलओसी पर बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) को तैनात करने की कोशिश में है। बीएटी वही टुकड़ी है जो जनवरी 2012 में दो भारतीय जवानों के सिर काट कर अपने साथ ले गई थी। इसके बाद इसी टीम ने अगस्त में पुंछ सेक्टर में पांच भारतीय जवानों की हत्या कर दी थी।


पुंछ के भीमभेर गली में 120 इनफैन्ट्री ब्रिगेड के ब्रिगेडियर कमांडर ए सेनगुप्ता ने एक बारपत्रकारों को बताया था कि पाक सेना रोज सीजफायर का उल्लंघन कर रही है और मोर्टार-गोलियों से भारतीय पोस्ट और सीमावर्ती गांवों पर हमले कर रही है। उनका कहना था कि इस गोलीबारी का मकसद आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसपैठ करने में मदद करना है।


भारतीय सेना किसी भी हमले का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अगर किसी सूरत में बीएटी या पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमला किया तो पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत की थल सेना, वायु सेना और जल सेना तीनों तैयार है। इन तीनों सेनाओं के पास अत्याधुनिक हथियार हैं तो एक बटन दबाते ही पाकिस्तान को सबक सिखा सकते हैं। आइए जानते हैं भारत के पास ऐसे कौन-कौन से हथियार हैं


जिनसे पाकिस्तान भी खौफ खाता है-


तीन मिनट में इस्लामाबाद को खाक कर सकता है ब्रह्मोस


हिमालय की चोटियों के पार आंख दिखाता चीन हो या कश्मीर की सीमा पर जब-तब गोलियों की बौछार करने वाला पाकिस्तान, भारतीय सेना हमेशा दुश्मनों की नापाक हरकतों से निपटने को तैयार रहती है। जंग में दुश्मनों के सैन्य अड्डों, महत्वपूर्ण ठिकानों या फिर पूरे इलाके को खाक में मिलाने के लिए सेना मिसाइलों का इस्तेमाल करती है।


दुश्मनों के ठिकानों को नष्ट करने में मिसाइलों को महारत हासिल होती है। ब्रह्मोस, पृथ्वी और अग्नी जैसे मिलाइलों के कारण दुश्मन देश भारतीय सेना की ताकत को चुनौती देने से पहले दस बार सोचते हैं। राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज में पिछले सोमवार को ब्रह्मोस के आधुनिक संस्करण का परीक्षण किया गया। इस मिसाइल से सेना जमीन के अंदर बने बंकरों को भी नष्ट कर सकेगी।


ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे ताकतवर क्रूज मिसाइलों में गिना जाता है। यह मिसाइल तीन हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दुश्मनों पर हमला करती है। वैज्ञानिक अब ब्रह्मोस 2 पर काम कर रहे हैं, इसकी स्पीड 5300 किलोमीटर प्रतिघंटे से भी अधिक होगी। इस रफ्तार से पाक पर हमला करने पर ब्रह्मोस करीब 3 मिनट में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में तबाही ला सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत रडार की नजर में नहीं आना है, इससे यह दुश्मन को संभलने का मौका नहीं देता है और न ही कोई और देश उसे बचा सकता है।


दुश्मनों पर मौत बन गिरती है पृथ्वी मिसाइल


पृथ्वी भारत की जमीन से जमीन पर कम दूरी तक मार करने वाली प्रमुख मिसाइल है। 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली यह मिसाइल अपने साथ 1,000 किलोग्राम विस्फोटक ले जाती है। इतने विस्फोटक से साथ जब पृथ्वी दुश्मन के ठिकाने पर गिरती है तो वहां सिर्फ तबाही ही दिखती है। इस मिसाइल को सीमा पर आसानी से ट्रकों पर बने लॉचिंग पैड से साथ तैनात किया जा सकता है।


परमाणु बम भी गिरा सकती है ये


पृथ्वी एक बैलिस्टिक मिसाइल है जो अपने साथ परमाणु बम भी ले जा सकती है। इसे नौ सेना के जहाजों से भी दागा जा सकता है। 1994 से यह मिसाइल भारतीय सेना को अपनी सेवाएं दे रही है। इसे थल सेना, वायुसेना और नौ सेना तीनों इस्तेमाल करती है।


हवा में दुश्मनों का शिकार करती है आकाश मिसाइल


जमीन से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल को महत्वपूर्ण जगहों की सुरक्षा में तैनात किया जाता है। हवाई अड्डे, सेना के हथियार जमा करने वाले भंडार या फिर सैन्य मुख्यालय जैसी जगहों पर जंग के समय दुश्मन के लड़ाकू विमान हमला करते हैं। आकाश मिसाइल का इस्तेमाल इस तरह के किसी भी हमले को रोकने और दुश्मन के विमानों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। इस मिसाइल को टैंकों से भी दागा जा सकता है, जिससे टैंक लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों से होने वाले हमलों से भी निपट सकते हैं।


नाकाम कर सकती है हमले को


आकाश मिसाइल हवा में 18 किलोमीटर की ऊंचाई और 35 किलोमीटर की दूरी तक मार करती है। यह मिसाइल दुश्मनों के विमानों, हेलिकॉप्टरों और मिसाइलों को नष्ट कर सकती है। एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए भी वैज्ञानिक इसकी टेस्टिंग कर रहे हैं। इस सिस्टम में शामिल होने पर आकाश भारत की ओर बढ़ते दुश्मन के मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर देगी।


अग्नी -1


परमाणु बम दागने की क्षमता रखने वाली अग्नी-1 मिसाइल 700 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है। जमीन से जमीन पर मार करने वाली यह मिसाइल ठोस इंधन से चलती है। 12 टन वजनी यह 15 मिटर लम्बी है और अपने साथ एक हजार किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकती है। मोटाई में पतली पर, मार में पाक के अनुरूप है ये ।


अग्नी- 2


2 हजार किलोमीटर तक मार करने वाले इस मिसाइल से भारत पाकिस्तान के किसी भी हिस्से तक पहुंच सकता है। 17 टन वजनी यह मिसाइल अपने साथ एक हजार किलोग्राम विस्फोटक या परमाणु बम ले जा सकती है। यह मिसाइल अपने टारगेट तक दो चरणों में ठोस इंधन की दम पर पहुंचती है। इसके जवाब के लिए पाक के पास भी मिसाइल हैं ।


अग्नी 2 से धांसू है 3


हमारी 3 हजार किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नी 3 मिसाइल चीन से लेकर ईरान तक पहुंच सकती है। 15000 किलोग्राम विस्फोटकों से साथ यह मिसाइल 500 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए दुश्मन देश पर हमला करती है। ये अग्नि 1 के मुकाबले ढार्इ गुना ज्यादा ताकतवर है,


अग्नी 4


यह मिसाइल ढार्इ से तीन हजार किलोमीटर तक मार कर सकती है। परमाणु बम के साथ दो हजार किलोमीटर तक मार करने की क्षमता भारत को एक शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित करती है। माना जाता है कि ये अग्नि 2 का नया संस्करण भी हो सकता है, इसमें डिजायन चमकदार है ।


भारत का सबसे ताकतवर मिसायल अग्नी 5


जी हां, सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल कई हजार किलोमीटर तक पहुंच सकती है। परमाणु बम लेकर चलने वाले इस मिसाइल से भारत समूचे चीन से लेकर यूरोप तक हमला कर सकता है मतलब आधी दुनिया तक हमारे बम गिरा सकती है ये । 17 मीटर लम्बी यह मिसाइल 50 टन वजनी है और अपने लक्ष्य तक तीन चरणों में पहुंचती है। इसका पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 में किया गया था


सुखोई 30 MKI


इसके अलावा भारत के पास सुखोई 30 MKI भी है जो दुनिया के किसी भी हिस्से पर हमला कर उसे तबाह करने की ताकत रखता है 

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Sunday, September 4, 2016

ताइवान ने दिया मोदी का साथ , कहा की अगर भारत साथ दे तो उखाड़ लेंगे बीजिंग से चीनी झंडा



       ताइवान ने दिया मोदी का साथ , कहा की अगर भारत साथ दे तो उखाड़ लेंगे बीजिंग से चीनी झंडा


चीन और भारत के रिश्ते इतने अच्छे नही है|भारत ही नही ,चीन के सारे पड़ोसी से उसकी नही बनती|चीन से उसके सारे पड़ोसी परेशान है|
चीन अपने मे ही रहता है और दूसरे कुछ देशो को कुछ नही समझता|चीन से सभी देश जैसे जापान,फिलीपीनेस,वियतनाम जैसे सभी देश परेशान है|

ताइवान भी चीन के रैवये से परेशान है|चीन और ताइवान के बीच मे हमेशा 36 का आकड़ा रहता है|ताइवान चीन के अतिक्रमर्ण रैवये से परेशान है|आए दिन ताइवान मे चीन के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते है|चीन से ताइवान परेशान हो चुका है| लाइक करें हमारा फेसबुक पेज







ताइवान के राष्ट्रपति से मीडीया से यह तक कह दिया की चीन के पास कोई शक्ति नही है,वो सिर्फ़ धमकिया देना जनता है पर वो कुछ नही कर सकता,अगर भारत जैसा देश हमारा साथ दे तो बीजिंग से चीन का झंडा उखाड़ दे सकते है|
ताइवान अमेरिका से हथियार खरीदने का सबसे बड़ा खरीदार है|वियतनाम ने भी भारत से ब्रह्मोस लेने का सोच अहैइ|ऐसे मे चीन के सारे पड़ोसी ताकतवर है,तो चीन को अपने रिश्तो को सुधारने का सोचना चाहिए|



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G20 Summit में PM मोदी ने कैसे पाकिस्तान के साथ चीन को भी भी धोया???

PM मोदी ने कहा- ब्रिक्स देश मिलकर आतंकवाद के समर्थकों पर लें एक्‍शन




हांगझोऊ: पीएम मोदी ने ब्रिक्स देशों से आतंक के समर्थकों और प्रायोजकों को अलग-थलग करने का आह्वान किया है। जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले ब्रिक्स देशों के नेताओं के साथ बैठक हुई। इसमें मोदी ने कहा कि आतंकियों के पास बैंक या हथियार के कारखाने नहीं हैं।
मोदी ने कहा कि इससे पता चलता है कि कोई उन्हें धन और हथियार देता है। हमें आतंकियों को मदद देने वालों को चिन्हित करके उन पर कार्रवाई करनी चाहिए। 
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मोदी ने आतंकवाद को लेकर और क्‍या कहा
–ब्रिक्स को आतंक से लडऩे के लिए संयुक्त प्रयास तेज कर देने चाहिए।
-आतंक के समर्थकों और उन्हें बढ़ावा देने वालों को अलग-थलग करने के लिए संयुक्त कार्रवाई करनी चाहिए।
-आतंकवाद अस्थिरता का प्रमुख कारण और समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
-जी-20 सम्मेलन से इतर आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के साथ मुलाकात में भी मोदी ने इस मुद्दे को उठाया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने क्या कहा
पाकिस्तान का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने टर्नबुल से कहा कि खास तौर से हमारा (भारत) पड़ोसी आतंकवाद के अस्थिर करने वाले प्रभाव से परेशान है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के आपूर्तिकर्ताओं, निर्यातकों और वित्त पोषकों को चिह्नित किया जाना चाहिए।



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Thursday, September 1, 2016

इस बैंक अकाउंट में जमा कराया गया केवल 1 रु भी शहिदों के परिवारों की करेगा सीधे मदद

इस बैंक अकाउंट में आपके द्वारा जमा कराया गया केवल 1 रुपया भी शहिद सैनिको के परिवारों की करेगा सीधे मदद




भारतीय रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए एक बैंक खाता खोला है जिसमें लोग पैसा जमा कर सकते हैं और शहीद सैनिको के परिवारों की सीधी मदद कर सकते हैं..
अब जनता सीधे कर सकेगी सैनिको की आर्थिक सहायता

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक हिंदी न्यूज़ चेनल को बताया कि ये फंड इसलिए शुरू किया गया है क्योंकि बड़ी तादाद में देश के नागरिक युद्ध में घायल या शहीदों के लिए दान देना चाहते थे लेकिन इसकी कोई व्यवस्था नहीं होने से आम लोग ऐसा नहीं कर पाते थे. इसलिए एक बैटेल कैजयुल्टी फंड बनाया गया है. जो इच्छुक लोगों की इसमें मदद भी करेगा.

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की पहल पर जून 2016 में इस फंड को शुरु किया गया था. ‘बैटेल कैजुयल्टी’ का अर्थ हालांकि युद्ध या युद्ध जैसी स्थिति में अपने कर्तव्य को निभाते हुए घायल या शहीद होना होता है, लेकिन ये फंड खास तौर से शहीदों के परिवार के लिए बनाया गया है.
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने ये बात भी साफ कर दी है कि ये फंड पूरी तरह से वॉलेंटेरी-फंड है यानि कोई भी अपनी इच्छा से इसमें जितना चाहे उतनी की मदद राशि दान में दे सकता है…अकाउंट की डिटेल्स इस तरह से हैं..

Bank: Syndicate Bank
Branch: South block , Newdelhi 110011
Account Name: Army Welfare Fund Battle Causalities
Acc. no: 90552010165915

IFSC: SYNB0009055



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अब बलूच में भी बजेगा मोदी का डंका, रेडियो से करेंगे मन की बात क्या है रणनीति...आप भी पढ़िए


अब बलूच में भी बजेगा मोदी का डंका, रेडियो से करेंगे मन की बात
क्या है रणनीति...आप भी पढ़िए


ऑल इंडिया रेडियो ने हाल में ही अपने एक नए मुहीम की शुरुवात की जिसमें वो जल्‍द ही बलूच भाषा में समाचार बुलेटिन शुरू करेगी. इस मुहीम को पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले बलूचिस्‍तान में रह रहे लोगों को ध्‍यान में रखकर शुरू किया जाएगा. इस मुहीम में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ बैठक में ऑल इंडिया रेडियो के महानिदेशक फैयाज शहरयार ने भी बताया कि विदेश सेवा प्रभाग जल्‍द ही बलूच भाषा में बुलेटिन शुरू कर रही हैl  यह बलूचिस्‍तान और दूसरे देशों में बसे बलूची लोगों को ध्‍यान में रखकर शुरू किया जा रहा है और साथ ही ये भी फैसला हुआ की एआईआर ट्रांसमिशन की सिग्नल कैपिसिटी भी बढ़ेगी ।




इसके तहत 300 केवी का एक नया डिजिटल रेडियो ट्रांसमीटर जम्मू में लगाया गया है। साथ ही ये भी पता चला है की एआईआर के जम्मू स्टेशन से ट्रांसमिटेड प्रोग्राम पिओ-जेके पाकिस्तान के पंजाब प्रोविन्स के इलाकों के बाहर भी सुने जा सकेंगे। इसके पीछे सरकार की मंशा बलूच लोगों के बीच अपनी पकड़ और मजबूत करने की है।
source

ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन के खिलाफ और आजादी की मांग को लेकर बलूचिस्तान में प्रदर्शन चल रहे हैं। बलूचिस्तान की आजादी के सपोर्टर्स ने 25 अगस्त को वहां अपने शहीद लीडर अकबर बुगती के साथ नरेंद्र मोदी की फोटो लहराई थी और पाकिस्तानी झंडे कुचलकर भारत के पक्ष में नारेबाजी की और लाल किले पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा उठाने पर मोदी का शुक्रिया भी अदा किया था।


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मोदी सरकार ने शानदार निर्णय-ऑटोमैटिक मशीन गन सिमा पर तैनात, नहीं होंगे शहीद सैनिक!!



मोदी सरकार ने शानदार निर्णय-ऑटोमैटिक मशीन गन सिमा पर तैनात, नहीं होंगे शहीद सैनिक !!




आज़ादी के बाद से ही पाकिस्तान भारत के लिए एक सिर दर्द बना हुआ है । आए दिन हो रही घुसपैठ की कोशिशें हमेशा से भारत के लिए एक चिंता का विषय बनी हुई हैं । पाकिस्तान की ओर से आतनकवादी भारत की सीमा मे दाखिल होकर भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं ।
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इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने एक बड़ी सेना बार्डर पर तैनात की हुई है । हर साल सैकड़ों सैनिक पाक की तरफ से हो रही गोलीबारी में शहीद होते हैं । परंतु अब केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने शानदार निर्णय लिया है ।


अब भारत सरकार रिमोट कंट्रोल से चलने वाली मशीन गन के सहारे से पाक की तरफ से हो रही घुसपैठ और गोलाबारी का मज़ा चखाएगी । इसके लिए सरकार कंट्रोल रूम का निर्माण करेगी । जहां बैठ फौज के अधिकारी कोई गलत गतिविधि देख तुरंत गोली चलाने का निर्देश देंगे ।
ये गंस भारत में ही निर्मित की जाएंगी । इनमे एक  कैमरा भी लगा होगा । जैसे ही कोई भी आतंकी भारत की इन्फ्रा रेड ग्रिड में प्रवेश करेगा , ये ऑटोमैटिक मशीन गन उनपर तुरंत फ़ाइरिंग करेंगी और घुसपैठिए को ढेर कर देंगी ।


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बस इस एक संधि को रद्द कर दें मोदी, हिल जाएगा पूरा पाकिस्तान, टेक देगा घुटने,

बस इस एक संधि को रद्द कर दें मोदी, हिल जाएगा पूरा पाकिस्तान, टेक देगा घुटने,









हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें ख़ुद पता ही नहीं था कि वह कितने शक्तिशाली हैं और क्या कर सकते हैं, लिहाजा, अपने आपको वह साधारण वानर समझते थे। जब जामवंत ने उन्हें याद दिलाया कि वह तो सूर्य जैसे आग के प्रचंड गोले वाले देवता को बचपन में ही निगल गए थे, तब हनुमानजी को अहसास हुआ कि वाक़ई उनके पास बहुत ज़्यादा ताकत है और वह बहुत कुछ कर सकते हैं। यही हाल कमोबेश भारत का है, कमज़ोर लीडरशिप के चलते इस देश को पता ही नहीं है कि वह कितना ताकतवर है और क्या-क्या कर सकता है। कहने का मतलब इस देश को भी उसकी शक्ति का अहसास कराने के लिए जामवंत की ज़रूरत है।

Hanuman Before Sita from the Ramayana

दरअसल, देश के तथाकथित महान नेताओं ने जनता को सहिष्णुता और शांति की ऐसी घुट्टी पिलाई कि सब के सब सहिष्णु और शांति का उपासक हो गए। यह सर्वविदित है कि पूरी दुनिया केवल और केवल ताक़त को सलाम करती है और सहिष्णुता या शांति की बात करने वाले को कायर और कमज़ोर मानती है। प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल भी मानते हैं कि इतिहास केवल ताकतवर लोगों को ही याद रखता है। लिहाज़ा, हरदम सहिष्णुता और शांति की पूजा करने के कारण दुनिया में भारत की इमैज सॉफ़्ट और वीक नेशन की बन गई है। 


आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र में भारत ऐसा लाचार देश है, जो अपने ही नागरिकों की रक्षा कर पाने में सक्षम नहीं और अपने निर्दोष नागरिकों की हत्या करने वाले आतंकवादियों और उन्हें पनाह देने वालों के ख़िलाफ़ ऐक्शन नहीं ले पाता। भारत ऐक्शन लेने की जगह हत्यारों के ख़िलाफ़ प्रमाण पेश करता है। आबरत की इस नीति पर दुनिया हंसती है।

kashmir

जैसा कि सर्वविदित है, भारत जैसा विशाल देश सन् 1947 में विभाजन के बाद से पाक जैसे छोटे शरारती देश की हरकतों से खासा परेशान रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस आतंकी देश की हरकतों की मय सबूत शिकायत करता रहता है, लेकिन किसी के कान पर जूं नहीं रेंगती। सब हंसकर कह देते हैं, ये प्रमाण पर्याप्त नहीं हैं। लिहाज़ा, कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता।
दरअसल, सबसे मज़ेदार बात यह है कि इस देश के पास एक ऐसा ब्रम्हास्त्र है, जिसे इस्तेमाल करके वह शरारती पाकिस्तान को सबक ही नहीं सिखा सकता है, बल्कि इस्लामाबाद को आतंकवाद का समर्थन और आतंकवादी शिविर बंद करने पर विवश भी कर सकता है। इसके अलावा दाऊद इब्राहिम, हाफिज़ सईद और मौलाना मसूद जैसे आतंकवादियों को अपने हवाले करने पर पाकिस्तान को मज़बूर भी कर सकता है।
भारत सक्षम और समर्थ होने के बावजूद बेचारा बना हुआ है। यह सब बेहद कमज़ोर बिल पावर वाली लीडरशिप के कारण हो रहा है। भारतीय नेता अपने यहां, ख़ासकर कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे के लिए पाकिस्तान पर निर्भर हैं। अब भी भारतीय नेताओं को लगता है कि वार्ता से बात बन जाएगी और अंततः वह बददिमाग़ देश मान जाएगा और अपनी हरकत से बाज आएगा। इस उम्मीद के साथ वार्ताओं का सिलसिला कई दशक से चल रहा है। 


उधर, देश का हर नागरिक, ख़ासकर शहरों में रहने वाले लोग, इस बात को लेकर तनाव में रहता है कि पाकिस्तान पोषित सिरफिरे आतंकवादी जेहाद के नाम पर कब और कहां बम न फोड़ दें या सशस्त्र हमला न कर दे और सैकड़ों मासूमों की जान न ले लें।



भारत का वह अचूक ब्रह्मास्त्र है, इंडस वॉटर ट्रीटी यानी सिंधु जल संधि। दरअसल, इंटरनैशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन ऐंड डेवलपमेंट (अब विश्वबैंक) की मध्यस्थता में 19 सितंबर 1960 को कराची में इंडस वॉटर ट्रीटी पर भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब ख़ान हस्ताक्षर किए। भारत पिछले 56 साल से सिधु वॉटर ट्रीटी यानी सिंधु जल संधि को ढो रहा है। आधुनिक विश्व के इतिहास में यह संधि सबसे उदार जल बंटवारा है।
सिंधु जल संधि के अनुसार भारत अपनी छह प्रमुख नदियों का अस्सी (80.52) फ़ीसदी से ज़्यादा यानी हर साल 167.2 अरब घन मीटर जल पाकिस्तान को देता है। तीन नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब तो पूरी की पूरी पाकिस्तान को भेंट कर दी गई हैं। यह संधि दुनिया की इकलौती संधि है, जिसके तहत नदी की ऊपरी धारा वाला देश निचली धारा वाले देश के लिए अपने हितों की अनदेखी करता है। ऐसी उदार मिसाल दुनिया की किसी संधि में नहीं मिलेगी।



सबसे हैरान करने वाली बात है कि इस बेजोड़ संधि का लाभार्थी देश पाकिस्तान भारत की उदारता का जवाब आतंकवादी वारदातों से देता रहा है। लाभार्थी पाकिस्तान संधि के बाद जलदाता देश भारत के साथ दो बार (1965 और 1971 के भारत पाक युद्ध) घोषित तौर पर, एक बार (1999 का कारगिल घुसपैठ) अघोषित तौर पर युद्ध छेड़ चुका है।
इतना ही नहीं, सीमा पर गोलीबारी और घुसपैठ हमेशा करता रहता है। भारत के पानी पर जीवन यापन करने वाला यह देश जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को शुरू से शह और मदद देता रहा है। जबकि किसी देश के संसाधन पर दूसरे देश का अधिकार तभी तक माना जाता है, जब तक लाभार्थी देश का रवैया दोस्ताना हो। सिंधु जल संधि की बात करें तो यहां तो पाकिस्तान का रवैया दुश्मन की तरह है, इसलिए भारत को उसे पानी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। 


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लिहाज़ा, इन परिस्थितियों में भारत को अपने इस ब्रम्हास्त्र का इस्तेमाल करना चाहिए। पाकिस्तान के सामने पानी देने के लिए स्पष्ट रूप से तीन शर्त रख देनी चाहिए। पहली शर्त, कश्मीरी आतंकवादियों को समर्थन बंद करे। दूसरी शर्त, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के आतंकवादी शिविर को नष्ट करे और शिविर नष्ट किया या नहीं, यह जांच भारतीय एजेंसियों को करने की इजाज़त दे। तीसरी शर्त, पाकिस्तान हाफिज़ सईद, ज़कीउररहमान लखवी (दोनों लश्करे तैयबा), मौलाना अज़हर मसूद (जैशे मोहम्मद), सैयद सलाउद्दीन (हिजबुल मुजाहिद्दीन), भटकल बंधु (इंडियन मुजाहिद्दीन) और दाऊद इब्राहिम एवं टाउगर मेमन (1993 मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपी) को भारत को सौंपे। 



अगर पाकिस्तान तीनों शर्तें माने तब उसे सिंधु, झेलम, चिनाब, सतलुज, व्यास और रावी का पानी देना चाहिए अन्यथा पानी की आपूर्ति बंद कर देनी चाहिए। यक़ीनी तौर पर पानी बंद करने से पाकिस्तान की खेती पूरी तरह नष्ट हो जाएगी, क्योंकि पाकिस्तान की खेती बारिश पर कम, इन नदियों से निकलने वाली नहरों पर ज़्यादा निर्भर है। यह नुकसान सहन करना पाकिस्तान के बस में नहीं है। भारत से पर्याप्त पानी न मिलने से इस्लामाबाद की सारी अकड़ ख़त्म हो जाएगी और वह न तो आतंकवादियों का समर्थन करने की स्थिति में होगा और न ही कश्मीर में अलगाववादियों का। 


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ज़ाहिर है सिधु जल संधि का पाकिस्तान बेज़ा फायदा उठाता रहा है। आतंकवाद को समर्थ देने के अलावा इस्लामाबाद बगलिहार परियोजना के लिए भारत को ख़ासी मशक्कत करनी पड़ी। किशन-गंगा, वूलर बैराज और तुलबुल परियोजनाएं अधर में लटकी हैं। पाकिस्तान बगलियार और किशनगंगा पावर प्रोजेक्ट्स समेत हर छोटी-बड़ी जल परियोजना का अंतरराष्ट्रीय मंच पर विरोध करता रहा है। पाकिस्तान का मुंह बंद करने के लिए एक मात्र विकल्प है, सिधु जल संधि का ख़ात्मा।



सिधु जल संधि भंग करने के बाद पूरी संभावना है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विलाप करेगा। निश्तिच तौर पर वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का भी दरवाज़ा खटखटाएगा। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय या अंतरराष्ट्रीय संस्थान को बताने के लिए भारत के पास पर्याप्त कारण और आधार हैं। भारत इस संधि को निरस्त किए बिना रिपेरियन कानून के तहत अपनी नदियों के पानी पर उस तरह अपना अधिकार नहीं जता सकता जैसा कि स्वाभाविक रूप से जताना चाहिए। फिर 2002 में जम्मू-कश्मीर की विधान सभा आम राय से प्रस्ताव पारित कर सिंधु जल संधि को निरस्त करने की मांग कर चुकी है। राज्य की सबसे बड़ी जनपंचायत का यह सीरियस फ़ैसला था। 
सन् 2005 में इंटरनैशन वॉटर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट (आईडब्ल्यूएमआई) और टाटा वॉटर पॉलिसी प्रोग्राम (टीडब्ल्यूपीपी) भी अपनी रिपोर्ट में भारत को सिंधु जल संधि को रद्द करने की सलाह दे चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस जल संधि से केवल जम्मू-कश्मीर को ही हर साल 65000 करोड़ रुपए की हानि हो रही है। "इंडस वॉटर ट्रीटी: स्क्रैप्ड ऑर अब्रोगेटेड" शीर्षक वाली रिपोर्ट में बताया गया है कि इस संधि के चलते घाटी में बिजली पैदा करने और खेती करने की संभावनों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक घाटी में 20000 मेगावाट से भी ज़्यादा बिजली पैदा करने की क्षमता है, लेकिन सिधु जल संधि इस राह में रोड़ा बनी हुई है। 

इसके अलावा हर साल देश के कई हिस्सों में सूखा पड़ता है। जिन्हें पानी की बड़ी ज़रूरत पड़ती है। ऐसे में भारत अपने राज्यों को पानी क्यों न दे। जो देश ख़ुद पानी के संकट से दो चार हो, वह दूसरे देश, ख़ासकर जो देश दुश्मनों जैसा काम करे, उसे पानी देने की बाध्यता नहीं। अगर भारत जम्मू-कश्मीर में तीनों नदियों पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बांध बना दे और हर बांध से थोड़ा पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दे, तब निश्चित तौर पर पाकिस्तान घुटने टेक देगा। पाकिस्तान को मिसाइल, तोप या बम से मारने की जरूरत नहीं, उसके लिए सिंधु जल संधि ही पर्याप्त है।
चूंकि रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम, सिंधु और चिनाब नदियों का आरंभिक बहाव भारतीय इलाके से है। इस हिसाब से रिपेरियन सिद्धांत के मुताबिक नदियों का नियंत्रण भारत के पास होना चाहिए। यानी नदियों के पानी पर सबसे पहला हक़ भारत का होना चाहिए। हां, अपनी ज़रूरत पूरी होने पर चाहे तो भारत अपना पानी पाकिस्तान को दे सकता है। वह भी उन परिस्थितियों में जब पाकिस्तान दोस्त और शुभचिंतक की तरह व्यवहार करे। पाकिस्तान का रवैया शत्रु जैसा होने पर भारत उसे एक बूंद भी पानी देने के लिए बाध्य नहीं है।

Pakistan Prime Minster Nawaz Sharif Meets Indian Prime Minister Narendra Modi

भारत को चीन से सीख लेनी चाहिए। राष्ट्रीय हित का हवाला देते हुए चीन ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का फ़ैसला मानने से इनकार कर दिया है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने 3.5 वर्गकिलोमीटर में फैले दक्षिण चीन सागर क्षेत्र पर बीजिंग के दावे को खारिज़ करके फिलीपींस के अधिकार को मान्यता दी। चीन ने दो टूक शब्दों में कहा कि इसे मानने की बाध्यता नहीं है। चीनी के डिफेंस प्रवक्ता ने कहा कि चीनी सेना राष्ट्रीय संप्रभुता और अपने समुद्री हितों एवं अधिकारों की रक्षा करेगी। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि देश की संप्रभुता और समुद्री अधिकारों पर असर डालने वाले किसी भी फ़ैसले या प्रस्ताव को उनका देश खारिज करता है।
भारत ख़ासकर मोदी सरकार को यह पॉइंट नोट करना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फ़ैसले पर चीनी लीडरशिप की प्रतिक्रिया का फिलीपींस के अलावा किसी राष्ट्र ने विरोध नहीं किया। संयुक्त राष्ट्रसंघ के अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश भी ख़ामोश रहे। 

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कुल मिलाकर इसका मतलब यह है कि कोई राष्ट्र भी अपने राष्ट्रीय हित का हवाला देकर दुनिया की सबसे बड़ी अदालत के फ़ैसले को भी मानने से इनकार कर सकता है। इसे कहते हैं, विल पावर, जो कम से कम अभी तक सिंधु जल संधि को लेकर भारतीय लीडरशिप में अब तक नहीं रहा है। सवाल यह है कि क्या बलूचिस्तान का मामला उठाने वाले भारतीय प्रधानमंत्री सिंधु जल संधि के मुद्दे को आतंकवाद, दाऊद इब्राहिम और हाफ़िज़ सईद से जोड़ने का साहस करेंगे।
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कश्मीर मुद्दे पर चीन ने पाक को दे दिया सबसे बड़ा झटका !! रो पड़ेंगे नवाज़


कश्मीर मुद्दे पर चीन ने पाक को दे दिया सबसे बड़ा झटका !! रो पड़ेंगे नवाज़ 



पाकिस्तान का बुरा समय खत्म होने का नाम नहीं ले रहा । पाक का सबसे बड़ा साहियोगी माने जाने वाला चीन भी अब कश्मीर मुद्दे पर उसके साथ खड़ा नहीं दिखाई दे रहा है ।
कुछ ही दिन पहले चीन ने ये कहा था की अगर भारत बलूचिस्तान मुद्दे पर पीछे नहीं हटा तो वो पाक के पक्ष में दाखल देगा । परंतु फिर पता नहीं भारतीय सरकार ने चीन को क्या घुट्टी पिलाई की चीन ने 2 दिन के भीतर बिलकुल विपरीत बयान दे दिया है । लाइक करें हमारा फेसबुक पेज




चीन के विदेश मंत्रालय ने साफ साफ ये बात कही की “CEPC प्रोजेक्ट हमारा और पाकिस्तान का है ये दोनों देशों की तरक्की के लिए बनाया जा रहा है , बेशक यह प्रोजेक्ट POK  से होकर गुजरता है लेकिन ये किसी तीसरे देश के नुक्सान के लिए नही है | ” इसमे भारत का नाम नहीं लिया गया परंतु इशारा साफ है ।

चीन ने अपने इस प्रोजेक्ट पर कई करोड़ रूपय खर्च किए हैं और वो इसे जल्द से जल्द पूर्ण करना चाहता था परंतु भारत सरकार की कूटनीति ने उसे बैकफुट पर धकेल दिया है ।



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